लाहौर:
पाकिस्तान की अदालत ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को जोरदार झटका दिया। अदालत ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष का पद संभाल रहे जरदारी से कहा कि उन्हें अपनी राजनीतिक गतिविधियां रोकनी चाहिए और निष्पक्ष होना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश एजाज अहमद चौधरी की अध्यक्षता में लाहौर उच्च न्यायालय की चार न्यायाधीशों की पीठ ने याचिकाओं के जवाब में यह आदेश जारी किया। इन याचिकाओं में जरदारी द्वारा राष्ट्रपति के साथ-साथ पीपीपी प्रमुख के पद पर काबिज होने को चुनौती दी गई थी। मार्च में इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखने वाली अदालत ने कहा कि राष्ट्रपति को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए। अपने 35 पृष्ठों के फैसले में पीठ ने कहा कि राष्ट्रपति को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए और उसे निष्पक्ष होना चाहिए। पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय पहले ही फैसला सुना चुका है कि राष्ट्रपति को पूरी तरह तटस्थ, निष्पक्ष और किसी दल के राजनीतिक हित से दूर रहते हुए अपने कर्तव्यों और अधिकारों का निर्वाह करना चाहिए। उच्च न्यायालय ने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति कानून का पालन करेंगे और खुद को राजनीतिक पद से दूर रखेंगे। अधिवक्ता एके डोगर जरदारी द्वारा दो पद पर काबिज होने को चुनौती देने वाली याचिकाएं दाखिल करने वालों में शामिल थे। वह जमात उद दावा प्रमुख हफीज मुहम्मद सईद के वकील भी हैं। डोगर ने कहा कि संविधान के अनुसार, राष्ट्र प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति को तटस्थ और गैर राजनीतिज्ञ होना चाहिए। गौरतलब है कि जरदारी राष्ट्रपति होने के बावजूद नियमित रूप से पीपीपी के शीर्ष नेताओं की बैठक की अध्यक्षता करते हैं। जरदारी के बेटे बिलावल पीपीपी के अध्यक्ष हैं लेकिन उन्होंने अभी राजनीतिक गतिविधियां शुरू नहीं की हैं क्योंकि वह ब्रिटेन में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
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