
- शुभांकर मिश्रा ने अपने शो 'कचहरी' में बताया कि भ्रष्टाचार किस तरह भारत में अब new normal बनता जा रहा है. उन्होंने इसके साइड इफेक्ट भी बताए.
- उन्होंने प्राइवेट स्कूलों की बढ़ती फीस और शिक्षा को मुनाफे का साधन बनाने की प्रवृत्ति पर गंभीर सवाल उठाए.
- पहाड़ों पर विकास के नाम पर हो रही तबाही और पर्यावरणीय नुकसान को उन्होंने गंभीर चुनौती करार दिया.
एनडीटीवी इंडिया के फेमस शो ‘कचहरी' में शुभांकर मिश्रा ने तीन बड़े मुद्दे उठाए और ये तीनों ही मुद्दे आपकी ज़िन्दगी से जुड़े हुए हैं. जिस व्यवस्था में आप रहते हैं, जिन स्कूलों में आप पढ़-लिख कर बड़े होते हैं और जिन पहाड़ों पर आप घूमने-फिरने के लिए जाते हैं, उन तीनों पर शुभांकर मिश्रा ने सवालों की सबसे बड़ी कचहरी लगाई.
पहला मुकदमा भ्रष्टाचार के खिलाफ रहा, जो अब हमारे देश में New Normal बन चुका है. इस मुद्दे पर सारी दलीलें, सारी अपीलें और सारे गवाह शुभांकर मिश्रा ने देश के सामने रखे और भ्रष्टाचार की एक-एक परत हटाई.
दूसरा मुकदमा, उन प्राइवेट स्कूलों के बारे में रहा, जो आपके खून-पसीने की कमाई को चूसते हैं और बदले में आपके बच्चों को थर्ड क्लास एजुकेशन देते हैं.
और तीसरा मुकदमा रहा, उस विकास के खिलाफ जो पहाड़ों पर तरक्की नहीं तबाही ला रहा है.
भ्रष्टाचार-रिश्वतखोरी कैसे बन गई New Normal?
लेकिन शुरुआत हुई उस मुकदमे से, जो इस देश में New Normal बन चुका है. शुभांकर मिश्रा ने कहा कि मुझे कहते हुए शर्म आ रही है कि हिन्दुस्तान के लगभग हर शख्स ने अब भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को New Normal मान लिया है और अब बेईमानी सबको सामान्य लगती है. ऐसा क्यों है, उन्होंने इसकी वजहें भी बताईं. भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी की बात करने के बाद शुभांकर ने इस New Normal के साइड-इफेक्ट भी बताए.
प्राइवेट स्कूलों ने शिक्षा को कैसे बना दिया प्रोडक्ट?
उन्होंने भारत के प्राइवेट स्कूलों पर कचहरी लगाई और बताया कि प्राइवेट स्कूलों की फीस हर साल 10 से 15 पर्सेंट कैसे बढ़ रही है और कुछ प्राइवेट स्कूलों ने शिक्षा को एक प्रोडक्ट कैसे बना दिया और इसकी कीमत कैसे तय कर दी?
उन्होंने भ्रष्टाचार की सीढ़ी का जिक्र किया, जो नीचे से लेकर ऊपर तक जाती है और जो New Normal बन चुकी है. शिक्षा से मुनाफा कमाने की मशीनों की बात की, जिसे भी New Normal बनाने की कोशिश हो रही है.
पहाड़ों का विकास कैसे ला रहा विनाश?
इसके बाद शुभांकर मिश्रा ने बताया कि किस तरह हमारे पहाड़ बारिश में दम तोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा आएगा कि जब पहाड़ों पर तबाही आएगी और हमें ये तबाही भी New Normal लगेगी और हम ये मान लेंगे कि पहाड़ों पर तो लोग ऐसे ही मरते हैं और पहाड़ों का टूटना बड़ी बात नहीं है.
शुभांकर मिश्रा की इस कचहरी से आप तीन सबक ले सकते हैं-
- पहला सबक ये है कि भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के खिलाफ आवाज़ उठाएं, ना कि इसका हिस्सा बनें.
- दूसरा सबक- सरकारी स्कूलों में शिक्षा बेहतर हो तो प्राइवेट स्कूलों में लोगों का खून नहीं चूसा जाएगा.
- और तीसरा- पर्यटन के लिए पहाड़ों का सीना खोदना खतरनाक है और ये कुदरत है, इसके साथ खिलवाड़ होगा तो ये सज़ा ज़रूर देगी.
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