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This Article is From Jan 29, 2017

पढ़ें एक ऐसे इराकी की कहानी जो अमेरिकी नौसेना में शामिल हुआ ताकि इराक से ISIS का सफाया हो सके

पढ़ें एक ऐसे इराकी की कहानी जो अमेरिकी नौसेना में शामिल हुआ ताकि इराक से ISIS का सफाया हो सके
यूएस नेवी का 'इराकी' सैनिक
नई दिल्ली: मिलिए इराक के इस शख्स से जो 16 साल की उम्र में अमेरिका आया और एक शरणार्थी के रूप में अमेरिका में संघर्ष किया. आज यह शख्स अमेरिका की नौसेना में काम कर रहा है और इराक से चरमपंथियों को बाहर फेंकना चाहता है. जिस शख्स की बात हो रही है वह है अली जे मोहम्मद. अली मोहम्मद का जन्म इराक के बग़दाद में हुआ. अली मोहम्मद और उसकी परिवार इराक में रहता था. अली की बहन इराक में अमेरिका की सेना के लिए एक ट्रांसलेटर के रूप में काम करती थी. अली का परिवार चरमपंथियों के खिलाफ अमेरिका सेना को मदद करता था. अमेरिका को सपोर्ट करने की वजह से अली मोहम्मद के परिवार को चरमपंथियों से धमकियां मिल रही थी.

फिर अली मोहम्मद और उसके परिवार ने अमेरिका शिफ्ट होने का निर्णय लिया. अली मोहम्मद जब अमेरिका अपने परिवार के साथ पहुंचे तब वह 16 साल का था, उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. अमेरिका की भाषा उन्हें समझ नहीं आ रहा थी. सबसे पहले उन्हें इंग्लिश सीखना था फिर अपने परिवार की मदद करते हुए स्कूल जाना पड़ता था.

2014 में अली मोहम्मद ने निर्णय लिया कि वह अमेरिका नौसेना के लिए काम करेंगे. अमेरिका की नौसैनिक टुकड़ी में मोहम्मद को ट्रांसलेटर की नौकरी मिला. अली मोहम्मद का मुख्य काम है अमेरिका की नौसैना और अमेरिका के डिफेंस को मदद कर रहे इराक सैनिकों के बीच इनफार्मेशन को ट्रांसलेट करना. इराक के कई सैनिक इंग्लिश समझ नहीं पाते हैं और अमेरिका के सैनिकों को भी अरबी समझ नहीं आती है. ऐसे में अली मोहम्मद एक ट्रांसलेटर की भूमिका निभाते हैं और दोनों ओर के सैनिकों की मदद करते हैं.

अब अली मोहम्मद इराक वापस आ गया है. इराक में अमेरिका सेना की मदद कर रहा है. अली मोहम्मद कहते हैं कि अमेरिका उनका घर है और इराक उनकी जन्मभूमि और ऐसे में वह अपनी जन्मभूमि से चरमपंथियों को निकालकर फेंकना चाहते हैं जो उनके जीवन का मुख्य मकसद है.

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