बढ़ती कीमतों की वजह से ब्रिटिश पब बंदी की कगार पर, लोग "लास्ट ड्रिंक" की बात करने लगे हैं

इंग्लैंड और वेल्स में पबों की संख्या में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है. सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस गिरावट के लिए Covid 19 महामारी और बढ़ती कीमतों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.

बढ़ती कीमतों की वजह से ब्रिटिश पब बंदी की कगार पर, लोग

ब्रिटेन में अधिकांश पब या तो ध्वस्त कर दिए गए या उन्हें दफ्तर या घरों में बदल दिया गया है.

इंग्लैंड और वेल्स में पबों की संख्या में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है. सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस गिरावट के लिए Covid 19 महामारी और बढ़ती कीमतों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. इस साल की पहली छमाही में पब की संख्या 40,000 तक नीचे गिर गई. रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 10 साल के दौरान 7,000 से ज्यादा पब बंद हो गए. रियल एस्टेट सलाहकार अल्टस ग्रुप (Altus Group) ने कहा कि दिसंबर के अंत से लेकर पिछले महीने के अंत तक कुल 200 पब हमेशा के लिए “Last Orders”  (अंतिम आदेश) की बात करने लग गए थे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे पब जो सदियों से ब्रिटिश समुदायों के बीच में रहे वो या गिरा दिए गए या घरों और कार्यालयों में बदल दिए गए हैं. यह विश्लेषण ऐसे समय में आया है जब पब व्यापार और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर कोरोनोवायरस लॉकडाउन और सामाजिक दूरी बनाए रखने के प्रतिबंधों की वजह से मंदी का सामना कर रहा है. महामारी के दौरान उद्योग निकायों ने सरकार से प्रभावित व्यवसायों को आगे बढ़ाने और कई को बंदी के कगार तक जाने से रोकने के लिए अधिक वित्तीय सहायता का आग्रह किया था.

लेकिन महंगाई अब 40 साल के उच्चतम स्तर पर है औऱ जाहिर है कि पबों को एक नई चुनौती का सामना करना पड़ा है. अल्टस ग्रुप यूके के अध्यक्ष रॉबर्ट हेटन ने कहा, “महामारी के दौरान पब उल्लेखनीय रूप से लचीला साबित हुए थे लेकिन अब ऊर्जा की बढ़ती लागत, मुद्रास्फीति के दबाव और कर वृद्धि की वजह से व्यापार संकट से जूझ रहे हैं.”

ब्रिटिश बीयर एंड पब एसोसिएशन (बीबीपीए) और ब्रिटिश इंस्टीट्यूट ऑफ इनकीपिंग और यूके हॉस्पिटैलिटी के रिसर्च के मुताबिक केवल एक-तिहाई (37 प्रतिशत) हॉस्पिटैलिटी व्यवसाय ही लाभ में हैं. इसके लिए इन संगठनों ने ऊर्जा, माल और श्रम की बढ़ती लागत को दोषी ठहराया है.

बीबीपीए के मुख्य कार्यकारी एम्मा मैकक्लार्किन ने कहा: "जब पब को बंद करने के लिए मजबूर किया जाता है तो इसका स्थानीय समुदाय पर काफी बुरा असर पड़ता है. और अगर देश भर के गांवों, कस्बों और शहरों में पब अगर बंद होते चले जाएं तो यह एक विनाशकारी तस्वीर पेश करती है."

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बहरहाल, जैसे-जैसे जीवन यापन की लागत बढ़ती जा रही है वैसे वैसे ब्रिटेन में वेतन और शर्तों को लेकर सार्वजनिक क्षेत्र में हड़तालों की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है.