
Canada Election Results 2025: मार्क कार्नी कनाडा के पीएम बने रहेंगे. कनाडा की लिबरल पार्टी को जस्टिन ट्रूडो जिस पोजिशन में छोड़कर गए थे, उसे मार्क कार्नी ने दो महीने से कम वक्त में बदल दिया है. लिबरल पार्टी को 343 सीटों वाली कनाडा के संसद में अपने दम पर बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है लेकिन पार्टी 2019 से ही गठबंधन सरकार चला रही है और एक बार फिर यही होता दिख रहा है. यह जीत है एक ऐसे राजनेता कि है जिसे राजनीति का नहीं, इकनॉमी संभालने का अनुभव है. यह जनादेश उस कनाडा का है जहां की जनता ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को साफ-साफ कह दिया है कि उसे अमेरिका का 51वां राज्य नहीं बनना है.
मार्क कार्नी- राजनेता से पहले एक इकनॉमिस्ट
कार्नी के बारे में सबसे खास बात यह है कि वो कोई ऐसे राजनेता नहीं है जिनके पास राजनीति का अनुभव है. वो विशुद्ध रूप से एक इकनॉमिस्ट रहे हैं. वो 2008 से 2013 तक बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर और 2013 से 2020 तक बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर रहे हैं. खास बात है कि जस्टिन ट्रूडो को हटाकर जब उन्होंने लिबरल पार्टी की कमान अपने हाथ में ली थी और मार्च में पीएम बने थे, तब उनके पास हाउस ऑफ कॉमन्स यानी कनाडा की संसद में कोई सीट नहीं है. ऐसे समझिए कि वो सांसद नहीं थे. वह कनाडा के इतिहास में हाउस ऑफ कॉमन्स में सीट के बिना केवल दूसरे प्रधान मंत्री बने. इस बार उन्होंने ओटावा के पास नेपियन सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. यानी इस बार पीएम बनते वक्त सदन में उनके पास अपनी सीट होगी.
ट्रंप ने लिबरल पार्टी और मार्क कार्नी के लिए आसान बनाया रास्ता
जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व में लिबरल पार्टी एंटी-इनकमबैसी का सामना कर रही थी, बढ़ती महंगाई की वजह से लोगों में सरकार के प्रति खासा रोष था. लेकिन ट्रंप के राष्ट्रपति बनने और जस्टिन ट्रूडो की जगह मार्क कार्नी के पीएम बनने ने पूरा प्लॉट ही बदल दिया. अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के साथ ट्रंप ने अमेरिकी व्यापार पर निर्भर इस देश पर कई दौर के टैरिफ लगाने की धमकी दी है. यही नहीं ट्रंप ने कनाडा को अमेरिका में मिलाकर उसे 51वां राज्य बनाने की भी बात कही है.
ऐसे में कनाडा में राजनीति करने के लिए बेसिक जरूरत यह हो गई कि आप ट्रंप विरोधी स्टैंड रखते हों. मार्क कार्नी के साथ भी ऐसा ही है. वो पहले ही ट्रंप को वोल्डेमॉर्ट (हैरी पॉटर सीरिज का कैरेक्टर) कह चुके थे और पीएम बनने के बाद भी वो ट्रंप पर और भी ज्यादा हमलावर हो गए.
उन्होंने पिछले महीने एक इंटरव्यू में कहा था: "राष्ट्रपति ट्रंप शायद सोचते हैं कि कनाडा झुक जाएगा. लेकिन हम एक बुली के खिलाफ खड़े होने जा रहे हैं, हम पीछे नहीं हटने वाले हैं. हम एकजुट हैं और हम जवाबी कार्रवाई करेंगे." कार्नी ने ट्रंप द्वारा उत्पन्न खतरों को "जीवनकाल का सबसे गंभीर संकट" कहा है और वोटिंग से एक दिन पहले रविवार को कहा कि अमेरिका "हमारे संसाधन, हमारा पानी, हमारी जमीन, हमारा देश" चाहता है.
भारत के लिए यह खबर कैसी है?
मार्च में जब कार्नी ने पीएम पद की शपथ ली थी तबसे ही भारत को कनाडा के साथ रिस्ते सुधारने की उम्मीद जग गई थी. यही माना गया कि मार्क कार्नी का पीएम बनना भारत के लिए कनाडा में एक फ्रेश शुरुआत की तरह है. और अब उनके फिर से चुनाव जीतने के बाद उस फ्रेश शुरुआत को अच्छे रिश्ते में तब्दील करने का वक्त आ गया है.
सितंबर 2024 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का "संभावित" हाथ होने का आरोप तब के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने लगाया था. इसके बाद भारत और कनाडा के बीच संबंध गंभीर तनाव में आ गए. नई दिल्ली ने आरोपों को बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया है. भारत ने कहा है कि कनाडा के साथ "मुख्य मुद्दा" यह है कि कनाडा ने अपने देश में खालिस्तानी अलगाववादियों को जगह दे रखी है. कनाडा को लेकर भारत की चिंता और उससे उम्मीद सिर्फ इतनी भर है- वह अपने जमीन पर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वाले खालिस्तानी तत्वों को शह न दे और दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते अच्छे हो.
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