प्रतीकात्मक फोटो.
दावोस:
स्विट्जरलैंड के बर्फ की पहाड़ियों से घिरे दावोस शहर में फिलहाल हर तरफ भारत के नजारे दिख रहे हैं. एक समय में स्वास्थ्य पर्यटन और स्कीइंग के लिए जाना जाने वाला यह नगर वर्तमान में दुनिया के सबसे संभ्रांत लोगों के जमावड़े का स्थान बना हुआ है. एक हफ्ते तक यहां दुनिया के बड़े-बड़े नेता, अर्थवेत्ता वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डबल्यूईएफ) की बैठक में हिस्सा लेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ इस बैठक में भाग लेंगे.
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शहर की ऊंची-ऊंची बिल्डिगों के ऊपर और चलती-फिरती बस पर, इस समय हर ओर बस भारत और भारतीय कंपनियों के विज्ञापन ही इस शहर में दिखाई देंगे. संकरी सड़कों के इस शहर की सड़कें और संकरी हो चली हैं, क्योंकि हिमपात अपने चरम पर है. इससे सड़क के दोनों तरफ बस बर्फ ही बर्फ दिख रही है. जहां चाय और पकौड़े की मांग सबसे ज्यादा बनी हुई है, वहीं वडा पाव और डोसा भी लोगों के बीच विशेष पसंद किया जा रहा है.
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भारत सरकार ने तो यहां अपना लॉन्ज स्थापित किया ही है. आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार ने भी अपने केंद्र यहां बनाए हैं. वहीं वैश्विक कंपनियों से अलग कुछ भारतीय कंपनियों ने भी अपने केंद्र यहां स्थापित किए हैं. 5 दिन तक चलने वाली विश्व आर्थिक मंच की बैठक इस साल बहुत बड़ी है. उसी तरह हिमपात भी इस समय बहुत ज्यादा हो रहा है. आज पहले दिन कई सड़कें बंद रही और बाकी जगह पर भारी जाम देखने को मिला.
VIDEO : दावोस पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी
हालांकि शहर में हर तरफ काले कोट पहने अधिकारी दिख रहे हैं जो मंच की वार्षिक बैठक के लिए आए हैं, लेकिन इसके बावजूद स्कीइंग और स्वास्थ्य पर्यटकों का यहां जमावड़ा लगा हुआ है. वर्ष 1971 से हर साल जनवरी में विश्व आर्थिक मंच की बैठक यहां हो रही है और इस साल यह उसकी 48वीं वार्षिक बैठक है. इसके चलते शहर में सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ गई है क्योंकि पांच दिन के इस कार्यक्रम में दुनिया भर के करीब 3,000 नेताओं के शामिल होने की संभावना है. इसके अलावा 2,000 से ज्यादा पत्रकार भी यहां जुटने वाले हैं.
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शहर की ऊंची-ऊंची बिल्डिगों के ऊपर और चलती-फिरती बस पर, इस समय हर ओर बस भारत और भारतीय कंपनियों के विज्ञापन ही इस शहर में दिखाई देंगे. संकरी सड़कों के इस शहर की सड़कें और संकरी हो चली हैं, क्योंकि हिमपात अपने चरम पर है. इससे सड़क के दोनों तरफ बस बर्फ ही बर्फ दिख रही है. जहां चाय और पकौड़े की मांग सबसे ज्यादा बनी हुई है, वहीं वडा पाव और डोसा भी लोगों के बीच विशेष पसंद किया जा रहा है.
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भारत सरकार ने तो यहां अपना लॉन्ज स्थापित किया ही है. आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार ने भी अपने केंद्र यहां बनाए हैं. वहीं वैश्विक कंपनियों से अलग कुछ भारतीय कंपनियों ने भी अपने केंद्र यहां स्थापित किए हैं. 5 दिन तक चलने वाली विश्व आर्थिक मंच की बैठक इस साल बहुत बड़ी है. उसी तरह हिमपात भी इस समय बहुत ज्यादा हो रहा है. आज पहले दिन कई सड़कें बंद रही और बाकी जगह पर भारी जाम देखने को मिला.
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हालांकि शहर में हर तरफ काले कोट पहने अधिकारी दिख रहे हैं जो मंच की वार्षिक बैठक के लिए आए हैं, लेकिन इसके बावजूद स्कीइंग और स्वास्थ्य पर्यटकों का यहां जमावड़ा लगा हुआ है. वर्ष 1971 से हर साल जनवरी में विश्व आर्थिक मंच की बैठक यहां हो रही है और इस साल यह उसकी 48वीं वार्षिक बैठक है. इसके चलते शहर में सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ गई है क्योंकि पांच दिन के इस कार्यक्रम में दुनिया भर के करीब 3,000 नेताओं के शामिल होने की संभावना है. इसके अलावा 2,000 से ज्यादा पत्रकार भी यहां जुटने वाले हैं.