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This Article is From Nov 10, 2012

मलाला दिवस पर संयुक्त राष्ट्र ने की पाकिस्तानी किशोरी की सराहना

मलाला दिवस पर संयुक्त राष्ट्र ने की पाकिस्तानी किशोरी की सराहना
संयुक्त राष्ट्र / लंदन / नई दिल्ली: पाकिस्तान की किशोरी मानवाधिकार कार्यकर्ता यूसुफजई मलाला के सम्मान में 10 नवंबर को दुनिया भर में 'मलाला दिवस' के रूप में मनाए जाने के आह्वान के साथ संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून ने इस किशोरी की साहसिक कोशिशों के प्रति समर्थन जताया है। मून ने मलाला को प्रत्येक बालिका की शिक्षा का 'वैश्विक प्रतीक' करार दिया।

वैश्विक शिक्षा मून के विशेष दूत एवं पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री गार्डन ब्राउन ने कहा है कि 10 नवंबर को मलाला दिवस घोषित किया गया है। गौरतलब है कि एक महीने पहले तालिबान ने मलाला पर गोली चलाई थी। पाकिस्तान में बालिका शिक्षा के लिए अभियान चलाने को लेकर मलाला के खिलाफ यह हमला किया गया था। लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने वाली मलाला को तालिबान ने हमला करके घायल कर दिया था।

15-वर्षीय मलाला का बर्मिंघम के क्वीन एलिजाबेथ अस्पताल में इलाज चल रहा है। अस्पताल ने मलाला की एक फोटो जारी की, जिसमें वह बैठकर एक पुस्तक पढ़ रही है। मलाला के पिता, मां और दो भाई दिन में दो बार उससे मिलते हैं। मलाला के 15 अक्टूबर को बर्मिंघम में आने के बाद से उसे हजारों उपहार, कार्ड और समर्थन संदेश मिले हैं। सात हजार से अधिक लोगों ने अस्पताल के संदेश पट पर उसके लिए संदेश लिखा है।

हमले के एक महीने बाद मलाला के पिता जियाउद्दीन यूसुफजई ने उसकी ओर से संदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि वह अपने जीवन और मजबूत बने रहने में मदद करने के लिए शुभचिंतकों को धन्यवाद देना चाहती है। मलाला के पिता ने 'यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स बर्मिंघम एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट' द्वारा जारी बयान में कहा, वह चाहती है कि मैं सबको यह बताऊं कि वह दुनिया भर के उन पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की एहसानमंद और खुश है, जो उसे स्वस्थ देखना चाहते हैं।

मानवाधिकार कार्यकर्ता मलाला युसुफजई पर हमले पर गहरा खेद व्यक्त करते हुए पाकिस्तान के शिक्षा एवं प्रशिक्षण मंत्री सरदार शाहजहान यूसुफ ने लड़कियों के उत्थान के लिए काम करने वाली इस नन्ही सामाजिक कार्यकर्ता को साहस और विश्वास का प्रतीक बताया और उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की।

यूसुफ ने कहा, मलाला ने ऐसे इलाके में अंधेरे में उजाला फैलाने का अभियान चलाया, जहां स्कूल बंद कर दिए गए थे...इस बच्ची ने शिक्षा के लिए संघर्ष किया। वह घर से बाहर निकली। उन्होंने हमारे मुल्क और दुनिया की लड़कियों के समक्ष साहस का प्रदर्शन किया। वह साहस और विश्वास की प्रतीक है।

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