भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने से चीन और भारत नजदीक आ सकते हैं, लेकिन उनकी जीत से अमेरिका और पश्चिमी ताकतें नाराज हो सकती हैं। चीन के एक प्रतिष्ठित सरकारी दैनिक में आज छपे आलेख में यह बात कही गई है।
सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के आधिकारिक प्रकाशन 'ग्लोबल टाइम्स' में छपे एक आलेख के अनुसार, 'मोदी एक समय व्यावहारिक व्यवसायी थे। उन्होंने राजनीति में आने के बाद चीन के साथ अच्छे संबंध कायम किए हैं।'
आलेख में कहा गया, 'बड़ी संख्या में चीनी उद्यमियों ने गुजरात में निवेश किया है, जिससे राज्य के आर्थिक विकास में योगदान दिया गया। लिहाजा मोदी के नेतृत्व में चीन एवं भारत के बीच रिश्तों में नजदीकी आ सकती है।'
यह आलेख सरकार द्वारा संचालित शंघाई अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संस्थान के सामरिक विश्लेषक लियु जोगयी ने लिखा है। इसमें कहा गया कि मोदी की जीत अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों के लिए रूचिकर नहीं होगी। अमेरिका ने 2002 में उनकी कथित भूमिका को लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री पर प्रतिबंध लगा दिया था।
अरुणाचल प्रदेश में प्रचार के दौरान सीमा मुद्दे को लेकर मोदी द्वारा चीन के खिलाफ की गई टिप्पणी का सीधे उल्लेख किए बिना आलेख में कहा गया कि पश्चिमी मीडिया का एक वर्ग और पर्यवेक्षक उनकी टिप्पणी को जानबूझ कर तूल दे रहे हैं, ताकि चीन और भारत के बीच रिश्तों में खटास आ सके। मोदी ने कहा था कि चीन को अपनी 'विस्तारवादी नीति' त्याग देनी चाहिए।
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