प्रतीकात्मक तस्वीर
बियैट्रिस:
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मारे गए पायलट के अवशेषों को आखिरकार 73 वर्षों बाद उनके गृह राज्य नेब्रास्का में सैन्य सम्मान के साथ दफनाया गए. फ्लाइट ऑफीसर रिचर्ड लेन वर्ष 1944 में युद्ध के दौरान मारे गए थे. उनके परिवार का मानना था कि उनका शव दक्षिण पूर्वी नेब्रास्का के फिली में दफन है और वे ‘मेमॉरियल डे’ पर वहां जाते थे. लेकिन हाल ही में पता चला कि लेन के नाम से दफन अवशेष उनके नहीं है..
सेना ने गलत अवशेष नेब्रास्का भेज दिए थे. असल में लेन के शव को बेल्जियम स्थित सैन्य कब्रिस्तान में दफनाया गया था. इडाहो में एक परिवार को दोनों सैनिकों के शवों के बदल जाने का पता चलने के बाद लेन के परिवार को इस घटना की जानकारी मिली. लेन के परिवार ने गुरुवार को दोबारा अंतिम संस्कार करते हुए अवशेषों को बियैट्रिस में दफनाया.
द्वितीय विश्वयुद्ध 1939 से 1945 तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था. लगभग 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं. इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बंटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र. इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग 10 करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ. इस महायुद्ध में 5 से 7 करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई). इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सेना ने गलत अवशेष नेब्रास्का भेज दिए थे. असल में लेन के शव को बेल्जियम स्थित सैन्य कब्रिस्तान में दफनाया गया था. इडाहो में एक परिवार को दोनों सैनिकों के शवों के बदल जाने का पता चलने के बाद लेन के परिवार को इस घटना की जानकारी मिली. लेन के परिवार ने गुरुवार को दोबारा अंतिम संस्कार करते हुए अवशेषों को बियैट्रिस में दफनाया.
द्वितीय विश्वयुद्ध 1939 से 1945 तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था. लगभग 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं. इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बंटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र. इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग 10 करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ. इस महायुद्ध में 5 से 7 करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई). इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था.
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