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This Article is From Jul 25, 2011

नेपाल में नया भूचाल, कैबिनेट में फेरबदल की मांग

नेपाल का असामान्य सत्ताधारी गठबंधन सोमवार को नए भूचाल से हिल उठा, क्योंकि गठबंधन में हावी माओवादियों ने कैबिनेट में भारी फेरबदल की मांग कर दी।
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काठमाण्डू: नेपाल का असामान्य सत्ताधारी गठबंधन सोमवार को नए भूचाल से हिल उठा, क्योंकि गठबंधन में हावी माओवादियों ने कैबिनेट में भारी फेरबदल की मांग कर दी। और प्रधानमंत्री व माओवादी इस मुद्दे पर आमने-सामने आ गए। माओवादी पार्टी के भीतर जारी घमासान के बीच अंतत: पार्टी प्रमुख पुष्प कमल दहाल प्रचंड प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल सरकार से माओवादी मंत्रियों को वापस बुलाने और पार्टी के नए 24 मंत्रियों को सरकार में शामिल करने की सिफारिश करने पर राजी हो गए। प्रचंड की ओर से अपने विरोधी साथियों, बाबूराम भट्टराई और मोहन बैद्य के लिए यह तोहफा था। दोनों नेता पार्टी नेतृत्व में परिवर्तन की मांग कर रहे हैं। पार्टी की केंद्रीय कमेटी द्वारा तय की गई नई सूची से उन दो दागी मंत्रियों को हटा दिया गया है, जिनकी नियुक्ति का मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने विरोध किया था। उपप्रधानमंत्री कृष्ण बहादुर महारा मानवाधिकार संगठनों के निशाने पर हैं। महारा ने माओवादी नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों को वापस ले लिया था। गृह मंत्री का प्रभार भी उन्हीं के पास है। माओवादियों के दूसरे मंत्री अग्नि प्रसाद सपकोटा के खिलाफ एक कानूनी याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि उन्होंने माओवादियों के 10 वर्ष के संघर्ष के दौरान एक स्कूल अध्यापक की हत्या का आदेश दिया था। माओवादी नेतृत्व और प्रधानमंत्री ने इन दोनों दागी मंत्रियों को हटाए जाने की मांगों को अनसुना कर दिया था, लेकिन आज प्रचंड खुद पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए दोनों मंत्रियों की कुर्बानी देने को तैयार हो गए हैं। माओवादियों के इस कदम को प्रधानमंत्री की ओर से अनपेक्षित विरोध का सामना करना पड़ा है। उस प्रधानमंत्री से जिसे अबतक माओवादियों के हाथों की कठपुतली कहा जाता रहा है। प्रचंड ने सोमवार को जब खनाल से मुलाकात की और उन्हें माओवादी मंत्रियों की नई सूची के बारे में जानकारी दी तो खनाल ने इस कदम से असहमति जताई और कहा कि माओवादियों को इस पर सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी, नेपाली कांग्रेस से मशविरा करना चाहिए। सरकार के लिए यह तनावभरा समय है, क्योंकि अगले महीने उसे एक संवैधानिक संकट का सामना करना होगा, जब उसे एक नया संविधान जारी करना होगा।

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