
पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंकवाद के बीज बोता है, उसे पानी देता है और उसे बढ़ाकर उसकी फसल काटता है. पिछले 75 साल में उसने खुद बार-बार अपनी हरकतों से इसके सबूत भी दिए हैं. ऐसा ही सबूत उसने एक बार फिर दिए हैं. एक प्रमुख पाकिस्तानी राजनेता को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के नेतृत्व के साथ मंच शेयर करते देखा गया है. यह घटना पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुई, जहां राज्य के विधानसभा अध्यक्ष मलिक मुहम्मद अहमद खान को लश्कर-ए-तैयबा के उप प्रमुख सैफुल्ला अहमद और लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख और 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के बेटे तलहा सईद के साथ एक रैली में भाग लेते देखा गया.
सैफुल्लाह खालिद, जिसे "कसूरी" के नाम से भी जाना जाता है, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के मास्टरमाइंड में से एक है और अमेरिका द्वारा नामित आतंकवादी है. जबकि तलहा सईद आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा का वास्तविक प्रमुख है.
उन्होंने कहा, "यह एक राजनीतिक रैली थी और सभी क्षेत्रों के राजनेता वहां मौजूद थे. क्योंकि उस जगह (कसूर - वह शहर जहां 28 मई की रैली हुई थी) से मेरा व्यक्तिगत संबंध है, आयोजकों ने मुझे भी बुलाया और मैं गया."
मलिक मुहम्मद अहमद खान का नाम पाकिस्तान में एक हाई-प्रोफाइल राजनीतिक शख्सियत के रूप में गिना जाता है और वह बुधवार, 28 मई को आयोजित रैली के कई वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद जांच के दायरे में आ गया है. एक फुटेज में तलहा सईद अन्य राजनेताओं के साथ मंच पर मलिक अहमद खान का स्वागत करता नजर आ रहा था.
📍 #Exclusive 🇵🇰👹
— OsintTV 📺 (@OsintTV) June 1, 2025
Pakistan Punjab Assembly Speaker Malik Ahmed Khan defends Pahalgam mastermind Saifullah Kasuri and accuses India of being responsible for the Pahalgam terrorist attack
Note : On May -28, Pak politician Malik Ahmed Khan shared the stage with Talha Saeed,… pic.twitter.com/A87K6S1rlD
एक अन्य क्लिप में कसूरी को भारत को दुश्मन राज्य कहते हुए दिखाया गया और उसने दावा किया कि उसे पहलगाम आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड के रूप में "गलत तरीके से" आरोपित किया गया था. भारत के आरोपों के बाद उसने और अधिक मशहूर होने का दावा किया.
इस घटना से राजनयिक हलकों में सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा हो गईं, खासकर भारत में, जहां अधिकारी घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहे हैं. लश्कर-ए-तैयबा एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है, लेकिन समूह और उसके सहयोगी पाकिस्तान में खुलेआम काम करते हैं, अक्सर दान या राष्ट्रवादी उद्देश्यों की आड़ में सार्वजनिक सभाएं आयोजित करते हैं. ऐसी सभाओं में हाई-प्रोफाइल राजनेताओं की मौजूदगी आतंकवाद से लड़ने की पाकिस्तान की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाती रहती है.
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