संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र:
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञ का कहना है कि अस्पष्ट आधार पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अपराध की श्रेणी में ला देने वाला मालदीव का नया कानून देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर ‘सीधा हमला’ है।
विचारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए संरा के विशेष प्रतिवेदक डेविड काये ने कहा, ‘‘अस्पष्ट और व्यापक आधारों पर अभिव्यक्ति को अपराध की श्रेणी में ला देने वाला मालदीव का यह कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।’’ काये ने कहा कि बिल में अभिव्यक्ति से संबंधित जिन कारकों को शामिल किया गया है मसलन धर्म के इस्तेमाल की अस्पष्ट परिभाषा, सामाजिक नियम और मानहानि आदि न केवल अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करते हैं बल्कि देश के अपने संविधान के दायित्चों का भी उल्लंघन करते हैं।
मानवाधिकार पर संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त कार्यालय की ओर से जारी किए गए वक्तव्य में उन्होंने कहा है, ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मूलभूत अधिकार है और इस पर किसी भी किस्म की पाबंदी को बारीकी और निष्पक्षता से परिभाषित किया जाना चाहिए। यह साधारण मुद्दा नहीं है।’’ इसी हफ्ते मालदीव की संसद ने ‘‘प्रतिष्ठा, सम्मान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सरंक्षण’’ कानून पारित किया था जिसके तहत मानहानि करने वाली कोई भी अभिव्यक्ति चाहे वह ‘इस्लाम के किसी भी सिद्धांत’’ के खिलाफ टिप्पणी हो या ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो’’ या फिर ‘‘सामान्य सामाजिक नियमों के विरुद्ध हो’’ उसे अपराध की श्रेणी में ला दिया गया था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
विचारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए संरा के विशेष प्रतिवेदक डेविड काये ने कहा, ‘‘अस्पष्ट और व्यापक आधारों पर अभिव्यक्ति को अपराध की श्रेणी में ला देने वाला मालदीव का यह कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।’’ काये ने कहा कि बिल में अभिव्यक्ति से संबंधित जिन कारकों को शामिल किया गया है मसलन धर्म के इस्तेमाल की अस्पष्ट परिभाषा, सामाजिक नियम और मानहानि आदि न केवल अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करते हैं बल्कि देश के अपने संविधान के दायित्चों का भी उल्लंघन करते हैं।
मानवाधिकार पर संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त कार्यालय की ओर से जारी किए गए वक्तव्य में उन्होंने कहा है, ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मूलभूत अधिकार है और इस पर किसी भी किस्म की पाबंदी को बारीकी और निष्पक्षता से परिभाषित किया जाना चाहिए। यह साधारण मुद्दा नहीं है।’’ इसी हफ्ते मालदीव की संसद ने ‘‘प्रतिष्ठा, सम्मान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सरंक्षण’’ कानून पारित किया था जिसके तहत मानहानि करने वाली कोई भी अभिव्यक्ति चाहे वह ‘इस्लाम के किसी भी सिद्धांत’’ के खिलाफ टिप्पणी हो या ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो’’ या फिर ‘‘सामान्य सामाजिक नियमों के विरुद्ध हो’’ उसे अपराध की श्रेणी में ला दिया गया था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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