अमेरिकी रक्षामंत्री एश्टन कार्टर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अरुणाचल प्रदेश में दुर्घटनाग्रस्त हुए अमेरिकी वायुसेना के एक बी-24 बम वर्षक विमान के अवशेष मिलने के बाद अब पेंटागन ने भारत से उत्तर पूर्व में 4 और क्रैश साइट पर सर्वे की इजाजत मांगी है.
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अमेरिकी दूतावास से विदेश मंत्रालय को एक राजनयिक नोट भेजा गया है, जिसमें अगले साल असम में एक क्रैश साइट पर सर्वे शुरू करने की अनुमति मांगी गई है. इस साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के वक्त उन्होंने राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ संयुक्त वक्तव्य में अमेरिका को भारत में दूसरे विश्व युद्ध की क्रैश साइटों पर सर्वे करने देने की बात कही थी.
अखबार ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि यह चारों साइट असम के डिब्रूगढ़ जिले में 100 मील एकड़ में फैली हुई हैं. अमेरिकी सेना की एक एजेंसी के 5 सदस्यों की एक टीम द्वारा इस साल नवंबर में काम शुरू करने की उम्मीद है। इस टीम में एक टीम लीडर, मानव विज्ञानी, पुरातत्वविद, एक्सप्लोसिव डिस्पोजल एक्सपर्ट और चिकित्सीय योग्य व्यक्ति शामिल होगा.
अमेरिका को सौंपे गए उनके सैनिकों के अवशेष
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अरुणाचल प्रदेश में दुर्घटनाग्रस्त हुए अमेरिकी वायुसेना के एक बी-24 बमवर्षक विमान और सैनिकों के अवशेष हाल ही में अमेरिका को सौंपे गए. अमेरिकी रक्षामंत्री एश्टन कार्टर भारत से द्वितीय विश्वयुद्ध के अमेरिकी अवशेषों की अमेरिका में वापसी कार्यक्रम की निगरानी कर रहे हैं.
कार्टर ने जताया आभार
कार्टर ने बरामदगी कोशिश को प्रोत्साहित करने में अपना समर्थन देने को लेकर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और भारत सरकार के प्रति आभार जताया. एक संयुक्त बयान में दिल्ली में कहा गया, 'भारत सरकार अमेरिकी कर्मियों के अवशेषों की स्वदेश वापसी के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता का समर्थन करने के लिए राजी हुई. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के बाद पिछले साल जारी किए गए संयुक्त बयान में अवशेष वापसी का मुद्दा उठा था.'
चीन के दबाव में यूपीए ने रोक दी थी कोशिश
गौरतलब है कि यूपीए सरकार ने चीन के ऐतराज के बाद अवशेषों की बरामदगी रोक दी थी. चीन, अरुणाचल प्रदेश को अपना क्षेत्र मानता है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अमेरिका को नई अनुमति दी.
गौरतलब है कि अमेरिका उन अमेरिकी एयरक्रू के शवों को बरामद करने की कोशिश कर रहा है जो असम और चीन के कुनमिंग के बीच विमान दुर्घटनाओं में मारे गए थे. अमेरिकी रक्षा विभाग के मुताबिक द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 500 से अधिक विमान चीन-भारत-बर्मा क्षेत्र में लापता हुए थे.
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अमेरिकी दूतावास से विदेश मंत्रालय को एक राजनयिक नोट भेजा गया है, जिसमें अगले साल असम में एक क्रैश साइट पर सर्वे शुरू करने की अनुमति मांगी गई है. इस साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के वक्त उन्होंने राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ संयुक्त वक्तव्य में अमेरिका को भारत में दूसरे विश्व युद्ध की क्रैश साइटों पर सर्वे करने देने की बात कही थी.
अखबार ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि यह चारों साइट असम के डिब्रूगढ़ जिले में 100 मील एकड़ में फैली हुई हैं. अमेरिकी सेना की एक एजेंसी के 5 सदस्यों की एक टीम द्वारा इस साल नवंबर में काम शुरू करने की उम्मीद है। इस टीम में एक टीम लीडर, मानव विज्ञानी, पुरातत्वविद, एक्सप्लोसिव डिस्पोजल एक्सपर्ट और चिकित्सीय योग्य व्यक्ति शामिल होगा.
अमेरिका को सौंपे गए उनके सैनिकों के अवशेष
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अरुणाचल प्रदेश में दुर्घटनाग्रस्त हुए अमेरिकी वायुसेना के एक बी-24 बमवर्षक विमान और सैनिकों के अवशेष हाल ही में अमेरिका को सौंपे गए. अमेरिकी रक्षामंत्री एश्टन कार्टर भारत से द्वितीय विश्वयुद्ध के अमेरिकी अवशेषों की अमेरिका में वापसी कार्यक्रम की निगरानी कर रहे हैं.
कार्टर ने जताया आभार
कार्टर ने बरामदगी कोशिश को प्रोत्साहित करने में अपना समर्थन देने को लेकर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और भारत सरकार के प्रति आभार जताया. एक संयुक्त बयान में दिल्ली में कहा गया, 'भारत सरकार अमेरिकी कर्मियों के अवशेषों की स्वदेश वापसी के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता का समर्थन करने के लिए राजी हुई. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के बाद पिछले साल जारी किए गए संयुक्त बयान में अवशेष वापसी का मुद्दा उठा था.'
चीन के दबाव में यूपीए ने रोक दी थी कोशिश
गौरतलब है कि यूपीए सरकार ने चीन के ऐतराज के बाद अवशेषों की बरामदगी रोक दी थी. चीन, अरुणाचल प्रदेश को अपना क्षेत्र मानता है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अमेरिका को नई अनुमति दी.
गौरतलब है कि अमेरिका उन अमेरिकी एयरक्रू के शवों को बरामद करने की कोशिश कर रहा है जो असम और चीन के कुनमिंग के बीच विमान दुर्घटनाओं में मारे गए थे. अमेरिकी रक्षा विभाग के मुताबिक द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 500 से अधिक विमान चीन-भारत-बर्मा क्षेत्र में लापता हुए थे.
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