
- पहले परमाणु बम का परीक्षण द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1945 में अमेरिका ने किया था.
- रॉबर्ट ओपनहाइमर ने मैनहट्टन प्रोजेक्ट के तहत अमेरिका में परमाणु बम बनाने की कमान संभाली.
- दुनिया में इस वक्त 12,000 से अधिक परमाणु बम हैं, सबसे ज्यादा रूस-अमेरिका के पास.
ईरान में परमाणु बम के खतरे को देखते हुए अमेरिका ने ऐसा कदम उठाया, जिसने ईरान-इजराइल युद्ध की दिशा बदल दी. अमेरिका ने अपने बेहद अत्याधुनिक बी-2 स्टेल्थ फाइटर से ईरान के एटमी ठिकानों पर बेहद शक्तिशाली धरतीफाड़ बम गिराए. दावा किया जा रहा है कि इसने पहाड़ों की गहराइयों में बने ईरान के तीनों प्रमुख परमाणु केंद्रों को तबाह कर दिया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया का पहला परमाणु बम कब बना था, किसने बनाया था, उसका पहला टेस्ट कहां हुआ था? परमाणु बम का पहली बार युद्ध में कहां इस्तेमाल किया गया था? जिस शख्स को परमाणु बम का जनक माना जाता है, उसका भगवद् गीता से क्या नाता रहा था?
दुनिया के पहले परमाणु बम की कहानी
परमाणु बम को मानव इतिहास का सबसे विनाशकारी हथियार माना जाता है. यह एक ऐसा हथियार है जिसने न सिर्फ विश्व की राजनीति और विज्ञान को नया आयाम दिया है बल्कि युद्धों की दिशा भी बदली है. पहला परमाणु बम द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के दौरान अमेरिका में बनाया गया था. इसके लिए 1942 में बेहद गोपनीय मैनहट्टन प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. अमेरिका को डर था कि नाजी जर्मनी परमाणु हथियार विकसित कर सकता है. उसी चुनौती का मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने ये प्रोजेक्ट शुरू किया था.
क्या था मैनहट्टन प्रोजेक्ट?
मैनहट्टन प्रोजेक्ट की कमान प्रसिद्ध वैज्ञानिक जूलियस रॉबर्ट ओपनहाइमर की सौंपी गई थी. उन्हें "परमाणु बम का जनक" भी कहा जाता है. न्यू मैक्सिको की लॉस एलामोस लैब में हजारों वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और विशेषज्ञों ने दिन-रात काम किया.बम बनाने के लिए यूरेनियम-235 और प्लूटोनियम-239 आदि का उपयोग किया गया था.
परमाणु बम का पहला टेस्ट कहां हुआ?
दुनिया में पहली बार परमाणु बम का परीक्षण 16 जुलाई 1945 को न्यू मैक्सिको के अलामोगोर्डो के पास रेगिस्तान में किया गया था. इस परीक्षण का कोडनेम ट्रिनिटी था. बताते हैं, इस विस्फोट ने लगभग 20 हजार टन टीएनटी के बराबर ऊर्जा निकली थी. इसकी चमक इतनी तेज थी कि यह रेगिस्तान में दिन जैसा उजाला हो गया था. इसमें ताकत और विनाश दोनों की तस्वीर छिपी थी.
एटम बम के जनक और भगवद् गीता
अमेरिका में परमाणु बम बनाने के मैनहट्टन प्रोजेक्ट के डायरेक्टर रॉबर्ट ओपनहाइमर थे. वे संस्कृत और भारतीय दर्शन में रुचि रखते थे और बार-बार भगवद् गीता के श्लोकों का प्रयोग किया करते थे. ट्रिनिटी टेस्ट की कामयाबी के बाद जब उन्होंने परमाणु बम की विनाशकारी ताकत को देखा तो उनके मुंह से निकला था- Now, I am become Death, the destroyer of worlds. ( अब मैं मृत्यु (काल) बन गया हूं, विश्व का विनाशक.) ये शब्द भगवद गीता के 11वें अध्याय के 32वें श्लोक से लिए गए हैं जिसे आमतौर पर 11.32 के रूप में दर्शाया जाता है.
पहली बार युद्ध में कहां इस्तेमाल हुआ?
परमाणु बम का युद्ध में पहला और एकमात्र इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध में हुआ था. 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर लिटिल बॉय नाम का यूरेनियम बेस्ड परमाणु बम गिराया था. इसकी वजह से 80 हजार से अधिक लोग तुरंत मारे गए थे. इसके तीन दिन बाद 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर फैट मैन नाम का प्लूटोनियम बेस्ड बम गिराया गया. इसने लगभग 40 हजार लोगों की तुरंत जान ले ली. इन हमलों के बाद जापान ने 15 अगस्त 1945 को सरेंडर कर दिया था. इसके वर्षों बाद तक इन शहरों में मृतकों की संख्या बढ़ती रही. अमेरिकी ऊर्जा विभाग ने अनुमान लगाया था कि बमबारी की वजह से पांच साल में संभवतः दो लाख से अधिक लोग मारे गए थे.
परमाणु बम इतना खतरनाक क्यों है?
परमाणु बम एक बेहद विनाशकारी हथियार है. इसमें परमाणु विखंडन (fission) और संलयन (fusion) की प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है. यह प्रक्रिया भारी तत्वों जैसे कि यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 के नाभिक को तोड़ने या हल्के नाभिकों को मिलाने से शुरू होती है. इस दौरान बहुत भारी मात्रा में ऊर्जा पैदा होती है जो विस्फोट के रूप में सामने आती है. छोटी सी मात्रा में पदार्थ से ही लाखों टन टीएनटी के बराबर ऊर्जा उत्पन्न होती है. परमाणु बम के विस्फोट से बेहद तीव्र गर्मी, रेडियोएक्टिव रेडिएशन और विद्युत चुम्बकीय तरंगें निकलती हैं. इसी वजह से इसे पारंपरिक हथियारों के मुकाबले बेहद विनाशक माना जाता है.
किस देश के पास कितने परमाणु बम?
दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु बम रूस और अमेरिका के पास हैं. इस मामले में रूस अमेरिका से आगे बताया जाता है. फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स की स्टेटस ऑफ वर्ल्ड न्यूक्लियर फोर्सेज 2025 रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में 12 हजार से अधिक परमाणु बम हैं. इनमें से 88 फीसदी से अधिक रूस और अमेरिका के पास हैं.
- रूस - 5,449
- अमेरिका - 5,277
- चीन - 600
- फ्रांस - 290
- युनाइटेड किंगडम - 225
- भारत - 180
- पाकिस्तान - 170
- इजराइल - 90
- उत्तर कोरिया - 50
एक समय था, जब परमाणु बमों को लेकर दुनिया के दो महारथी देश अमेरिका और सोवियत संघ के बीच होड़ लगी थी. इसका नतीजा ये हुआ कि 1986 में एक वक्त ऐसा आया कि दुनिया में 70 हजार से अधिक परमाणु बम हो गए. लेकिन बाद में लोगों को इसके खतरों का आभास हुआ और परमाणु बमों की भंडार में कटौती शुरू हुई. इसी का नतीजा है कि 2025 की शुरुआत में एटम बमों का जखीरा घटकर 12,331 पर आ गया है.
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