नेपाल में सार्क सम्मेलन के पहले ही दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चर्चा में हैं। इस बात में कोई शक नहीं कि लोकप्रियता के मामले में भारतीय प्रधानमंत्री को फिलहाल कोई छू नहीं सकता। हालांकि मंगलवार शाम राजधानी काठमांडू में ट्रॉमा सेंटर के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री के भाषण ने कई मामलों में सबको थोड़ा चकित किया।
इसके कई कारण हैं, पहला यह कि मोदी ने स्वास्थ्य से जुड़े ट्रॉमा सेंटर के उद्घाटन समारोह में नेपालियों को राजनीतिक नसीहत दी। इस नसीहत में एक अल्टीमेटम भी था कि आप अपने संविधान को तय सीमा में बनाए। इसमें और अधिक विलंब नहीं किया जाना चाहिए।
जानकारों की मानें तो प्रधानमंत्री ने नेपाल में जो भारत के लिए जो गुडविल अपनी पिछली यात्रा में हासिल की थी, उनके इस भाषण से वह अगर खत्म नहीं हुआ, तो कम जरूर होगा, क्योंकि नेपाल के लोग नसीहत नहीं ,सलाह चाहते हैं और वह भी थोड़े प्यार से।
नेपाल में सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी जनकपुर, लुंबिनी और मुक्तिनाथ की यात्रा स्थगित होने से खुश नहीं होंगे, वह इस बात से और अधिक दुखी होंगे कि नेपाल की संसद में उनकी इस यात्रा को लेकर जमकर नुक्ता-चीनी हुई, लेकिन मंगलवार शाम की उनकी भाषा और भाषण के वाकयों से भारत-नेपाल संबंधों पर एक शक की लकीर खिंचने की आशंका है।
हालांकि मंगलवार को दोनों देशों के बीच 12 द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर भी हुए, जिसमे पॉवर एग्रीमेंट से लेकर नेपाल पुलिस एकेडमी की स्थापना और ट्विन सिटी एग्रीमेंट का समझौता शामिल हैं, जिसके तहत अयोध्या-जनकपुर, काठमांडू-वाराणसी और लुंबिनी-बोधगया को विकसित किया जाएगा।
This Article is From Nov 25, 2014
मनीष कुमार की नज़र से : क्या पीएम मोदी ने अपनी कमाई पूंजी नेपाल में गंवा दी?
Manish Kumar, Saad Bin Omer
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Updated:नवंबर 27, 2014 12:10 pm IST
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Published On नवंबर 25, 2014 23:38 pm IST
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Last Updated On नवंबर 27, 2014 12:10 pm IST
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