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This Article is From May 06, 2011

'पाक करे फैसला, अमेरिकी सेना चाहिए या नहीं'

वाशिंगटन: ओसामा बिन लादेन के खिलाफ अमेरिका के गोपनीय अभियान के चलते पाकिस्तान की नाराजगी के बीच पेंटागन ने कहा है कि इस्लामाबाद को यह फैसला करना है कि वह अपने देश में अमेरिका की सेना की मौजूदगी चाहता है या नहीं। यह बयान पाकिस्तान की सेना द्वारा उसके देश में अमेरिकी सैनिकों की संख्या न्यूनतम स्तर तक कम किए जाने के फैसले के बाद आया। अमेरिका के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष एडमिरल माइक मुलैन के प्रवक्ता ने कहा, अध्यक्ष ने बार-बार कहा है कि पाकिस्तान में कुछ अमेरिकी सैनिक पाकिस्तानी सरकार के बुलावे पर ही गए हैं। इसलिए यह उनकी सरकार का विशेषाधिकार है। बयान के अनुसार, मुलैन अमेरिकी सेना और पाकिस्तान की साझेदारी को अहम मानते हुए उसे जारी रखने में विश्वास रखते हैं। बयान कहता है, मुलैन ने ने मीडिया में आई एक खबर देखी जिसके अनुसार प्राथमिकताएं बदल रही हैं। लेकिन जब तक पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष जनरल अश्फाक कयानी की ओर से उन्हें कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिलती तब तक अध्यक्ष बातचीत जारी रखेंगे। पेंटागन ने यह बयान रावलपिंडी से आई उस टिप्पणी के बाद दिया है जिसके अनुसार कयानी ने शीर्ष कमांडरों की बैठक में स्पष्ट किया कि अब अगर इस तरह की कोई भी कार्रवाई होती है या पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन होता है तो अमेरिका के साथ उसकी सैन्य और खुफिया स्तर की साझेदारी की समीक्षा करने की जरूरत पड़ जाएगी। इस बीच, अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा कि अमेरिका का छोटा सा सैन्य दल पाकिस्तान के बुलावे पर वहां है और वहां वह प्रशिक्षण तथा उस देश की सेना को अभियान के लिए तैयार करने के लिए मौजूद है।

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