नवाज शरीफ (फाइल फोटो)
पनामा केस में अयोग्य घोषित होने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर दिया गया है. दरअसल इस मामले में नवाज शरीफ समेत उनके परिजनों पर काला धन छुपाने, भ्रष्टाचार और मनी लांड्रिंग के आरोप थे. इन मामलों में उनको और परिजनों को दोषी पाया गया है. अब इस घटनाक्रम के बाद पाकिस्तान के संभावित सियासी हालात पर एक नजर:
नए चेहरे की ताजपोशी
नवाज शरीफ भले ही प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य करार घोषित कर दिए गए हों लेकिन अपनी पार्टी पीएमएल(एन) के मुखिया बने रहेंगे. पाकिस्तानी संसद यानी नेशनल असेंबली की 342 सीटों में से 209 सीटें इसी पार्टी और गठबंधन के पास हैं. शरीफ के परिवार को भी पनामा केस में दोषी ठहराया गया है. ऐसे में सत्ता की बागडोर शरीफ परिवार के बाहर जाना तय है. इस सूरेतेहाल में शरीफ किसी रबर स्टांप नेता को चुन सकते हैं.
यह भी पढ़े: जब अटल बिहारी वाजपेयी ने नवाज शरीफ से दिलीप कुमार की बात करवाई
यूसुफ रजा गिलानी का किस्सा
इससे पहले 2012 में भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो चुकी है. उस वक्त पीपीपी के नेता और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को अदालत की अवमानना के मामले में अयोग्य करार दे दिया गया था. दरअसल उस वक्त मौजूदा राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को दोबारा खोलने से इनकार करने की वजह से उनको अयोग्य ठहराया गया था क्योंकि कोर्ट ने ऐसा करने का आदेश दिया था. गिलानी के हटने के बाद नेशनल असेंबली ने राजा परवेज अशरफ को पीएम चुना.
यह भी पढ़ें: नवाज शरीफ और परिवार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई
कोर्ट के आदेश को चुनौती
कोर्ट के आदेश में किसी प्रकार की खामी की तरफ इशारा करते हुए समीक्षा याचिका के द्वारा चुनौती दी जा सकती है लेकिन इस बात की मौजूदा परिदृश्य में संभावना कम ही लगती है.
मध्यावधि चुनाव की स्थिति
पाकिस्तान के संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री की सलाह पर ही राष्ट्रपति इस तरह की कोई घोषणा कर सकता है. यानी कि यदि मध्यावधि चुनाव कराना भी होगा तो उसके लिए पहले प्रधानमंत्री के रूप में किसी अन्य नेता की ताजपोशी करनी होगी. वैसे भी 2018 में चुनाव होने वाले हैं.
VIDEO:पनामा केस में पूछताछ के लिए जब कोर्ट में पेश हुए थे नवाज शरीफ
सेना की वापसी की संभावना
पाकिस्तान के 70 वर्षों के इतिहास में आधे से अधिक समय तक सेना का शासन रहा है लेकिन विश्लेषकों के मुताबिक सेना सत्ता में वापसी नहीं करना चाहेगी. उसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि सेना ने पहले से ही विदेश नीति और रक्षा के मामले में कब्जा कर रखा है.
नए चेहरे की ताजपोशी
नवाज शरीफ भले ही प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य करार घोषित कर दिए गए हों लेकिन अपनी पार्टी पीएमएल(एन) के मुखिया बने रहेंगे. पाकिस्तानी संसद यानी नेशनल असेंबली की 342 सीटों में से 209 सीटें इसी पार्टी और गठबंधन के पास हैं. शरीफ के परिवार को भी पनामा केस में दोषी ठहराया गया है. ऐसे में सत्ता की बागडोर शरीफ परिवार के बाहर जाना तय है. इस सूरेतेहाल में शरीफ किसी रबर स्टांप नेता को चुन सकते हैं.
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यूसुफ रजा गिलानी का किस्सा
इससे पहले 2012 में भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो चुकी है. उस वक्त पीपीपी के नेता और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को अदालत की अवमानना के मामले में अयोग्य करार दे दिया गया था. दरअसल उस वक्त मौजूदा राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को दोबारा खोलने से इनकार करने की वजह से उनको अयोग्य ठहराया गया था क्योंकि कोर्ट ने ऐसा करने का आदेश दिया था. गिलानी के हटने के बाद नेशनल असेंबली ने राजा परवेज अशरफ को पीएम चुना.
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कोर्ट के आदेश को चुनौती
कोर्ट के आदेश में किसी प्रकार की खामी की तरफ इशारा करते हुए समीक्षा याचिका के द्वारा चुनौती दी जा सकती है लेकिन इस बात की मौजूदा परिदृश्य में संभावना कम ही लगती है.
मध्यावधि चुनाव की स्थिति
पाकिस्तान के संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री की सलाह पर ही राष्ट्रपति इस तरह की कोई घोषणा कर सकता है. यानी कि यदि मध्यावधि चुनाव कराना भी होगा तो उसके लिए पहले प्रधानमंत्री के रूप में किसी अन्य नेता की ताजपोशी करनी होगी. वैसे भी 2018 में चुनाव होने वाले हैं.
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सेना की वापसी की संभावना
पाकिस्तान के 70 वर्षों के इतिहास में आधे से अधिक समय तक सेना का शासन रहा है लेकिन विश्लेषकों के मुताबिक सेना सत्ता में वापसी नहीं करना चाहेगी. उसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि सेना ने पहले से ही विदेश नीति और रक्षा के मामले में कब्जा कर रखा है.
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