पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की फाइल फोटो
लाहौर:
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ ने खुलासा किया है कि पाकिस्तान तालिबान और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों को पैसे और ट्रेनिंग देता रहा है। पाकिस्तान के एक न्यूज़ चैनल दुनिया टीवी को दिए इंटरव्यू में मुशर्रफ ने ये बातें कही हैं। मुशर्रफ ने ओसामा से लेकर अल-जवाहिरी और हक्कानी से ले लेकर हाफिज़ सईद तक सबको पाकिस्तान का हीरो बताया है। ओसामा बिन लादेन के बारे में मुशर्रफ ने कहा कि पूरी दुनिया और सोवियत संघ से लड़ने के लिए हमने मुजाहिदीन तैयार किए। तालिबान को तैयार किया। ओसामा को हमने ट्रेनिंग दी और पाकिस्तान में वह नायक का दर्जा रखता है।
मुशर्रफ की ओर से अब तक का सबसे बड़ा खुलासा
यह पाकिस्तान की तरफ से हुआ अब तक का सबसे बड़ा खुलासा है। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने न सिर्फ ओसामा बिन लादेन, अल जवाहिरी और हक्कानी को पाकिस्तान का हीरो बताया है बल्कि तालिबान और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठन को पैसे और ट्रेनिंग की बात भी कबूली है। मुशर्रफ ने कश्मीर में आतंकवादी भेजे जाने और उन्हें पाकिस्तान से पूरी मदद का खुलासा भी किया है।
मुशर्रफ ने कहा, 1990 के दशक में कश्मीर में आजादी का संघर्ष शुरू हुआ.. उस समय लश्कर-ए-तैयबा और 11 या 12 अन्य संगठन गठित हुए। हमने उनका समर्थन किया और उन्हें ट्रेनिंग दी, क्योंकि वे अपनी जिंदगी की कीमत पर कश्मीर में लड़ रहे थे। लेकिन अब समय बदल गया है। अब ये लोग पाकिस्तान में ही हमले कर रहे हैं। अब हम खुद ही विक्टिम हो गए हैं।
धार्मिक आतंकवाद को पालने की बात कबूली
मुशर्रफ पाकिस्तान की सेना प्रमुख भी रहे हैं। उनका खुलासा इसलिए अहम है कि राष्ट्रपति और सेना प्रमुख के तौर पर उन्होंने जो किया वही नहीं बल्कि उससे पहले भी पाकिस्तान जो कुछ करता रहा है उसकी गोपनीय जानकारियां उनके पास हैं। हालांकि मुशर्रफ़ यह भी कबूलते हैं कि पहले जिस धार्मिक आतंकवाद को पाकिस्तान ने पोसा अब वही उसी को काट रहा है।
मुशर्रफ पहले भी कर चुके हैं कई खुलासे
मुशर्रफ पहले भी कई खुलासे कर चुके हैं। करगिल की लड़ाई के समय भारतीय सरहद में रात बिताने की बात कर उन्होंने यह साफ कर दिया था कि करगिल में आतंकवादियों ने नहीं बल्कि पाकिस्तान की सेना ने घुसपैठ की थी। मुशर्रफ का ताज़ा खुलासा भारत के लिहाज़ से इसलिए अहम है कि जिस बात का सबूत भारत सालों से देता रहा है, मुशर्रफ़ ने उस पर मुहर लगा दी है।
मुशर्रफ दोबारा नहीं लौट पाए सत्ता में
2008 में सत्ता छोड़ने के बाद मुशर्रफ को तक़रीबन 4 साल देश के बाहर बिताने पड़े। 2013 में वे चुनाव लड़ने के लिए पाकिस्तान लौटे लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने के अयोग्य करार दे दिया गया। ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग के मुखिया मुशर्रफ़ बेशक ऐसे बयानों के जरिये पाकिस्तान के कट्टरपंथी तबके में अपने लिए समर्थन जुटाने की कोशिश में जुटे हों, लेकिन उनका ये कच्चा चिठ्ठा पाकिस्तान के इस झूठ को ही बेपर्दा करता है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने में उसका कोई हाथ नहीं।
मुशर्रफ की ओर से अब तक का सबसे बड़ा खुलासा
यह पाकिस्तान की तरफ से हुआ अब तक का सबसे बड़ा खुलासा है। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने न सिर्फ ओसामा बिन लादेन, अल जवाहिरी और हक्कानी को पाकिस्तान का हीरो बताया है बल्कि तालिबान और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठन को पैसे और ट्रेनिंग की बात भी कबूली है। मुशर्रफ ने कश्मीर में आतंकवादी भेजे जाने और उन्हें पाकिस्तान से पूरी मदद का खुलासा भी किया है।
मुशर्रफ ने कहा, 1990 के दशक में कश्मीर में आजादी का संघर्ष शुरू हुआ.. उस समय लश्कर-ए-तैयबा और 11 या 12 अन्य संगठन गठित हुए। हमने उनका समर्थन किया और उन्हें ट्रेनिंग दी, क्योंकि वे अपनी जिंदगी की कीमत पर कश्मीर में लड़ रहे थे। लेकिन अब समय बदल गया है। अब ये लोग पाकिस्तान में ही हमले कर रहे हैं। अब हम खुद ही विक्टिम हो गए हैं।
धार्मिक आतंकवाद को पालने की बात कबूली
मुशर्रफ पाकिस्तान की सेना प्रमुख भी रहे हैं। उनका खुलासा इसलिए अहम है कि राष्ट्रपति और सेना प्रमुख के तौर पर उन्होंने जो किया वही नहीं बल्कि उससे पहले भी पाकिस्तान जो कुछ करता रहा है उसकी गोपनीय जानकारियां उनके पास हैं। हालांकि मुशर्रफ़ यह भी कबूलते हैं कि पहले जिस धार्मिक आतंकवाद को पाकिस्तान ने पोसा अब वही उसी को काट रहा है।
मुशर्रफ पहले भी कर चुके हैं कई खुलासे
मुशर्रफ पहले भी कई खुलासे कर चुके हैं। करगिल की लड़ाई के समय भारतीय सरहद में रात बिताने की बात कर उन्होंने यह साफ कर दिया था कि करगिल में आतंकवादियों ने नहीं बल्कि पाकिस्तान की सेना ने घुसपैठ की थी। मुशर्रफ का ताज़ा खुलासा भारत के लिहाज़ से इसलिए अहम है कि जिस बात का सबूत भारत सालों से देता रहा है, मुशर्रफ़ ने उस पर मुहर लगा दी है।
मुशर्रफ दोबारा नहीं लौट पाए सत्ता में
2008 में सत्ता छोड़ने के बाद मुशर्रफ को तक़रीबन 4 साल देश के बाहर बिताने पड़े। 2013 में वे चुनाव लड़ने के लिए पाकिस्तान लौटे लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने के अयोग्य करार दे दिया गया। ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग के मुखिया मुशर्रफ़ बेशक ऐसे बयानों के जरिये पाकिस्तान के कट्टरपंथी तबके में अपने लिए समर्थन जुटाने की कोशिश में जुटे हों, लेकिन उनका ये कच्चा चिठ्ठा पाकिस्तान के इस झूठ को ही बेपर्दा करता है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने में उसका कोई हाथ नहीं।
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