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This Article is From Nov 11, 2012

मालदीव ने भारत विरोधी बयान पर माफी मांगी

मालदीव ने भारत विरोधी बयान पर माफी मांगी
माले: मालदीव ने राष्ट्रपति के प्रवक्ता अब्बास आदिल रिजा की ओर से भारत के उच्चायुक्त के खिलाफ दिए गए बयान के बाद उपजे तनाव को कम करने के लिए माफी मांगी है।

आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को बताया कि मालदीव के राष्ट्रपति मुहम्मद वहीद ने भारत के उच्चायुक्त से कहा है कि वह इस गलती को ‘ठीक करने’ के लिए कदम उठाएंगे।

रिजा ने शुक्रवार को ‘23 दिसंबर अलाएंस’ की ओर से आयोजित एक रैली में भारत के उच्चायुक्त दयानेश्वर मुलय को ‘गद्दार’ और ‘मालदीव का एक दुश्मन’ कहा था। यह रैली पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद की सरकार के उस फैसले का विरोध करने के लिए आयोजित की गई, जिसमें इब्राहिम नसीर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा को भारत की कंपनी जीएमआर को पट्टे पर दिया गया।

रिजा ने कहा, ‘‘एक राजनयिक का काम अपने देश एवं लोगों के लिए काम करना है, ना कि एक निजी कंपनी के हितों की रक्षा करना.. वह गद्दार और मालदीव एवं मालदीव के लोगों के दुश्मन हैं। हम अपने यहां इस तरह के राजनयिक नहीं चाहते।’’ हालांकि बाद में राष्ट्रपति मुहम्मद वहीद की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी एक बयान में कहा गया कि मालदीव सरकार अब्बास आदिल रिजा एवं कुछ अन्य सरकारी अधिकारियों के बयान से खुद को अलग करती है। बयान में कहा गया कि ये सरकार के विचार नहीं हैं।

भारत के उच्चायोग की ओर से जारी एक बयान में रिजा के इस बयान की निंदा की गई और इसे ‘‘राजनयिक प्रोटोकाल के विरुद्ध’’ बताया गया। बाद में रिजा ने दावा कि उन्होंने मुलय को ‘‘गद्दार’’ नहीं कहा और सिर्फ यह कहा कि ‘‘जीएमआर के जाने के बाद हमारी एक नई मांग है, मुलय को भी जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कहा था कि जिन लोगों से मालदीव में भारत के वृहत हितों की रक्षा करने की अपेक्षा की जाती है, वे ऐसा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने जीएमआर से रिश्वत ली। वे गद्दार हैं। मैंने किसी का नाम नहीं लिया।’’ रिजा ने कहा कि अगर मुलय ने ‘‘लोगों की भावनाओं को समझा होता, तो बातें इस स्तर तक नहीं पहुंचतीं। लोगों ने सरकार को छह दिनों का वक्त दिया। छह दिनों में हम क्या कर सकते हैं?’’

उन्होंने कहा, ‘‘उनका (मुलय) नाम लेकर (उनके वापस जाने की मांग के दौरान) मैंने तनाव को कम करने की कोशिश की। भारत के उच्चायुक्त एक अवैध करार को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।’’

उधर, उच्चायोग के बयान में कहा गया कि इस संदर्भ में गौर करने वाली बात है कि वर्ष 2012 में पदभार संभालने के बाद मालदीव के राष्ट्रपति ने भारत को आश्वासन दिया और नई दिल्ली के अपने दौरे में उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी आश्वस्त किया था कि जीएमआर समेत भारत की सभी कंपनियों के निवेश की रक्षा की जाएगी। जीएमआर मालदीव में निवेश करने वाली सबसे बड़ी कंपनी है।

भारत के उच्चायोग के बयान में यह भी कहा गया कि मालदीव सरकार को बताया गया है कि साझा हितों के बड़े मुद्दों को सार्वजनिक तौर पर या मंच पर नहीं उछाला जाना चाहिए। इसमें कहा गया कि मालदीव की नई सरकार ने जीएमआर समेत कुछ मुद्दे उठाए हैं और इन मुद्दों का हल बातचीत के जरिये निकाला जा सकता है। वार्ता विफल होने की सूरत में यह देश मध्यस्थता का मार्ग अपना सकता है।

उधर, मालदीव के राष्ट्रपति की वेबसाइट पर जारी बयान में सरकार ने खुद को इस बयान से दूर कर लिया है।

इस बयान में कहा गया है, ‘‘यह जमावड़ा कुछ राजनैतिक दलों और कुछ लोगों ने किया था। इस रैली में अब्बास आदिल रिजा की ओर से रखे गए विचार, हालांकि ये उनके विचार थे, खेदजनक है। यह मालदीव सरकार के विचार नहीं हैं, विशेष तौर पर मालदीव में भारत के उच्चायुक्त डीएम मुलय के खिलाफ दिया गया बयान।’’

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