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This Article is From Oct 03, 2015

भारत की कथित 'अघोषित नाकेबंदी' के विरोध में संयुक्त राष्ट्र पहुंचा नेपाल

भारत की कथित 'अघोषित नाकेबंदी' के विरोध में संयुक्त राष्ट्र पहुंचा नेपाल
काठमांडू: नेपाल ने भारत की सीमा से लगे एक प्रमुख व्यापार स्थल को कथित तौर पर बाधित किए जाने को लेकर संयुक्त राष्ट्र का रुख किया है, तथा उसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि उसकी पारगमन की स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाया जाए।

नेपाली प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे उप-प्रधानमंत्री प्रकाश मान सिंह ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून से मुलाकात की। इस दौरान सीमा पर 'भारत की नाकेबंदी' के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। सिंह से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी है।

सूत्रों ने कहा कि बान ने जरूरी सामान की आपूर्ति बाधित किए जाने और इससे होने वाली दिक्कतों को लेकर चिंता जताई। संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए सिंह ने शुक्रवार को विश्व समुदाय से अपील की थी कि वियना कार्यक्रम (2014-2024) के प्रभावी कार्यान्वयन के जरिए नेपाल जैसे समुद्री सीमा से रहित विकासशील देशों के लिए समुद्र तक प्रभावी और निर्बाध पहुंच सुनिश्चित की जाए।

सिंह ने कहा, 'समुद्री सीमा से रहित देशों की पारगमन की स्वतंत्रता का सभी देशों द्वारा संपूर्ण रूप से और बिना शर्त पालन किया जाना चाहिए।' प्रकाश मान सिंह का बयान नेपाल के इस दावे की पृष्ठभूमि में आया है कि नए संविधान का विरोध कर रहे लोगों द्वारा भारत की सीमा से लगे एक प्रमुख व्यापार स्थल की 'अघोषित नाकाबंदी' किए जाने के कारण उसे ईंधन और रसोई गैस जैसी जरूरी वस्तुओं की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने नए संविधान को स्वीकार किए जाने को लेकर नेपाल सरकार और लोगों की सराहना की। बान ने आंदोलनकारी समूहों के साथ बातचीत के लिए माहौल तैयार करने के मंत्री परिषद के निर्णय का स्वागत किया।

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