
शंघाई:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई में भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि वक्त बहुत तेजी से बदल रहा है। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है कि चीन में भारतीय नागरिक इतने प्यार-मोहब्बत से जी रहे हैं कि सारी दुनिया देख रही है। उन्होंने लोकसभा चुनावों की जीत को याद करते हुए कहा कि आज 16 मई है। ठीक एक साल पहले 16 मई, 2014 को ढाई घंटे के टाइम डिफरेंस ने आप लोगों को सबसे ज़्यादा परेशान किया था। आप लोगों ने सुबह उठते ही रिजल्ट पूछना शुरू कर दिया था।
उन्होंने कहा कि मेरा बायोडाटा देखकर मुझे कोई प्रधानमंत्री नहीं बनाएगा। रेल के डिब्बे में चाय बेचने वाला था, जिसे कोई प्रधानमंत्री बनाना नहीं चाहेगा। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर और कोटि-कोटि जनों के आशीर्वाद से गरीब मां का बेटा प्रधानमंत्री बना।
पढ़िए भाषण के मुख्य अंश...
उन्होंने कहा कि मेरा बायोडाटा देखकर मुझे कोई प्रधानमंत्री नहीं बनाएगा। रेल के डिब्बे में चाय बेचने वाला था, जिसे कोई प्रधानमंत्री बनाना नहीं चाहेगा। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर और कोटि-कोटि जनों के आशीर्वाद से गरीब मां का बेटा प्रधानमंत्री बना।
पढ़िए भाषण के मुख्य अंश...
- हिन्दुस्तान में और भारत के बाहर जो भारतीय बसे हैं, उनके लिए बहुत आश्चर्य की घटना है कि चीन में इतनी संख्या में भारतीय एकत्र हुए।
- लोकसभा चुनावों में जीत को याद करते हुए मोदी ने कहा, आज 16 मई है। ठीक एक साल पहले 16 मई, 2014 को ढाई घंटे के टाइम डिफरेंस ने आप लोगों को सबसे ज़्यादा परेशान किया था। आप लोगों ने सुबह उठते ही रिजल्ट पूछना शुरू कर दिया था।
- दुनिया के कुछ लोग रातभर सोए भी नहीं थे। उस समय जिन हालात और परिप्रेक्ष्य में भारत में चुनाव हुआ था, वे थे - एक स्वर में सुनाई देता था (और जनता का शोर आया - 'मोदी... मोदी... मोदी...') फिर मोदी ने गीत गाया, दुःख भरे दिन बीते रे भैया।
- जनता-जनार्दन ईश्वर का रूप होता है, परमात्मा का रूप होता है, जनता-जनार्दन के पास तीसरा नेत्र होता है। जनता निजी हितों को छोड़कर कदम उठाती है। कोटि-कोटि भारतीयों ने सामूहिक इच्छाशक्ति, संकल्पशक्ति का परिचय दिया, और सवा सौ करोड़ देशवासी अपना भाग्य बदलने के लिए कृतसंकल्प हो गए।
- मेरे बारे में कहा जाता था, कोई तजुर्बा नहीं - आलोचना सही थी, लेकिन आकांक्षा सही नहीं थी।
- मेरा बायोडाटा देखकर मुझे कोई प्रधानमंत्री नहीं बनाएगा। रेल के डिब्बे में चाय बेचने वाला था, जिसे कोई प्रधानमंत्री बनाना नहीं चाहेगा। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर और कोटि-कोटि जनों के आशीर्वाद से गरीब मां का बेटा प्रधानमंत्री बना। यही बातें कार्य करने की प्रेरणा और जीवन खपा देने की ताकत देती हैं।
- मैंने कहा था, मैं परिश्रम करने में कोई कमी नहीं रखूंगा। मैंने ऐसा ही किया, और एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली, कोई वैकेशन नहीं मनाया।
- मैंने कहा था, मैं नया हूं, अनुभव नहीं है, लेकिन मैं हर बात को सीखने की पूरी कोशिश करूंगा, और मैं ऐसा ही कर रहा हूं।
- मैं हर बात से किसी विद्यार्थी की तरह अच्छा पहलू सीखने की कोशिश करता हूं।
- मैंने कहा था, अनुभवहीनता की वजह से कोई गलती ज़रूर हो सकती है, लेकिन गलत इरादे से कोई काम नहीं करूंगा, और आज 16 मई, 2015 को भारत से दूर चीन की धरती से पूरे संतोष के साथ बता रहा हूं कि पूरे एक साल में हम पर किसी ने कोई आरोप नहीं लगाया कि हमने गलत इरादे से निजी लाभ के लिए कोई काम किया।
- मेरे सामने आज लघु हिन्दुस्तान है। भारत का हर कोना आज मेरे सामने मौजूद है।
- मैंने सोचा भी नहीं था कि एक साल बाद आज के दिन पूरा भारत मेरे सामने होगा। हर राज्य का प्रतिनिधि आज मेरे सामने है।
- आज मैं आप लोगों से आशीर्वाद मांगने आया हूं कि हमने जो कोशिश शुरू की है, उसमें हम कामयाब हों।
- आप मुझे दोनों हाथ उठाकर आशीर्वाद दें कि मुझसे ऐसी कोई गलती न हो, जिससे मेरे देश का नुकसान हो। आपका आशीर्वाद मेरी बहुत बड़ी ताकत है।
- चीन के राष्ट्रपति ने बीजिंग के अलावा किसी और शहर में जाकर किसी और देश के नेता का स्वागत मुझसे पहले किसी का नहीं किया। यह स्वागत मोदी या उनके साथ आए शिष्टमंडल का नहीं था, पूरे भारत का था।
- मेरी चीन यात्रा भारत और चीन के भविष्य में होने जा रहे घनिष्ठ संबंधों की नींव रखे जाने का पर्व है। दुनिया की एक-तिहाई जनसंख्या हमारे (भारत और चीन के) पास है। एक तरफ पूरी दुनिया, और एक तरफ हम।
- इसलिए चीन और भारत मिलकर न सिर्फ अपनी सभी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, बल्कि दुनिया को भी अनेक परेशानियों से मुक्त करवा सकते हैं।
- आज से 10 साल पहले कोई सोच भी नहीं सकता था कि किसी विकासशील देश को कोई पूछेगा, लेकिन अब वक्त बदल चुका है।
- विकासशील देशों को गया-गुज़रा माना जाता था, लेकिन आज वक्त बदल चुका है। सारी दुनिया देख रही है कि चीन और भारत मिलकर विश्व को एक नई दिशा, नया उत्साह देने के लिए सामर्थ्यवान हैं।
- दुनिया को देने के लिए भारत और चीन के पास बहुत कुछ है। आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। रक्त-रंजित विश्व को मरहम कौन लगाएगा...? वही दे सकता है, जिसके पूर्वजों ने 'वसुधैव कुटुम्बकम्' का संदेश दिया।
- पूरे ब्रह्मांड को परिवार मानने वाले देश की धरती की मदद लिए बिना धरती की समस्याएं हल नहीं होंगी, यह पूरा विश्व स्वीकार करने लगा है।
- अगर ज़्यादा काम करना, ज़्यादा शक्ति लगाना गुनाह है, तो यह गुनाह बार-बार हमेशा करते रहना मुझे मंजूर है। मेरे जीवन का एक-एक पल सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए है।
- 30 साल से भारत में पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं थी, इसलिए विश्व को भारत पर भरोसा नहीं था।
- शासन व्यवस्था में प्रोटोकॉल होते हैं, लेकिन जब कोई देश अपने युवाओं से किसी को मिलवाता है तो यह इस बात का प्रमाण है कि वह समझता है कि निवेश कहां करना है।
- मेरी चीन यात्रा का सबसे अच्छा पहलू दो विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों से मुलाकात करना रहा।
- लोग मुझ पर इसलिए यकीन करते हैं, क्योंकि पूर्ण बहुमत वाली हमारी सरकार का यह पहला साल था और हमने बहुत काम किया।
- मैं अतीत की गलतियों को ठीक करने के लिए काम कर रहा हूं।
- ह्वेनसांग ने अपनी यात्रा में मेरे गांव वड़नगर का जिक्र किया है, वहां खुदाई करवाई गई तो कई चीजें निकलीं।
- हमारे देश के नागरिक चीन के लोगों में भारत की अच्छी छवि बना सकते हैं।
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