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This Article is From May 22, 2020

अफगानिस्‍तान में भारत के प्रभाव को कम करने में जुटा पाकिस्‍तान, तालिबान-हक्‍कानी नेटवर्क को दे रहा समर्थन: पेंटागन रिपोर्ट

रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्‍तान के पूरा ध्‍यान अफगानिस्‍तान में भारत के प्रभाव को कम करने और बाहर करने पर केंद्रित कर रखा है और इसके लिए वह तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे समूह के जरिये अफगान धरती पर हमलों को समर्थन दे रहा है.

अफगानिस्‍तान में भारत के प्रभाव को कम करने में जुटा पाकिस्‍तान, तालिबान-हक्‍कानी नेटवर्क को दे रहा समर्थन: पेंटागन रिपोर्ट
पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है, पाकिस्‍तान अफगानिस्‍तान में भारत का प्रभाव कम करने की साजिश रच रहा है
वॉशिंगटन:

अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि पाकिस्तान अपने मुल्‍क में लगातार तालिबान और कुख्यात हक्कानी आतंकवादी नेटवर्क का समर्थन दे रहा है. अमेरिकी कांग्रेस में सौंपी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्‍तान इन संगठनों की अफगान हितों के खिलाफ हमले करने में मदद करता है. जनवरी-मार्च की तिमाही के लिए जारी अमेरिकी रक्षा विभाग के महानिरीक्षक की यह रिपोर्ट अफगानिस्तान में अपने सामरिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए पाकिस्तान के प्रयासों को जारी रखने की ओर इशारा करती है. भारत की ओर से पेंटागन की इस रिपोर्ट पर कोई प्रतिक्रिया अभी सामने नहीं आई है.

रिपोर्ट में इन तीन माह की अवधि में अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य मिशन, ऑपरेशन फ़्रीडम सेंटिनल के बारे में भी जानकारी दी गई है. तालिबान और अमेरिका द्वारा 29 फरवरी को किए गए करार के बाद पहली बार यह रिपोर्ट जारी की गई है. करार में अमेरिकी सैनिकों की क्रमवार वापसी की कही गई है. कैदियों की रिहाई और अंतर-अफगान वार्ता को लेकर मतभेदों के कारण फिलहाल इस करार को लेकर गतिरोध कायम है. यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब अफगानिस्तान के सुलह के लिए अमेरिका के विशेष दूत ज़ल्माय खलीलज़ाद ने भारत से तालिबान के साथ सीधी बातचीत करने का आह्वान किया है.

रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्‍तान के पूरा ध्‍यान अफगानिस्‍तान में भारत के प्रभाव को कम करने और बाहर करने पर केंद्रित कर रखा है और इसके लिए वह तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे समूह के जरिये अफगान धरती पर हमलों को समर्थन दे रहा है. डीआईए (डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी) के मुताबिक, अफगानिस्तान में पाकिस्तान का सामरिक उद्देश्य वहां भारतीय प्रभाव को कम करना और अस्थिरता फैलाना है." डीआईए ने रिपोर्ट में यह भी कहा कि कि बेशक इस्लामाबाद ने अफगान तालिबान को शांति वार्ता में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया था, लेकिन उसने शांति वार्ता और इस ग्रुप पर हिंसा रोकने के लिए कभी दबाव नहीं बनाया क्योंकि इससे उसके तालिबान से रिश्ते ख़राब हो जाते.

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