कोई इंसान ज़िंदा ना हो, फिर भी न्यूक्लियर मिसाइल खुद-ब-खुद उड़ जाए. पूरे अमेरिका को 30 मिनट में मिटा दे. ये किसी हॉलीवुड फिल्म की कहानी नहीं है, बल्कि रूस का Dead Hand सिस्टम है – एक असली 'Doomsday Device' जी हां, रूस के पास वाकई एक ऐसा 'Doomsday Device' है, जिसे कहते हैं – Dead Hand और ये सिर्फ नाम का ही डरावना नहीं है. ये असलियत में पूरी दुनिया को बर्बाद कर सकता है, और खतरनाक बात ये है कि ये सिस्टम आज भी एक्टिव है.

Cold War के वक्त अमेरिका और सोवियत यूनियन के बीच जबरदस्त हथियारों की रेस चल रही थी. इसी रेस में जहां इंटरनेट, GPS और माइक्रोचिप्स जैसे अविष्कार हुए. वहीं कुछ खतरनाक चीजें भी बनीं – जैसे Novichok Nerve Agent, दुनिया का सबसे बड़ा न्यूक्लियर बम और Dead Hand, यानी कि Perimeter System. ये एक ऑटोमेटेड न्यूक्लियर कंट्रोल सिस्टम है, जो सोवियत यूनियन ने 1980 में बनाया था – खासतौर पर इस सोच के साथ कि अगर अमेरिका कभी पहला न्यूक्लियर अटैक करे और पूरी सोवियत आर्मी खत्म हो जाए, तो भी बदले में रूस की मिसाइलें अमेरिका को तबाह कर दें. मतलब, इंसान मरे या जिंदा रहे – जवाबी हमला तय है.

कैसे काम करता है सिस्टम?
ये सिस्टम मशीनों के भरोसे है – कम्युनिकेशन फ्रीक्वेंसीज़, रेडिएशन लेवल, एयर प्रेशर, हीट और सीस्मिक एक्टिविटी यानी भूकंप जैसी हलचल को मॉनिटर करता है. अगर इन चीज़ों से ये पता चलता है कि न्यूक्लियर अटैक हुआ है, तो Perimeter खुद-ब-खुद एक्टिवेट हो जाता है. इसके बाद एक कमांड रॉकेट लॉन्च होता है, ये कोई आम मिसाइल नहीं, बल्कि इसके अंदर होता है एक रेडियो ट्रांसमीटर, जो पूरे रूस के न्यूक्लियर सिलोज़ को ऑर्डर भेजता है – "Fire!" और फिर… सारे ICBMs – इंटरकॉंटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें – एक-एक करके उड़ने लगती हैं. ये सिस्टम 1985 में ऑपरेशनल हो गया था, और सबसे डरावनी बात? इस सिस्टम को इंसानी कमांड की ज़रूरत नहीं. बस एक बार ऑन कर दो और अगर रूस पर अटैक हुआ, तो मशीनें खुद फैसला लेंगी, 'अब सब कुछ खत्म कर देना है.'

आज की स्थिति
आज रूस के पास 1,600 Tactical Nuclear Weapons हैं और 2,400 Strategic Nuclear Weapons, जिनमें से ज़्यादातर Perimeter सिस्टम से जुड़े हुए हैं. मतलब आज भी ये डिवाइस पूरी तरह एक्टिव हैं. 2011 में रूसी जनरल सेरगेई काराकाएव ने एक इंटरव्यू में इस सिस्टम के वजूद को कन्फर्म भी किया था. उन्होंने कहा था अमेरिका को 30 मिनट में खत्म किया जा सकता है. रूसी मीडिया के मुताबिक अब इसमें रडार अर्ली वॉर्निंग सिस्टम और हाइपरसोनिक मिसाइलें भी जोड़ दी गई हैं.

यूएस बनाम रूस – तुलना
अब सवाल ये आता है कि अमेरिका के पास ऐसा कुछ है क्या? तो जवाब है- नहीं. अमेरिका के पास भले ही न्यूक्लियर डिटेक्शन के लिए रेडिएशन और सीस्मिक सेंसर हैं, लेकिन वहां ऑटोमैटिक न्यूक्लियर लॉन्च का सिस्टम नहीं है. अमेरिका ने ऐसा सिस्टम नहीं बनाया. वहां पक्का किया गया कि कुछ ऐसे इंसान ज़िंदा बचें जिनके पास दूसरा अटैक करने का ऑथरिटी हो. अब जबकि पुतिन ने अपने न्यूक्लियर वेपन्स को हाई अलर्ट पर रखा है, तो क्या Dead Hand को भी एक्टिव मोड में लाया जा चुका है? ये किसी को नहीं पता, लेकिन इतना तय है कि अगर ये सिस्टम कभी भी एक्टिव हुआ, तो इंसान नहीं मशीनें तय करेंगी कि दुनिया बचेगी या खत्म होगी. सोचिए एक बटन नहीं, एक Algorithm जो ये डिसाइड करे कि इंसानियत को ज़िंदा रहना है या नहीं. ये है रूस का Dead Hand – दुनिया का सबसे खतरनाक और डरावना न्यूक्लियर डिवाइस.
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