जापान और भारत के बीच 10 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए. पीएम मोदी और शिंजो आबे.
टोक्यो:
भारत और जापान ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती प्रदान करने के लिए बुनियादी ढांचा और रेलवे में जापानी निवेश बढ़ाने तथा अंतरिक्ष एवं कृषि जैसे क्षेत्रों में आपसी सहयोग के आज 10 नए समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
इनमें से एक करार भारत में रेलवे एवं परिवहन क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास, बंदरगाहों, पथकर वाली सड़कों, हवाई अड्डों के निर्माण और शहरी विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग एवं निवेश बढ़ाने के लिए है. इस पर भारत की एजेंसी राष्ट्रीय निवेश एवं अवसंरचना कोष लिमिटेड (निफ) और जापान ओवरसीज इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट कापरेरेशन फार ट्रांसपोर्ट एण्ड अरबन डेवलममेंट (जॉइन) ने हस्ताक्षर किए.
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘इस समझौते के तहत निफ और जॉइन एक संयुक्त निवेश कोष बनाने की संभावना तलाश सकते हैं.’ इसके अलावा दो समझौते अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए किए गए हैं. इसमें से समझौता एक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जापान एरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) के बीच बाहरी अंतरिक्ष में उपग्रह दिशानिर्देशन और खगोलीय खोज में सहयोग बढ़ाने के लिए हुआ है. इसमें संयुक्त अंतरिक्ष अभियान मिशन और जमीन पर स्थित उपग्रह प्रणालियों के संयुक्त उपयोग भी करेंगे.
एक अन्य समझौता भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और जापान की समुद्र-पृथ्वी विज्ञान एजेंसी के बीच संयुक्त सर्वेक्षण और शोध में सहयोग बढ़ाने के लिए किया गया है. इसके तहत दोनों तरफ के शोधार्थी और विशेषज्ञ एक दूसरे की संस्थाओं की यात्राएं कर सकेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे के बीच द्विपक्षीय बातचीत के बाद दोनों देशों ने असैन्य परमाणु सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. इससे दोनों देशों के बीच आर्थिक और सुरक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंध मजबूत होने की उम्मीद है एवं अमेरिकी कंपनियों को भारत में परमाणु संयंत्र लगाने में मदद मिलेगी.
इस असैन्य परमाणु समझौते से जापान भारत को परमाणु तकनीक का निर्यात कर सकेगा. परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने वाला भारत पहला ऐसा देश है जिसके साथ जापान ने इस प्रकार की संधि की है. पिछले दो सालों में भारत में 55 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया है.
अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘यह भारत में अब तक का सबसे अधिक एफडीआई निवेश है.’’ इसके अलावा दोनों देशों ने कृषि क्षेत्र में सहयोग के लिए भी समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. दोनों देशों ने खाद्य उद्योग एवं कृषि क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं उनके तहत कृषि उत्पादों की खाद्य मूल्य श्रृंखला के नेटवर्क और उत्पादों के भौगोलिक पहचान संकेत :जीआई: की सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जाएगा. किसी चर्चित खाद्य वस्तु के मूल उत्पत्ति स्थान की पहचान के लिए जीआई का प्रयोग किया जाता है.
इसके अलावा ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ के लिए भी समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इनमें से एक करार भारत में रेलवे एवं परिवहन क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास, बंदरगाहों, पथकर वाली सड़कों, हवाई अड्डों के निर्माण और शहरी विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग एवं निवेश बढ़ाने के लिए है. इस पर भारत की एजेंसी राष्ट्रीय निवेश एवं अवसंरचना कोष लिमिटेड (निफ) और जापान ओवरसीज इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट कापरेरेशन फार ट्रांसपोर्ट एण्ड अरबन डेवलममेंट (जॉइन) ने हस्ताक्षर किए.
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘इस समझौते के तहत निफ और जॉइन एक संयुक्त निवेश कोष बनाने की संभावना तलाश सकते हैं.’ इसके अलावा दो समझौते अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए किए गए हैं. इसमें से समझौता एक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जापान एरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) के बीच बाहरी अंतरिक्ष में उपग्रह दिशानिर्देशन और खगोलीय खोज में सहयोग बढ़ाने के लिए हुआ है. इसमें संयुक्त अंतरिक्ष अभियान मिशन और जमीन पर स्थित उपग्रह प्रणालियों के संयुक्त उपयोग भी करेंगे.
एक अन्य समझौता भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और जापान की समुद्र-पृथ्वी विज्ञान एजेंसी के बीच संयुक्त सर्वेक्षण और शोध में सहयोग बढ़ाने के लिए किया गया है. इसके तहत दोनों तरफ के शोधार्थी और विशेषज्ञ एक दूसरे की संस्थाओं की यात्राएं कर सकेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे के बीच द्विपक्षीय बातचीत के बाद दोनों देशों ने असैन्य परमाणु सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. इससे दोनों देशों के बीच आर्थिक और सुरक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंध मजबूत होने की उम्मीद है एवं अमेरिकी कंपनियों को भारत में परमाणु संयंत्र लगाने में मदद मिलेगी.
इस असैन्य परमाणु समझौते से जापान भारत को परमाणु तकनीक का निर्यात कर सकेगा. परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने वाला भारत पहला ऐसा देश है जिसके साथ जापान ने इस प्रकार की संधि की है. पिछले दो सालों में भारत में 55 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया है.
अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘यह भारत में अब तक का सबसे अधिक एफडीआई निवेश है.’’ इसके अलावा दोनों देशों ने कृषि क्षेत्र में सहयोग के लिए भी समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. दोनों देशों ने खाद्य उद्योग एवं कृषि क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं उनके तहत कृषि उत्पादों की खाद्य मूल्य श्रृंखला के नेटवर्क और उत्पादों के भौगोलिक पहचान संकेत :जीआई: की सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जाएगा. किसी चर्चित खाद्य वस्तु के मूल उत्पत्ति स्थान की पहचान के लिए जीआई का प्रयोग किया जाता है.
इसके अलावा ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ के लिए भी समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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