
- पाकिस्तान सेना ने फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के राष्ट्रपति बनने की अफवाहों को पूरी तरह खारिज किया है.
- पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री ने भी सेना प्रमुख के राष्ट्रपति पद ग्रहण करने की चर्चाओं को स्पष्ट रूप से नकारा था.
- राजनीतिक समीकरणों के बावजूद पाकिस्तान में असली सत्ता और प्रभाव सेना के हाथ में ही माना जाता है.
क्या पाकिस्तान में एक बार फिर नागरिक सरकार का तख्तापलट होने वाला है और सेना की तानाशाही खुले रूप में चलने वाली है? क्या पाकिस्तान आर्मी के मौजूदा चीफ आसिफ मुनीर परवेज मुशर्रफ की तरह तख्तापलट करते हुए राष्ट्रपति की कुर्सी पर कब्जा करने वाले हैं. ऑपरेशन सिंदूर में भारत के हाथों मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान के अंदर यह कयास लगाए जा रहे हैं. हालांकि अब इन कयासों पर पाकिस्तान की सेना ने जवाब दिया है. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के राष्ट्रपति बनने की अफवाहों को खारिज कर दिया है.
रिपोर्ट के अनुसार इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के महानिदेशक जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने द इकोनॉमिस्ट को बताया कि "उनके बॉस (मुनीर) के राष्ट्रपति बनने की बात 'बकवास' है".
पाकिस्तान में आर्मी चीफ हावी
पाकिस्तान में मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन ने हाल ही में संसद में संवैधानिक संशोधन के लिए आवश्यक दो-तिहाई बहुमत हासिल किया. इसके बाद अफवाहें फैल गईं कि सेना प्रमुख भी राष्ट्रपति बन सकते हैं. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पाकिस्तान में नागरिक सरकार कठपुतली मात्र है, असली पावर सेना के पास ही है.
मई में पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी और प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के हाथों मुंह की खाने के बाद मुनीर को पुरस्कार दिया, उन्हें औपचारिक रूप से फील्ड मार्शल के पद से सम्मानित किया. पाकिस्तान में फील्ड मार्शल का पद ब्रिटिश सेना की तर्ज पर बनी सेनाओं का सर्वोच्च पद है. इससे पहले केवल जनरल अयूब खान को 1959 में राष्ट्रपति कैबिनेट ने फील्ड मार्शल का खिताब दिया है.
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