इस्लामाबाद के मरगजर चिड़ियाघर में कावन हाथी (AFP photo)
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान का अकेला पड़ गया हाथी कावन 'मानसिक बीमारी' से ग्रस्त है और एक बेहतर प्राकृतिक वास के बगैर उसका भविष्य अंधकारमय दिख रहा है, भले ही उसका साथ देने एक नई हथिनी अंतत: यहां पहुंच गई है।
कावन के इलाज को लेकर दुनियाभर के लोगों में चिंता है और पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के चिड़ियाघर में उसे जंजीरों से बांधकर रखने की खबर आने के बाद वैश्विक स्तर पर एक याचिका पर दो लाख से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। चिड़ियाघर के अधिकारियों का कहना है कि कावन को एक नए हमसफर की जरूरत है। उसकी पूर्व साथी 2012 में गुजर गई थी।
पाकिस्तान वाइल्ड लाइफ फाउंडेशन के वाइस चेयरमैन साफवान साहब अहमद ने कहा कि कावन का व्यवहार खासकर बार बार सिर हिलाना, उसमें तनाव का संकेत देता है और यह एक तरह की मानसिक बीमारी है। वर्ष 1990 से कावन पर विस्तृत अनुसंधान करने वाले अहमद ने इस हाथी की देखभाल के लिए प्रशिक्षित विशेषज्ञों की कमी पर भी दुख जताया।
वन्यजीव कार्यकर्ताओं का कहना है कि कावन को जिस जगह पर रखा गया है, वह उसके लिए पर्याप्त नहीं है और इस्लामाबाद की गर्मी, जो 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तक चली जाती है, भी परेशानी का सबब है। एशियाई हाथी हजारों किलोमीटर तक घूम फिर सकते हैं।
कावन को 1985 में जब श्रीलंका से लाया गया था तो उसकी उम्र महज एक साल थी और उसे 2002 में अस्थायी रूप से जंजीरों से बांधकर रखा गया था क्योंकि चिड़ियाघर के अधिकारी उसकी हिंसक प्रकृति को लेकर आशंकित थे, लेकिन कड़े विरोध के बाद उसे उसी वर्ष जंजीरों से मुक्त कर दिया गया था। उसकी साथी ‘सहेली’ 1990 में श्रीलंका से आई थी और 2012 में वह गुजर गई।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कावन के इलाज को लेकर दुनियाभर के लोगों में चिंता है और पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के चिड़ियाघर में उसे जंजीरों से बांधकर रखने की खबर आने के बाद वैश्विक स्तर पर एक याचिका पर दो लाख से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। चिड़ियाघर के अधिकारियों का कहना है कि कावन को एक नए हमसफर की जरूरत है। उसकी पूर्व साथी 2012 में गुजर गई थी।
पाकिस्तान वाइल्ड लाइफ फाउंडेशन के वाइस चेयरमैन साफवान साहब अहमद ने कहा कि कावन का व्यवहार खासकर बार बार सिर हिलाना, उसमें तनाव का संकेत देता है और यह एक तरह की मानसिक बीमारी है। वर्ष 1990 से कावन पर विस्तृत अनुसंधान करने वाले अहमद ने इस हाथी की देखभाल के लिए प्रशिक्षित विशेषज्ञों की कमी पर भी दुख जताया।
वन्यजीव कार्यकर्ताओं का कहना है कि कावन को जिस जगह पर रखा गया है, वह उसके लिए पर्याप्त नहीं है और इस्लामाबाद की गर्मी, जो 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तक चली जाती है, भी परेशानी का सबब है। एशियाई हाथी हजारों किलोमीटर तक घूम फिर सकते हैं।
कावन को 1985 में जब श्रीलंका से लाया गया था तो उसकी उम्र महज एक साल थी और उसे 2002 में अस्थायी रूप से जंजीरों से बांधकर रखा गया था क्योंकि चिड़ियाघर के अधिकारी उसकी हिंसक प्रकृति को लेकर आशंकित थे, लेकिन कड़े विरोध के बाद उसे उसी वर्ष जंजीरों से मुक्त कर दिया गया था। उसकी साथी ‘सहेली’ 1990 में श्रीलंका से आई थी और 2012 में वह गुजर गई।
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