फाइल फोटो
वेटिकन सिटी:
अपने परमार्थ कार्यों की वजह से 20वीं सदी के मानवीय जगत और ईसाई समुदाय में काफी ऊंचा मुकाम हासिल करने वाली मदर टेरेसा आगामी रविवार को संत घोषित की जाएंगी. नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा को संत की उपाधि उनकी 19वीं पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर प्रदान की जाएगी.
साल 1997 में कोलकाता में उनका निधन हुआ था जो शहर उनके सेवा कार्यों का प्रमुख केंद्र रहा था. टेरेसा ने करीब चार दशक तक कोलकाता में निर्धन लोगों की सेवा की. वह एक मिशनरी शिक्षक के तौर पर आरयलैंड के लोरेटो ऑर्डर के साथ कोलकाता पहुंची थीं और उसी शहर को उन्होंने मानवता की सेवा के केंद्र के तौर पर चुना.
कोसोवर अल्बानिया (मैसेडोनिया) में 1910 में जन्मीं टेरेसा ने पूरी दुनिया में घर-घर तक पहचान बनाईं और भारत की नागरिक भी बनीं. उन्होंने भारत को अपनाया और भारत ने भी दिल से उन्हें अपनाया और निधन पर राजकीय सम्मान से उनकी आखिरी विदाई भी की गई. पोप जॉन पॉल द्वितीय मदर टेरेसा के निजी मित्र थे. उन्होंने टेरेसा को संत घोषित करने के पहले की प्रक्रिया को काफी तेज पूरा कराया. मौजूदा पोप फ्रांसिस भी टेरेसा के बड़े मुरीद हैं.
टेरेसा द्वारा 1950 में स्थापित ‘मिशनरी ऑफ चैरिटी’ अब 133 देशों में काम करता है और इससे करीब 5,000 सदस्य जुड़े हुए हैं. वैसे टेरेसा को लेकर कुछ विवाद भी जुड़े. शोधकर्ताओं ने उनके संस्थान की गतिविधियों में वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया और उनके मिशन चलाने पर सवाल खड़ा किया. मदर टेरेसा भी अपनी आलोचना से अच्छी तरह वाकिफ थीं और उनको कहा था कि ईसामसीह में उनकी आस्था ने उनको यह आभास कराया कि मर रहे किसी इंसान का हाथ पकड़ना बहुमूल्य कार्य है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
साल 1997 में कोलकाता में उनका निधन हुआ था जो शहर उनके सेवा कार्यों का प्रमुख केंद्र रहा था. टेरेसा ने करीब चार दशक तक कोलकाता में निर्धन लोगों की सेवा की. वह एक मिशनरी शिक्षक के तौर पर आरयलैंड के लोरेटो ऑर्डर के साथ कोलकाता पहुंची थीं और उसी शहर को उन्होंने मानवता की सेवा के केंद्र के तौर पर चुना.
कोसोवर अल्बानिया (मैसेडोनिया) में 1910 में जन्मीं टेरेसा ने पूरी दुनिया में घर-घर तक पहचान बनाईं और भारत की नागरिक भी बनीं. उन्होंने भारत को अपनाया और भारत ने भी दिल से उन्हें अपनाया और निधन पर राजकीय सम्मान से उनकी आखिरी विदाई भी की गई. पोप जॉन पॉल द्वितीय मदर टेरेसा के निजी मित्र थे. उन्होंने टेरेसा को संत घोषित करने के पहले की प्रक्रिया को काफी तेज पूरा कराया. मौजूदा पोप फ्रांसिस भी टेरेसा के बड़े मुरीद हैं.
टेरेसा द्वारा 1950 में स्थापित ‘मिशनरी ऑफ चैरिटी’ अब 133 देशों में काम करता है और इससे करीब 5,000 सदस्य जुड़े हुए हैं. वैसे टेरेसा को लेकर कुछ विवाद भी जुड़े. शोधकर्ताओं ने उनके संस्थान की गतिविधियों में वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया और उनके मिशन चलाने पर सवाल खड़ा किया. मदर टेरेसा भी अपनी आलोचना से अच्छी तरह वाकिफ थीं और उनको कहा था कि ईसामसीह में उनकी आस्था ने उनको यह आभास कराया कि मर रहे किसी इंसान का हाथ पकड़ना बहुमूल्य कार्य है.
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