रूसी हमले (Russian Attack) से बर्बाद हुए यूक्रेन (Ukraine) से जान बचाकर भाग रहे भारतीय स्टूडेंट्स (Indian Students) को यूक्रेन से रोमानिया बॉर्डर (Romania Border) क्रॉस करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यूक्रेन बॉर्डर पार कर रोमानिया में बस स्टॉप पर बैठीं हिमाचल की काशिका महाजन से NDTV की बात हुई. कशिका यूक्रेन में मेडिकल की चौथे साल की स्टूडेंड हैं. उन्होंने बताया, रोमानिया बॉर्डर पार करने से पहले बहुत दिक्कत है. केवल मैं ही अपने दोस्तों में क्रॉस कर पाई लेकिन मेरे साथ के 200-300 बच्चे अभी भी यूक्रेन के बॉर्डर पर फंसे हुए हैं."
कशिका ने बताया कि यूक्रेन-रोमानिया बॉर्डर पर उन्हें भारतीय दूतावास की तरफ से कोई मदद या अधिकारी नहीं दिखा.
वह कहती हैं, "यूक्रेन-रोमानिया के बॉर्डर पर रात को -7 का पारा था और इतनी ठंड में हम वहीं खड़े थे. वहां कोई शेल्टर, कोई कैंप नहीं है. एंबेसी वालों ने कोई इंतज़ाम नहीं किया. भारतीय दूतावास की तरफ से मुझे नहीं लगता कोई मदद है. बच्चे बर्फबारी में वहीं रोड पर खुले में ठंड में खड़े थे ना उन्होंने ठंड के लिए कुछ इंतजाम नहीं किया. कोई कैंप नहीं लगाए हैं. ना वहां पानी का इंतजाम है, ना खाने का, यहां तक कि वॉश रुम्स तक नहीं हैं."
काशिका ने कहा कि रोमानिया बॉर्डर पार करने के बाद उन्हें कुछ राहत मिली है. वह कहती हैं, "रोमानिया बॉर्डर क्रॉस करने के बाद हमें शेल्टर मिले हैं, जहां रह सकते हैं. लेकिन बॉर्डर क्रॉस करते समय या बाद में भी कोई भारतीय दूतावास के कोई अधिकारी नहीं मिले. यूक्रेन के गार्ड्स ने बॉर्डर क्रॉस करवाया. एक दो बार कॉल पर बात हुई लेकिन रोमानिया क्रॉस करने के बाद भी केवल रोमानिया के लोगों ने ही शेल्टर में पहुंचाया और मदद की. भारतीय अधिकारी कोई नहीं था, कन्सल्टेंट के अलावा."
काशिका ने बताया कि यूक्रेन से आए लोगों की रोमानिया के लोग बहुत मदद कर रहे हैं. रोमानिया के लोगों ने भारतीय शरणार्थियों को खाना-पानी दिया और वहां इक्विपमेंट्स और सिम भी फ्री दिए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि यहां वॉलेंटियर्स हैं जिन्होंने मदद के लिए स्टॉल्स लगाए हुए हैं.
रोमानिया बॉर्डर पार करने से पहले आईं बड़ी मुश्किलें
काशिका का कहना है कि यूक्रेन-रोमानिया बॉर्डर पर गार्ड्स बॉर्डर पार करने में केवल यूक्रेनी लोगों को प्राथमिकता दे रहे हैं. भारतीयों को यूक्रेन बॉर्डर क्रॉस करने में प्राथमिकता नहीं दी जा रही है.
उन्होंने कहा, "यहां ठंड भी बहुत है. अभी भी शून्य से 5 डिग्री नीचे पारा है. आज बर्फ भी गिरी है. कल रात भी बच्चों को बॉर्डर क्रॉस नहीं करने दे रहे थे. बच्चे भी फ्रस्ट्रेट हो रहे हैं. यूक्रेन के गार्ड गो बैक-गो बैक चिल्ला रहे थे, भारतीय बच्चों को लात मार रहे थे, फिर उन्होंने हवा में फायर करना शुरू किया और यूक्रेनी गार्ड्स ने भारतीय बच्चों के ऊपर पेपर स्प्रे मार दिया."
कशिका भारतीय स्टूडेंट्स के साथ रोमानिया बॉर्डर पर हुए व्यहवार से काफी दुखी हैं, उन्होंने कहा इतनी क्रूएलिटी नहीं करनी चाहिए. हम भी बच्चे ही हैं, हम भी यहां बॉर्डर क्रॉस करने ही आए हैं. यूक्रेनी लोगों को फटाफट बॉर्डर क्रॉस करा दिया लेकिन 20-30 लोगों के बीच एक बार में केवल 1-2 भारतीयों को ही बॉर्डर क्रॉस करवा रहे हैं.
आप प्लीज़ ये न्यूज़ स्प्रेड कीजिए ताकि मेरे जो भारतीय दोस्त वहां पर भूखे-प्यासे यूक्रेन बॉर्डर पर दो रातों से खड़े हैं वो सच में ठंड से मर रहे हैं उन तक मदद पहुंच पाए और वो बाहर आ जाएं.
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