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इस देश में नहीं छपेंगी जिंदा लोगों की तस्वीरें, कारण जानकर चौंक जाएंगे आप

नए कानून के पहलुओं को अभी तक सख्ती से लागू नहीं किया गया है. तालिबान अधिकारी नियमित रूप से सोशल मीडिया पर लोगों की तस्वीरें पोस्ट करते रहते हैं.

इस देश में नहीं छपेंगी जिंदा लोगों की तस्वीरें, कारण जानकर चौंक जाएंगे आप
अफगानिस्तान में तालिबान का शासन चल रहा है.
काबुल:

Taliban new law for newspapers: अखबारों और सोशल मीडिया आप हर रोज सैकड़ों तस्वीरें छपी देखते हैं. इनमें आम लोगों से लेकर खास सभी की तस्वीरें होती हैं. लेकिन दुनिया में अब एक देश ऐसा होने वाला है जहां पर जिंदा चीजों की तस्वीरें नहीं छपेंगी. अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान के नैतिकता मंत्रालय (Taliban) ने समाचार मीडिया पर सभी जीवित चीजों की तस्वीरें प्रकाशित करने पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून को लागू करने का वादा किया है. पत्रकारों को बताया गया है कि नियम को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा. यह हाल ही में तालिबान सरकार द्वारा इस्लामी कानून की उनकी सख्त व्याख्याओं को औपचारिक रूप देने वाले कानून की घोषणा के बाद आया है.

मंत्रालय ने जारी किया फरमान

मंत्रालय के प्रवक्ता सैफुल इस्लाम खैबर (Saiful Islam Khaibar) ने बताया, "यह कानून पूरे अफगानिस्तान पर लागू होता है... और इसे धीरे-धीरे लागू किया जाएगा." उन्होंने कहा कि अधिकारी लोगों को समझाने के लिए काम करेंगे. जीवित चीजों की तस्वीरें इस्लामी कानून के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा, "क़ानून के क्रियान्वयन में ज़ोर-ज़बरदस्ती का कोई स्थान नहीं है." "यह केवल सलाह है, और लोगों को यह समझाना है कि ये चीजें वास्तव में शरिया (कानून) के विपरीत हैं और इनसे बचा जाना चाहिए."

इस्लामी कानून का उल्लंघन

नए कानून में समाचार मीडिया के लिए कई नियमों का विवरण दिया गया है, जिसमें सभी जीवित चीजों की छवियों के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाना और आउटलेट्स को इस्लाम का उपहास या अपमान न करने या इस्लामी कानून का खंडन न करने का आदेश देना शामिल है.

अभी सख्ती से लागू नहीं हुआ

नए कानून के पहलुओं को अभी तक सख्ती से लागू नहीं किया गया है. तालिबान अधिकारी नियमित रूप से सोशल मीडिया पर लोगों की तस्वीरें पोस्ट करते रहते हैं.

खैबर ने कहा, "मीडिया से संबंधित कानून के अनुच्छेदों के संबंध में अब तक कई प्रांतों में इसे लागू करने के प्रयास चल रहे हैं लेकिन सभी प्रांतों में यह शुरू नहीं हुआ है." उन्होंने कहा कि दक्षिणी तालिबान के गढ़ कंधार और पड़ोसी हेलमंद प्रांत, साथ ही उत्तरी तखर में "काम शुरू हो गया है".

पत्रकरों तक पहुंचने लगा आदेश

कंधार में पत्रकारों ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया को बताया कि उन्हें मंत्रालय से कोई बयान नहीं मिला है या नैतिकता पुलिस ने तस्वीरें और वीडियो लेने से नहीं रोका है. रविवार को मध्य गजनी प्रांत में, पीवीपीवी अधिकारियों ने स्थानीय पत्रकारों को बुलाया और उन्हें बताया कि नैतिकता पुलिस धीरे-धीरे कानून को लागू करना शुरू कर देगी. उन्होंने फोटो पत्रकारों को दूर से तस्वीरें लेने और  कम घटनाओं को फिल्माने की सलाह दी है.

इसी तरह की बैठक में मैदान वार्डक प्रांत के पत्रकारों को भी बताया गया कि नियमों को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा. 1996 से 2001 तक पिछले तालिबान शासन के तहत पूरे देश में टेलीविजन और जीवित चीजों की तस्वीरों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन सत्ता में उनकी वापसी के बाद से अब तक इसी तरह का आदेश व्यापक रूप से लागू नहीं किया गया है.

गिर रही अफगानिस्तान की साख

जब विदेशी समर्थित सरकारों के खिलाफ दो दशक लंबे विद्रोह के बाद तालिबान अधिकारियों ने देश पर नियंत्रण कर लिया, तो अफगानिस्तान में 8,400 मीडिया कर्मचारी थे। मीडिया उद्योग के लोगों के अनुसार, इस पेशे में केवल 5,100 लोग बचे हैं, जिनमें 560 महिलाएं शामिल हैं. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) द्वारा संकलित प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग में अफगानिस्तान भी 180 देशों में से 122वें स्थान से 178वें स्थान पर फिसल गया है.

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