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This Article is From Oct 20, 2017

रोहिंग्या मुसलमानों के बच्चे नारकीय जीवन बिताने को हैं मजबूर: यूनिसेफ

म्यामांर में हिंसा के बाद पलायन करने वाले करीब छह लाख रोहिंग्या मुसलमानों में से अधिकांश बच्चे हैं. वे पड़ोसी बांग्लादेश में भीड़भाड़ वाले, मलिन और गंदे शरणार्थी शिविरों में ‘धरती पर नरक’ का सामना कर रहे हैं.

रोहिंग्या मुसलमानों के बच्चे नारकीय जीवन बिताने को हैं मजबूर: यूनिसेफ
प्रतीकात्‍मक फोटो
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
यूनिसेफ ने अपनी रिपोर्ट में कही है यह बात
रोहिंग्‍या शरणार्थियों में से 58 प्रतिशत बच्चे हैं
पांच में से एक बच्‍चा हो रहा तेजी से कुपोषित
जिनेवा: म्यामांर में हिंसा के बाद पलायन करने वाले करीब छह लाख रोहिंग्या मुसलमानों में से अधिकांश बच्चे हैं और वे पड़ोसी बांग्लादेश में भीड़भाड़ वाले, मलिन और गंदे शरणार्थी शिविरों में ‘धरती पर नरक’ का सामना कर रहे हैं. यह बात संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी यूनिसेफ ने एक अध्ययन में कही है.संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें बच्चों की दुर्दशा का जिक्र किया गया है.

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इस रिपोर्ट में कहा गया कि शरणार्थियों में से 58 प्रतिशत बच्चे हैं जो बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में पिछले आठ सप्ताहों से शरण लिए हुए हैं. रिपोर्ट तैयार करने वाले सिमोन इनग्राम ने बताया कि इलाके में हर पांच में से एक बच्चा ‘बेहद तेजी से कुपोषित’ हो रहा है.

वीडियो: बड़ी मुश्किल हालातों में जिंदगी गुजार रहे रोहिंग्‍या
यह रिपोर्ट जिनेवा में सोमवार को रोहिंग्या के लिए अंतरराष्ट्रीय कोष एकत्र करने के लिये दानदाता सम्मेलन से पहले सामने आयी है. यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक एंटोनी लेक ने एक बयान में बताया, ‘बांग्लादेश में कई रोहिंग्या शरणार्थियों ने म्यामां में अत्याचार देखा है जैसा किसी भी बच्चे ने अभी तक नहीं देखा था और सभी को भारी नुकसान हुआ है.’

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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