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बलूचिस्तान पर पाकिस्तान के 10 सबसे बड़े गुनाह

पाकिस्तान के बनने के बाद से ही बलूचियों और पाकिस्तानी सरकार के बीच ऐतिहासिक रूप से संघर्ष चलता रहा है. अगस्त 1947 में भारत से अलग होने के छह महीने बाद, 1948 में इस प्रांत पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया था और तब से यह कई अलगाववादी आंदोलनों का गवाह रहा है. आगे साल बीतने के साथ यह भाषा, जातीयता, इतिहास, भौगोलिक भेद, सांप्रदायिक असमानताओं, औपनिवेशिक कलंक और राजनीतिक अलगाव के आधार पर एक हिंसक संघर्ष में बदलता गया.

बलूचिस्तान पर पाकिस्तान के 10 सबसे बड़े गुनाह
इस्लामाबाद:

ज़रा सोचिए... एक ट्रेन तेज़ रफ्तार से दौड़ रही है और अचानक ज़ोरदार धमाका होता है. कुछ ही सेकंड में ट्रेन हाईजैक हो जाती है. अंदर सैकड़ों मुसाफिर चीख-पुकार कर रहे हैं, कुछ की मौत हो चुकी है, कुछ की सांसें अटकी हुई हैं... और फिर सामने आता है सबसे खतरनाक सच. हाईजैकर्स ने सुसाइड बॉम्बर्स को यात्रियों के बीच बिठा दिया है. अब ये मत सोचिए कि ये कोई बाहरी आतंकवादी हैं... नहीं. ये उस आग का नतीजा है, जिसे पाकिस्तान की आर्मी ने खुद जलाया. बलूचिस्तान में सालों से जो जुल्म हो रहे हैं, ये बस उसी का एक और अध्याय है. पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान के साथ ऐसे-ऐसे गुनाह किए हैं कि अगर दुनिया को पूरा सच पता चलें, तो रोंगटे खड़े हो जाएं तो आइए. जानते हैं कि पाकिस्तान की सेना ने बलूचों के साथ कौन-कौन से 10 सबसे बड़े 'पाप' किए हैं.

1. जबरन कब्ज़ा और बलूचिस्तान की आज़ादी का कत्ल

आज जिस बलूचिस्तान को पाकिस्तान का एक प्रांत कहा जाता है, वह कभी एक आज़ाद रियासत हुआ करता था. 1947 में जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तब बलूचिस्तान ने खुद को आज़ाद घोषित कर दिया था, लेकिन सिर्फ एक साल बाद 1948 में पाकिस्तान की सेना ने वहां जबरन कब्ज़ा कर लिया. बलूच नेताओं ने इसका विरोध किया, लेकिन पाकिस्तान ने उनके ऊपर फौज चढ़ा दी. किसी से कोई राय नहीं ली गई, कोई जनमत संग्रह नहीं हुआ. सीधा फौजी कब्जा कर लिया गया. यही वो जख्म है, जिसने बलूचिस्तान के लोगों को पाकिस्तान के खिलाफ हमेशा के लिए खड़ा कर दिया.

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2. पाकिस्तानी सेना का नरसंहार और मानवाधिकार हनन

पिछले 75 सालों में पाकिस्तानी फौज ने बलूचिस्तान में इतने अत्याचार किए हैं कि शायद पूरी दुनिया में किसी और हिस्से में इतने जुल्म नहीं हुए होंगे. हजारों गांवों को जला दिया गया, हजारों बेगुनाहों को गोलियों से भून दिया गया. ह्यूमन राइट्स वॉच और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों की रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक 40,000 से ज्यादा बलूचों को पाकिस्तानी सेना ने जबरन गायब कर दिया है. इन लोगों का कोई पता नहीं, न लाशें मिलती हैं, न कोई खबर. बलूचिस्तान में इसे 'Kill and Dump' पॉलिसी कहा जाता है. मतलब पहले लोगों को उठाओ, टॉर्चर करो, और फिर उनकी लाश किसी सुनसान जगह पर फेंक दो.

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3. नवाब अकबर बुग्ती की हत्या, बलूच संघर्ष का सबसे बड़ा मोड़

बलूचिस्तान की आवाज़ बनने वाले नवाब अकबर बुग्ती कभी पाकिस्तान की राजनीति में शामिल थे, लेकिन जब उन्होंने बलूचों के अधिकारों की बात करनी शुरू की तो उन्हें 'देशद्रोही' करार दिया गया. 2006 में परवेज मुशर्रफ की सरकार ने उन पर फौजी ऑपरेशन किया और उन्हें एक गुफा में बम गिराकर मार दिया. उनकी मौत के बाद बलूचिस्तान में विद्रोह और भड़क उठा. हजारों युवा हथियार उठाने को मजबूर हो गए. आज जो लड़ाई पाकिस्तान के खिलाफ चल रही है, उसमें बुग्ती की हत्या सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट थी.

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4. जबरन गुमशुदगी और फर्जी एनकाउंटर

बलूचिस्तान में हर साल सैकड़ों लोग गायब हो जाते हैं. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां और सेना लोगों को जबरदस्ती उठा लेती हैं फिर या तो उनकी लाशें मिलती हैं या वे कभी वापस नहीं आते. बलूच एक्टिविस्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना पिछले दो दशकों में 40,000 से ज्यादा बलूच नागरिकों को गायब कर चुकी है. इनमें पत्रकार, छात्र, प्रोफेसर, डॉक्टर, और आम नागरिक भी शामिल हैं.

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5. प्राकृतिक संसाधनों की लूट, बलूचों के पेट पर लात

बलूचिस्तान प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है. यहां गैस, कोयला, तांबा, सोना और कई कीमती खनिज मिलते हैं. लेकिन इनका फायदा सिर्फ पाकिस्तान के बड़े शहरों को मिलता है. कराची और लाहौर की फैक्ट्रियों में बलूचिस्तान की गैस जलती है, लेकिन खुद बलूचों के घरों में चूल्हा जलाने के लिए गैस नहीं है. उनके इलाके में सड़कों तक की हालत खराब है, अस्पतालों में दवाई नहीं, और स्कूलों में पढ़ाई नहीं. पाकिस्तान बलूचिस्तान को सिर्फ एक 'कालोनी' की तरह इस्तेमाल कर रहा है.

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6. ग्वादर पोर्ट और एयरपोर्ट को चीन के हवाले करना

पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के ग्वादर पोर्ट को चीन को सौंप दिया, जिससे वहां के स्थानीय मछुआरे और कारोबारी पूरी तरह बर्बाद हो गए. अब ग्वादर एयरपोर्ट भी चीन के हवाले किया जा रहा है, ताकि चीन की सेना इसे अपने रणनीतिक बेस के रूप में इस्तेमाल कर सकें. इसका मतलब यह है कि बलूचों के अपने ही इलाके में उन्हें बाहरी ताकतों के कंट्रोल में रहना पड़ेगा, और पाकिस्तान इसे रोकने के बजाय खुद इसमें शामिल है.

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7. सांस्कृतिक पहचान मिटाने की साजिश

पाकिस्तानी सरकार बलूच लोगों की भाषा, उनकी परंपराओं, और उनके इतिहास को मिटाने में लगी हुई है। स्कूलों में उर्दू और पंजाबी पढ़ाई जाती है, लेकिन बलूच भाषा को नष्ट किया जा रहा है.

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8. पाकिस्तानी सेना और आतंकवाद का खेल

पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में इस्लामिक आतंकवादियों को बढ़ावा दिया, ताकि बलूच नेशनलिस्ट मूवमेंट कमजोर हो जाए. लश्कर-ए-झांगवी, तालिबान जैसे कट्टरपंथी ग्रुप्स को बलूचों के खिलाफ इस्तेमाल किया गया.

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9. मीडिया ब्लैकआउट, दुनिया से सच्चाई छुपाने की साजिश

बलूचिस्तान में क्या हो रहा है, ये दुनिया न जान पाए, इसलिए पाकिस्तानी मीडिया को पूरी तरह सेंसर किया गया है.

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10. ट्रेन हाईजैक पाकिस्तानी जुल्मों का नतीजा

जिन 60 बलूच लड़ाकों ने ट्रेन हाईजैक किया, वो कोई आतंकी नहीं थे, बल्कि वे पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के खिलाफ लड़ रहे लोग थे। जब आवाज़ दबा दी जाती है, तो बंदूकें उठ जाती हैं, बलूचिस्तान में यही हो रहा है.

 

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