अफगानिस्तान में पंजशीर घाटी पर तालिबान बड़े हमले की तैयारी में है, लेकिन अहमद मसूद की सेना भी तैयार है. उनका कहना है कि आतंक के सामने सरेंडर नहीं करेंगे. काबुल पर कब्ज़े के बाद तालिबान के लड़ाके अब विद्रोहियों के गढ़ पंजशीर घाटी की ओर बढ़ रहे हैं. यह अफगानिस्तान का वो हिस्सा है जो अब तक तालिबान के कब्जे में नहीं आया है. उधर, इस इलाके में विद्रोहियों का नेतृत्व कर रहे अहमद मसूद ने भी ऐलान किया है कि उनकी सेना भी जंग के लिए तैयार है. उन्होंने तालिबान को चेतावनी भी दी है. बता दें कि पंजशीर लंबे समय से तालिबान विरोधी गढ़ के रूप में माना जाता है. जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण किया है, तभी से पंजशीर घाटी में विद्रोही लड़ाके जुटना शुरू हो गए हैं. बताया जा रहा है कि इनमें सबसे ज़्यादा संख्या अफगान नेशनल आर्मी के सैनिकों की है. इस गुट का नेतृत्व नॉर्दन एलायंस के चीफ रहे पूर्व मुजाहिदीन कमांडर अहमद शाह के बेटे अहमद मसूद कर रहे हैं. उनके साथ पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और बल्ख प्रांत के पूर्व गवर्नर की सैन्य टुकड़ी भी है. बेशक पंजशीर अब तालिबान के लिए भी विरोध का मुखर स्वर बनता जा रहा है. आइये जानते हैं पंजशीर से तालिबान आखिर क्यों खौफ खाता है.
पंजशीर यानी पांच शेरों की घाटी
प्राकृतिक रूप से क़िले की तरह पंजशीर घाटी
काबुल के उत्तर में हिंदूकुश में स्थित
1980 के दशक में सोवियत संघ के प्रतिरोध का गढ़
1990 में तालिबान के प्रतिरोध का गढ़
पंजशीर की आबादी डेढ़ लाख से अधिक
ताजिक मूल के लोगों की आबादी ज़्यादा
अहमद शाह मसूद थे पंजशीर के लीडर
सबसे प्रभावशाली मुजाहिद्दीन कमांडर थे अहमद शाह मसूद
2001: अलकायदा ने अहमद शाह मसूद की हत्या की
अब पंजशीर की कमान उनके बेटे अहमद मसूद के हाथ
अमरुल्लाह सालेह भी पंजशीर के ही रहने वाले
अहमद मसूद, सालेह, मोहम्मद ख़ान तालिबान प्रतिरोध के बड़े चेहरे
तालिबान की तरफ से ये ख़बर फैलाई गई थी कि अहमद मसूद सरेंडर करने को तैयार हो गए हैं, हालांकि जब फ्रांसीसी दार्शनिक बनार्ड हेनरी लेवी ने उनसे फोन पर बात की तो उन्होंने कहा कि मेरी डिक्शनरी में सरेंडर नहीं है. इसी बातचीत में मसूद ने कहा कि मैं अहमद शाह मसूद का बेटा हूं. मेरी डिक्शनरी में सरेंडर जैसा कोई शब्द नहीं है. ये तो अभी बस शुरुआत है. मेरे पिता कमांडर मसूद हमारे राष्ट्रीय नायक हैं और उन्होंने मुझे विरासत दी है. ऐसे में उन्हें अफगानों की स्वतंत्रता के लिए लड़ना है. अब ये लड़ाई उनकी है.
बता दें कि तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा तो कर लिया है, लेकिन देश के कई इलाकों से तालिबान विरोधी आवाजें तेज हो गई हैं. नई सरकार के गठन से पहले ही बगावत के सुरों को लेकर तालिबान चिंतित है. एएफपी द्वारा ली गई तस्वीरों में लड़ाकों को फिटनेस ट्रेनिंग करते हुए दिखाया गया है. पंजशीर में तालिबान विरोधी गुट का दावा है कि सरकार समर्थक तमाम लोग हर प्रांत से पंजशीर की ओर आ रहे हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं