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This Article is From Apr 28, 2015

बचाव अभियान प्रभावी नहीं, 10,000 तक पहुंच सकती है मृतकों की संख्या, बोले नेपाल के पीएम

बचाव अभियान प्रभावी नहीं, 10,000 तक पहुंच सकती है मृतकों की संख्या, बोले नेपाल के पीएम
काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोईराला ने मंगलवार को भारत, चीन और अमेरिका के राजदूतों से कहा कि विनाशकारी भूकंप में मृतकों की संख्या 10,000 तक पहुंच सकती है।

कोईराला ने बताया कि शनिवार को आए विनाशकारी भूकंप में अब तक 4,400 के करीब लोगों की मौत हो चुकी है तथा घायलों में अनेक की हालत गंभीर है, साथ ही सैकड़ों की संख्या में लोग अभी भी लापता हैं।

कोईराला के मीडिया सलाहकार प्रकाश अधिकारी ने बताया कि कोईराला ने राजदूतों से कहा है कि इन सभी को मिलाकर देखा जाए तो मृतकों की संख्या 10,000 तक पहुंच सकती है।

कोईराला के अनुमान के मुताबिक, यह नेपाल के इतिहास का सबसे विनाशकारी भूकंप साबित हो सकता है। उन्होंने साथ ही भूकंप पीड़ितों की मदद तथा नेपाल को पुनर्निर्मित करने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से और मदद की गुहार भी लगाई है तथा मदद में तेजी लाने की मांग की है।

भूंकप प्रभावित नेपाल में भोजन, पानी, बिजली और दवाइयों की भारी कमी के कारण संकट मंडरा रहा है और दोबारा भूकंप आने की आशंका के कारण हजारों लोग खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं।

नेपाल के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि शनिवार को आए जबर्दस्त भूकंप के बाद अभी तक कम से कम 4,352 शवों को बरामद कर लिया गया है। भूकंप के कारण 8,063 व्यक्ति घायल हुए हैं। अधिकारियों ने कहा कि राजधानी काठमांडू और भूकंप से बेहद प्रभावित कुछ सुदूर पहाड़ी इलाकों में अभी भी सैकड़ों लोग भारी मलबों के नीचे दबे हुए हैं, जिसके कारण मरने वालों की संख्या 5,000 के पार कर जाने की आशंका है।

हताहत हुए लोगों की संख्या के आधार पर सिंधुपलचौक, काठमांडू, नुवाकोट, धदिंग, भक्तपुर, गोरखा, कावरे, ललितपुर और रासुवा सर्वाधिक प्रभावित जिले घोषित किए गए हैं। सरकार ने कहा है कि कुल मिला कर 60 जिले भूकंप से प्रभावित हुए हैं। भूकंप में मारे जाने वालों में 923 लोग काठमांडो, 240 लोग भक्तपुर और 157 लोग ललितपुर के हैं, जबकि शेष लोग काठमांडो घाटी के बाहरी इलाके से हैं।

सरकार प्रभावित इलाकों में टेंट, पानी, दवाई, स्वास्थ्य कर्मियों और स्वयंसेवकों को भेजने की तैयारी कर रही है। प्रधानमंत्री ने लोगों से रक्तदान की भी अपील की।

भूकंप में घरों और भवनों के जमींदोज हो जाने के कारण और इसके बाद लगातार आने वाले तेज झटकों के कारण लोग प्लास्टिक से बने तंबुओं में रहने के लिए मजबूर हैं। ये तंबू उन्हें शहर में हुई बारिश एवं ठंड से ही बमुश्किल बचा पा रहे हैं।

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