बीजिंग/नई दिल्ली:
चीन ने एक बार फिर भारतीय सीमा में घुसपैठ की है। 16, 18 और 20 जुलाई को चीनी सेना के करीब सौ जवान पूर्वी लद्दाख में घुसे। उन जवानों के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर भारतीय सेना से कब्जे वाली जमीन खाली करने की बात लिखी थी।
बताया जा रहा है कि चीनी सैनिक भारतीय सीमा में तीन किलोमीटर तक अंदर घुस आए। भारतीय सेना से आमने−सामने के बाद चीनी सैनिक वापस अपने क्षेत्र में लौट गए।
प्रधानमंत्री कार्यालय को चीन की इस घुसपैठ के बारे में जानकारी दे दी गई है। भारतीय सेना ने इस मसले को लेकर एरिया कमांडरों की एक बैठक बुलाई है।
चीनी सैनिक 16 जुलाई को घोड़ों और टट्टुओं पर सवार होकर भारतीय क्षेत्र लद्दाख के चुमार में घुस आए और क्षेत्र पर अपना दावा जताया।
सूत्रों ने कहा कि चीनी सैनिकों ने 16 जुलाई की शाम को चुमार इलाके में घुसपैठ शुरू की और वे 17 जुलाई की सुबह तक भारतीय क्षेत्र में रहे।
सैन्य सूत्रों ने घुसपैठ की पुष्टि करते हुए कहा कि भारतीय जवानों ने चुमार क्षेत्र में पीएलए के गश्ती दल को रोका था और दोनों पक्षों के बीच सामान्य बैनर अभ्यास के बाद पीएलए का गश्ती दल अपने क्षेत्र में वापस चला गया।
सूत्रों ने कहा कि घुसपैठ करने वाले चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों से इलाके को खाली करने के लिए कहा और दावा किया कि वे चीनी सरजमीं पर खड़े हैं।
चीन की थल सेना की घुसपैठ से कुछ समय पहले ही उसके दो हेलीकॉप्टरों ने चुमार क्षेत्र में 11 जुलाई को भारतीय हवाई क्षेत्र में सेंध लगाई थी।
इसी क्षेत्र में पीएलए के जवानों ने 17 जून को घुसपैठ की थी और भारत का एक निगरानी कैमरा अपने साथ ले गये थे।
घुसपैठ का ताजा मामला उस दिन का है, जब भारत ने चीन की सीमा पर 50,000 जवानों वाले माउंटेन स्ट्राइक कोर की स्थापना को मंजूरी दी है। इस तरह की घटनाओं की संख्या ऐसे में बढ़ गई है जब रक्षामंत्री एके एंटनी इस महीने की शुरूआत में चीन गए थे और दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और अमन बढ़ाने के कदमों पर चर्चा की।
लेह से 300 किलोमीटर दूर स्थित चुमार क्षेत्र हमेशा से चीनी जवानों के लिए असहज स्थिति वाला क्षेत्र रहा है, क्योंकि चीन-भारत सीमा पर यही एकमात्र क्षेत्र है जहां से एलएसी तक उनके लिए पहुंच सुगम नहीं है।
भारत और चीन एलएसी पर शांति और अमन कायम रखने के लिए एक सीमा करार करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जहां पिछले कुछ महीनों में घुसपैठ की अनेक घटनाएं देखी गई हैं।
(इनपुट्स भाषा से भी)
बताया जा रहा है कि चीनी सैनिक भारतीय सीमा में तीन किलोमीटर तक अंदर घुस आए। भारतीय सेना से आमने−सामने के बाद चीनी सैनिक वापस अपने क्षेत्र में लौट गए।
प्रधानमंत्री कार्यालय को चीन की इस घुसपैठ के बारे में जानकारी दे दी गई है। भारतीय सेना ने इस मसले को लेकर एरिया कमांडरों की एक बैठक बुलाई है।
चीनी सैनिक 16 जुलाई को घोड़ों और टट्टुओं पर सवार होकर भारतीय क्षेत्र लद्दाख के चुमार में घुस आए और क्षेत्र पर अपना दावा जताया।
सूत्रों ने कहा कि चीनी सैनिकों ने 16 जुलाई की शाम को चुमार इलाके में घुसपैठ शुरू की और वे 17 जुलाई की सुबह तक भारतीय क्षेत्र में रहे।
सैन्य सूत्रों ने घुसपैठ की पुष्टि करते हुए कहा कि भारतीय जवानों ने चुमार क्षेत्र में पीएलए के गश्ती दल को रोका था और दोनों पक्षों के बीच सामान्य बैनर अभ्यास के बाद पीएलए का गश्ती दल अपने क्षेत्र में वापस चला गया।
सूत्रों ने कहा कि घुसपैठ करने वाले चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों से इलाके को खाली करने के लिए कहा और दावा किया कि वे चीनी सरजमीं पर खड़े हैं।
चीन की थल सेना की घुसपैठ से कुछ समय पहले ही उसके दो हेलीकॉप्टरों ने चुमार क्षेत्र में 11 जुलाई को भारतीय हवाई क्षेत्र में सेंध लगाई थी।
इसी क्षेत्र में पीएलए के जवानों ने 17 जून को घुसपैठ की थी और भारत का एक निगरानी कैमरा अपने साथ ले गये थे।
घुसपैठ का ताजा मामला उस दिन का है, जब भारत ने चीन की सीमा पर 50,000 जवानों वाले माउंटेन स्ट्राइक कोर की स्थापना को मंजूरी दी है। इस तरह की घटनाओं की संख्या ऐसे में बढ़ गई है जब रक्षामंत्री एके एंटनी इस महीने की शुरूआत में चीन गए थे और दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और अमन बढ़ाने के कदमों पर चर्चा की।
लेह से 300 किलोमीटर दूर स्थित चुमार क्षेत्र हमेशा से चीनी जवानों के लिए असहज स्थिति वाला क्षेत्र रहा है, क्योंकि चीन-भारत सीमा पर यही एकमात्र क्षेत्र है जहां से एलएसी तक उनके लिए पहुंच सुगम नहीं है।
भारत और चीन एलएसी पर शांति और अमन कायम रखने के लिए एक सीमा करार करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जहां पिछले कुछ महीनों में घुसपैठ की अनेक घटनाएं देखी गई हैं।
(इनपुट्स भाषा से भी)
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