ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने के लिए ब्राजील पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की है और विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दोनों देशों के बीच बात भी अच्छी हुई और मुलाक़ात भी अच्छी।
प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच 40 मिनट की बातचीत होनी थी, लेकिन जब बातचीत शुरू हुई तो 80 मिनट तक चलती रही। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी राष्ट्रपति से कहा कि आतंकवाद के खिलाफ दोनों देशों को साथ काम करने की ज़रूरत है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने बताया कि दोनों नेता बैठक के लिए अच्छी तरह तैयार थे। उन्होंने उल्लेख किया कि शी ने कहा कि ‘जब भारत और चीन मिलते हैं तो दुनिया हमें देखती है।’ राष्ट्रपति शी ने विशेष तौर पर गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में मोदी के अनुभव और विकास पर उनके फोकस का उल्लेख किया।
अकबरुद्दीन ने बताया कि चर्चा द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मामलों के सभी पहलुओं पर केंद्रित रही।
एपेक शिखर सम्मेलन के लिए अचानक मिला आमंत्रण दोनों नेताओं द्वारा दोनों देशों के लिए ब्रिक्स और अन्य मंचों जैसे अंतरराष्ट्रीय फोरम पर मिलकर काम करने की आवश्यकता पर चर्चा किए जाने के मद्देनजर आया है।
आज की बैठक मोदी सरकार द्वारा छह हफ्ते पहले कार्यभार संभालने के बाद से दोनों देशों के बीच चौथी उच्चस्तरीय वार्ता है।
पहले शी के दूत वांग दिल्ली पहुंचे और इसके बाद उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने हाल में चीन का दौरा किया। शी ने सितंबर में प्रस्तावित अपने भारत दौरे पर स्वीकृति जताई और मोदी को चीन आने का न्योता दिया ।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि दौरे की तिथि के बारे में फैसला राजनयिक माध्यमों से किया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत ने एपेक शिखर बैठक के लिए निमंत्रण स्वीकार कर लिया है तो उन्होंने कहा कि नवंबर दक्षेस एवं जी-20 शिखर बैठकों के चलते व्यस्त महीना है, लेकिन नई दिल्ली इस निमंत्रण को एक महत्वपूर्ण रुख के तौर पर देखता है तथा इस पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।
शी ने मोदी से कहा कि भारत को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के साथ अधिक निकटता के साथ काम करना चाहिए, लेकिन प्रधानमंत्री ने कहा कि नई दिल्ली सिर्फ एक पर्यवेक्षक है। अगर दूसरे सदस्य इसके इच्छुक हैं तो भारत एससीओ के साथ अधिक निकटता से काम करने को तैयार है।
सीमा संबंधी सवाल पर मोदी ने कहा कि इसका समाधान निकालने की जरूरत है। इस मुद्दे का हल निकालने के लिए सीमा पर शांति एवं सौहार्द कायम रखना जरूरी है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच ठोस, काफी सौहार्दपूर्ण और गर्मजोशी भरी मुलाकात रही। इस दौरान दोनों नेताओं ने एक निजी तालमेल भी बनाया जो भविष्य के लिए अच्छा रहेगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सीमा पर ऐसी कोई घटना नहीं होनी चाहिए, जिससे द्विपक्षीय संबंध कमजोर हों।
सीमा पर चीनी सैनिकों की घुसपैठ को लेकर पूछे गए सवाल पर अकबरुद्दीन ने कहा कि भारत ने इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं से चीन को अवगत कराया। अपनी ओर से मोदी ने दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों पर जोर दिया तथा बुनियादी ढांचे के क्षेत्र, औद्योगिक पार्क एवं निवेश में सहयोग के बारे में बात की। प्रधानमंत्री ने भारत के नजरिये से व्यापार असंतुलन का उल्लेख किया और इस स्थिति में सुधार की पैरवी की।
शी ने स्वीकार किया कि दोनों देशों के बीच व्यापार खासकर भारत की ओर से सेवा क्षेत्र में व्यापार को बढ़ाने और भारत में चीनी पर्यटकों की संख्या को बढ़ाने की संभावना है। मोदी ने चीनी यात्रियों के प्राचीन काल में गुजरात दौरों का उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए अतिरिक्त मार्ग की संभावना का मुद्दा उठाया। यह इस नजरिये से भी अहम है कि मोदी खुद मौजूदा रास्ते से जटिल परिस्थितियों में इस तीर्थयात्रा पर जा चुके हैं। शी ने भरोसा दिया कि चीन इस तीर्थयात्रा के लिए अतिरिक्त मार्ग के लिए भारत के आग्रह पर विचार करेगा। दोनों नेताओं ने ऐतिहासिक और सभ्यता से जुड़े संपर्कों खासकर बौद्ध संपर्कों का भी उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद तथा कट्टरपंथ का हवाला दिया और यह कहा कि भारत एवं चीन को सभ्यता संबंधी साझा धरोहर को ध्यान में रखते हुए इस समस्या से लड़ने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
इस सवाल पर कि सीमा संबंधी सवाल को हल करने के लिए किसी समयसीमा पर चर्चा हुई तो अकबरुद्दीन ने कहा कि दोनों नेताओं की यह पहली मुलाकात थी और वे शुरुआती संदर्भों तथा अपने तय रुख से आगे नहीं जा सकते थे।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं