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This Article is From May 16, 2015

ज्ञान के दरवाजे खोलने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत : चीन में विद्यार्थियों से पीएम मोदी

ज्ञान के दरवाजे खोलने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत : चीन में विद्यार्थियों से पीएम मोदी
शंघाई: अपने चीन के दौरे के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई के फूदान यूनिवर्सिटी पहुंचे। वहां उन्होंने  'सेंटर फॉर गांधियन एंड इंडियन स्टडीज़' (Centre for Gandhian & Indian Studies) का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने छात्रों को महात्मा गांधी के विचारों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि भारत और चीन ज्ञान के रास्ते से पीढ़ियों का विकास कर सकते हैं। अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने आतंकवाद और ग्लोबल वार्मिंग को दुनिया के लिए बड़ा ख़तरा बताया। कार्यक्रम की शुरुआत में चीनी छात्रों ने श्रीमद्भगवतगीता के श्लोकों का पाठ किया।

पीएम मोदी के भाषण के मुख्य अंश इस प्रकार हैं -

-मेरे लिए आनंद और खुशी की बात है, क्योंकि मैं ऐसे पवित्र काम में हिस्सेदार हुआ हूं, जिसका गौरव आने वाली कई सदियों तक हम महसूस करेंगे।

-दुनिया में ऐसे कम ही राजनेता होंगे, जिन्हें किसी दूसरे देश में तीन दिन की छोटी-सी यात्रा के दौरान दो यूनिवर्सिटी के युवाओं से मिलने का सौभाग्य मिला हो। मैं आप लोगों का आभारी हूं, जो आपने मुझे यह सौभाग्य दिया।

-भारत का मूल चिंतन आधार है - चारों दिशाओं से ज्ञान का प्रकाश आने दो। विचार और ज्ञान के लिए पूर्व-पश्चिम कुछ नहीं होता - कैसा भी ज्ञान मानव संस्कृति के विकास में काम आता है।

-अभी चीन के दो विद्यार्थियों ने भारत के पुरातन ग्रंथों में से श्लोकों को उद्धृत किया। गीता के श्लोक के जरिये उन्होंने पूरा तत्व ज्ञान आपके सामने रख दिया। उन्होंने गीता का उल्लेख किया। कर्म करते रहो, फल की अपेक्षा मत रखो।

-महात्मा गांधी या भारत का अध्ययन बहुत अच्छा है। भारत-चीन का सांस्कृतिक इतिहास है, दोनों देश ज्ञान-पिपासु थे, सिर्फ ज्ञान के लिए इतिहास में दोनों देशों के विद्वानों ने यात्राएं कीं।

-आर्थिक व्यापार के लिए दरवाज़े खोलना आसान होता है। पर्यटन के लिए दरवाज़े खोलना आसान होता है, लेकिन ज्ञान के लिए दरवाज़े खोलने के लिए बहुत ज़्यादा ताकत चाहिए। जब शक्ति होती है, तभी दूसरे के विचारों को सुनने की हिम्मत होती है।

-चीन के एक गांधी-प्रेमी 1925 में भारत में आकर साबरमती आश्रम में बापू के शिष्य के रूप में रहे थे, और आश्रमवासियों को उनका नाम लेना नहीं आता था, सो, बापू ने उनका नया नाम रखा था।

-गांधी आज भी प्रासंगिक हैं। भले ही उनका जन्म भारत के एक कोने में हुआ, लेकिन वह विश्व-मानव थे, युगपुरुष थे।

-आज की दुनिया के सामने दो सबसे बड़ी समस्याएं हैं - आतंकवाद और ग्लोबल वार्मिंग... गांधी के आदर्शों में इन दोनों समस्याओं का हल है।

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