नेपाल की राजधानी काठमांडू के उस होटल का नजारा, किसी हिन्दी फिल्म के दृश्य की तरह का था, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ठहरे हुए हैं और वहां सब कुछ हकीकत में हो रहा था। मोदी का एक युवक को उसके परिवार से 16 साल बाद मिलवाना उस परिवार और वहां मौजूद लोगों के लिए भावुक क्षण था।
नेपाली युवक 26-वर्षीय जीत बहादुर 16 साल के अलगाव के बाद अपने परिवार से मिला और इसमें मोदी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। नेपाल के दो-दिवसीय दौरे पर काठमांडू पहुंचने के तत्काल बाद मोदी ने बहादुर को उसकी मां खासीगारा तथा भाई दशरथ सारूमगार एवं छोटी बहन से मिलवाया। इस मौके पर दशरथ की पत्नी और बच्चे भी मौजूद थे।
इस दौरान मोदी ने बहादुर की मां से पूछा, अब आप कितना खुश हैं? आपको अपने खोए हुए बेटे से इतने सालों के बाद मिलने के बाद खुश होना चाहिए। बहादुर की मां ने मोदी को उनके बेटे की 'धर्म पुत्र' की तरह देखभाल करने और शिक्षित करने के लिए आभार व्यक्त किया।
जीत बहादुर ने कहा, मैं करीब 8-10 साल की उम्र में उनके संपर्क में आया था और इसके बाद से उन्होंने (मोदी) अपने छोटे भाई की तरह मेरी सेवा की। मुझे नहीं लगता कि मेरी मां ने भी मेरे लिए इतना किया होता। उसने कहा, यह मेरा सौभाग्य है कि मैं एक वीआईपी के साथ रहा, लेकिन कभी ऐसा नहीं लगा कि एक वीआईपी के साथ रह रहा हूं।
फिलहाल वह अहमदाबाद में बीबीए के द्वितीय वर्ष का छात्र है। बहादुर 1998 में अपने भाई के साथ काम की तलाश में भारत आया था। बहादुर की मां ने मोदी के साथ बातचीत का ब्योरा देते हुए कहा, मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि मैं अपने बेटे की देखभाल के लिए आपकी आभारी हूं। आपके दिशानिर्देशन में उसने शिक्षा हासिल की और एक अच्छा इंसान बना।
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