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This Article is From Jan 12, 2012

एक बार फिर तख्तापलट की ओर बढ़ रहा है पाकिस्तान?

नई दिल्ली: सारी दुनिया की नजर आज पाकिस्तान पर है। क्या वहां फिर से तख्तापलट की तैयारी है, क्या पाकिस्तान में फिर सेना लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार को हटाकर सत्ता पर कब्जा कर लेगी या सरकार सेना के दबाव का सामना करने में कामयाब होगी? ऐसे ही कई सवालों से घिरी है पाकिस्तान की मौजूदा राजनीति, जहां सेना और सरकार के बीच टकराव चरम पर है।

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कियानी अपने जनरलों के साथ बैठक कर चुके हैं। वह इस बात से बुरी तरह नाराज हैं कि पाक प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने सुप्रीम कोर्ट में उनके बयान को नियम के खिलाफ करार दिया है। अब सबकी नजर पाकिस्तान की फौज और कियानी के रवैये पर है कि वह आगे क्या करने वाले हैं। हालांकि गिलानी भरोसा जता रहे हैं कि जम्हूरियत को कोई खतरा नहीं है, लेकिन सरकार और सेना के बीच टकराव काफी तीखा है।

बुधवार शाम गिलानी ने कियानी के करीब माने जाने वाले पाकिस्तान के रक्षा सचिव नईम लोदी को बर्खास्त कर दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था कि सेना सरकार के मातहत नहीं है। वैसे लाहौर हाइकोर्ट में इस बर्खास्तगी को भी चुनौती दी गई है। रावलपिंडी की एक यूनिट के एक कमांडर को भी हटाया जा चुका है। जानकारों के मुताबिक यह कियानी के पर कतरने की कोशिश है। लेकिन कियानी अकेले नहीं हैं, उनके साथ आईएसआई भी है।

गिलानी का ऐतराज सिर्फ कियानी नहीं, आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शुजा पाशा के बयान पर भी रहा है। आईएसआई ने बाकायदा कहा है, "माननीय प्रधानमंत्री ने जो कुछ भी सेना प्रमुख और आईएसआई के महानिदेशक को लेकर कहा है, उससे संगीन आरोप कुछ और नहीं हो सकता। इसके बहुत गंभीर नतीजे होंगे, जिसका असर मुल्क पर काफी हद तक पड़ सकता है।"

साफ तौर पर यह चुनी हुई सरकार को धमकाने की कोशिश है और यह याद दिलाने की भी कि पाकिस्तान की किस्मत सेना और आईएसआई ही तय करती रही है। इस हौसले को कुछ ताकत इस बात से भी मिल रही है कि गिलानी और जरदारी की जोड़ी हर तरफ से सवालों से घिरी है। बताया जा रहा है कि फौज नए रक्षा सचिव नरगिस सेठी के साथ काम करने से इनकार कर सकती है। यह एक नए संकट की सूचना है। सवाल है कि अब आगे क्या होगा, फौज का पुराना रंगढंग लौटेगा या पाकिस्तान की जम्हूरियत जीतेगी, क्योंकि पाकिस्तान की मौजूदा सरकार के निकम्मेपन और भ्रष्टाचार पर हमला चौतरफा है।

ताजा वार इमरान खान ने किया है, जिन्हें पुराने तानाशाह परवेज मुशर्रफ का समर्थन हासिल है। तहरीक-ए-इंसाफ के सदर और जाने−माने क्रिकेट खिलाड़ी इमरान खान ने आज फिर सरकार के खिलाफ आग उगली और कहा कि गिलानी और जरदारी की जोड़ी ने देश को तबाह कर दिया है। इमरान ने कहा कि मुल्क में चोरों का निजाम है और जम्हूरियत की आड़ में चोरी-डाके डलवाए जा रहे हैं और ये लोग जायदाद और दौलत बना रहे हैं। इतनी तबाही किसी और सरकार ने नहीं मचाई।

इमरान की सभाओं में इन दिनों उमड़ती भीड़ भी बताती है कि उनकी लोकप्रियता बढ़ी है। सर्वे भी इसी तरफ इशारा कर रहे हैं, लेकिन अहम बात यह है कि इस बार इमरान अकेले नहीं हैं। उनके पीछे मुशर्रफ भी खड़े हैं, इसलिए वह किसी और तालमेल से इनकार कर रहे हैं। उनके निशाने पर गिलानी और जरदारी ही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी हैं।

पाकिस्तान में चल रही हलचलों का सकारात्मक पक्ष बस यही है कि हर कोई वहां चुनाव की बात कर रहा है।पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की बैठक में जरदारी ने यह बात की, नवाज शरीफ ने भी जल्दी चुनावों की मांग की है और अब इमरान ने भी कहा कि मुल्क फौज नहीं जम्हूरियत के साथ खड़ा है।

उधर, जनरल कियानी की मुश्किल यह भी है कि लोग सरकार से चाहे कितना भी तंग हों, फौज के साथ नहीं हैं। ऐसे में काफी कुछ सुप्रीम कोर्ट के रुख पर निर्भर करता है, जिसने गिलानी और जरदारी को पानी पिला रखा है। इमरान की पार्टी भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस इफ्तिखार चौधरी का समर्थन हासिल करने की कोशिश में है। इसी से भरोसा बनता है कि जो सूरत निकलेगी, जम्हूरियत की तरफ से ही निकलेगी।

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