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This Article is From Mar 03, 2016

पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर चिंतित है अमेरिका: पेंटागन अधिकारी

पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर चिंतित है अमेरिका: पेंटागन अधिकारी
प्रतीकात्मक फोटो
वाशिंगटन: पेंटागन के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि अमेरिका पाकिस्तान के तेजी से बढ़ते परमाणु हथियारों के जखीरे को लेकर चिंतित है, जो विकसित होते कारकों के साथ मिलकर 'दुर्घटना' का खतरा बढ़ा देता है। डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विंसेंट स्टीवर्ट ने कांग्रेस की एक सुनवाई के दौरान सांसदों को बताया, "पाकिस्तान का परमाणु भंडार लगातार बढ़ रहा है। हम इस वृद्धि से तो चिंतित हैं ही, साथ ही साथ हम सामरिक परमाणु हथियारों से जुड़े कारकों के विकास को लेकर भी चिंतित हैं। इससे किसी घटना या दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है।"

वैश्विक खतरों पर सदन की सशस्त्र सेवा समिति के समक्ष स्टीवर्ट ने कहा, "इस्लामाबाद अपनी परमाणु सुरक्षा में सुधार लाने के लिए लगातार कदम उठा रहा है और वह अपने कार्यक्रम पर चरमपंथियों के कारण मंडराने वाले खतरे से वाकिफ है।'' उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को इस साल आतंकी, कट्टरपंथी और अलगाववादी समूहों से आंतरिक सुरक्षा के खतरों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि खोरासन में आईएसआईएस और भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा भी इस्लामाबाद के लिए सुरक्षा से जुड़ी बड़ी चिंता का विषय बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर उग्रवाद रोधी अभियानों और कराची में अर्धसैन्य अभियानों को हिंसा में कमी लाने में कुछ सफलता मिली थी और इन अभियानों के जारी रहने की संभावना है।

स्टीवर्ट ने कहा कि पिछले साल उच्च स्तरीय राजनयिक संपर्क और अगले साल वार्ताएं जारी रखने के समझौते के चलते भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में कमी आई। हालांकि अगर भारत में कोई बड़ा आतंकी हमला होता है तो दोनों देशों के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ जाने का बड़ा खतरा बना हुआ है। पाकिस्तान ने परमाणु हथियार बढ़ाने की अपनी "गतिशील" नीति में कोई भी बदलाव करने से इंकार किया है। इस संदर्भ में अमेरिका की ओर से किए गए अनुरोध को खारिज करते हुए उसने भारत के त्वरित सैन्य आधुनिकीकरण का हवाला भी दिया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कल कहा, "हमारी परमाणु क्षमता भारत की क्षमता के खिलाफ एक प्रतिरोधक है। प्रतिरोधक होना कोई स्थतिक अवधारणा नहीं है। यह एक गतिशील अवधारणा है। यदि आपका विरोधी लगातार अपनी क्षमताओं का विस्तार करता जा रहा है तो आपको प्रतिक्रिया देनी पड़ती है। यह ऐसा नहीं है, जिसे आप हल्के में ले सकते हों।"



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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