अफगानिस्तान (Afghanistan)में अमेरिकी राजदूत जालमेई खालिलजाद (Zalmay Khalilzad) ने इस्तीफा दे दिया है. अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की हड़बड़ाहट में हुई वापसी और तालिबान के काबुल तक कुछ ही दिनों में आ धमकने को लेकर खालिलजाद लगातार कठिन सवालों और आलोचना का सामना कर रहे थे. खालिलजाद ने अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश, डोनाल्ड ट्रंप और फिर जो बाइडेन की सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. वो काबुल के पहले बगदाद और संयुक्त राष्ट्र में भी राजदूत (US ambassador) पद पर रहे.
खालिलजाद अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी को लेकर तालिबान से कतर की राजधानी दोहा में 2020 में शुरू हुई वार्ता में अहम भूमिका निभा रहे थे. अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की जंग को खत्म करने वो कामयाब रहे, लेकिन तालिबान के काबुल पर कब्जे को भांपने या रोकने में नाकाम रहे. खालिलजाद ने विदेश सचिव एंटनी ब्लिंकेन को सोमवार को अपना त्यागपत्र सौंप दिया था.
खालिलजाद ने माना है कि वो सारे मानकों पर खरे नहीं उतरे, लेकिन वो अफगानिस्तान नीति (Afghanistan policy)के नए चरण के लिए राह साफ करना चाहते हैं. खालिलजाद ने कहा कि अफगान सरकार औऱ तालिबान के बीच राजनीतिक समाधान उस दिशा में अपेक्षित तरीके से नहीं बढ़ा, जैसा कि सोचा गया था. उन्होंने कहा कि इसकी वजहें बेहद जटिल हैं और वो आने वाले दिनों में इस मामले में और रोशनी डालेंगे.
70 साल के खालिलजाद अफगानिस्तान में ही पैदा हुए थे और उन्हें लंबा राजनयिक अनुभव रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उसके बाद डोनाल्ड ट्रंप ने जब अफगानिस्तान में अमेरिकी संघर्ष को खत्म करने का फैसला किया तो खालिलजाद को ही जिम्मेदारी सौंपी गई।
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