विज्ञापन
This Article is From Nov 30, 2019

कौन है लंदन ब्रिज का हमलावर उस्मान खान?

उस्मान खान ने स्कूल छोड़ दिया था और उसने अपने किशोरावस्था का कुछ हिस्सा पाकिस्तान में बिताया था, जहां वह अपनी बीमार मां के साथ रहता था.

कौन है लंदन ब्रिज का हमलावर उस्मान खान?
लंदन:

लंदन ब्रिज पर शुक्रवार को हमला कर दो लोगों की जान लेने वाला उस्मान खान एक ब्रिटिश नागरिक है. आतंकवाद के एक मामले में दोषी ठहराया जा चुका उस्मान खान पैरोल पर बाहर था और उसने वहां इकट्ठे हुए छात्रों और पूर्व कैदियों पर हमला किया. द टेलीग्राफ के अनुसार, खान ने स्कूल छोड़ दिया था और उसने अपने किशोरावस्था का कुछ हिस्सा पाकिस्तान में बिताया था, जहां वह अपनी बीमार मां के साथ रहता था.

डॉन न्यूज ने द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि इंग्लैंड लौटने पर उसने इंटरनेट पर कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार शुरू कर दिया और महत्वपूर्ण रूप से कई लोगों को आकर्षित किया.

जनवरी 2012 में इंग्लैंड के आतंकवाद अधिनियम 2006 का उल्लंघन कर आतंकवाद से संबद्ध तैयारियों में संलिप्त होने में खान को दोषी पाया गया.

खान 2010 में क्रिस्मस जुलूस के दौरान लंदन में हाई-प्रोफाइल हमले करने की साजिश रचने वाले नौ दोषियों में शामिल था. उस समय सभी लोगों को अलकायदा से प्रेरित समूह बताया गया था, जो विभिन्न स्थानों पर बम भेजकर 'मुंबई' जैसा हमला करना चाहते थे.

उस समय गिरफ्तारी के समय खान मध्य इंग्लैंड में एक शहर स्टॉक-ऑन-ट्रेंट में रहता था.

उस समय बचाव पक्ष के एक व्यक्ति के घर पर लक्षित स्थानों की एक सूची बरामद हुई थी, जिसमें उस समय लंदन के मेयर और वर्तमान में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, अमेरिकी दूतावास और स्टॉक एक्सचेंज के नाम और पते शामिल थे.

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन की पुलिस के जिस आतंकवाद-रोधी अभियान में इन लोगों को गिरफ्तार किया गया, वह 2010 का सबसे बड़ा अभियान था.

खान को जन सुरक्षा के लिए अधिकतम आठ साल की कैद की सजा सुनाई गई थी. इंग्लैंड में जनता की सुरक्षा के लिए यह सजा एक गंभीर अपराधियों को सुनाई जाती है, जिनका अपराध आजीवन कारावास की सजा देने योग्य नहीं है.

इसके तहत सजा पूरी होने के बाद दोषी पैरोल के लिए आवेदन कर सकते हैं.

इसके बाद पैरोल बोर्ड दोषी से जन सुरक्षा के प्रति संतुष्ट होने पर उसे रिहा कर देता है. रिहा किए जाने के बाद दोषियों को कम से कम 10 साल का निगरानी लाइसेंस दिया जाता है.

2010 के मामले की सुनवाई करने वाले और 2013 में खान और अन्य दोषियों को सजा सुनाने वाले जज ने कहा था, "वे अपने धार्मिक विश्वास को बढ़ावा देने में आतंकवाद की घटना को अंजाम देने और उसे सहयोग करना चाहते थे. वे सुरक्षा बलों की निगरानी में आ गए थे."

उन्होंने यह भी कहा था कि देश के विभिन्न हिस्सों (स्टोक, कार्डिफ और लंदन) से होने के बावजूद संगठन के सदस्य एक-दूसरे से मिल लेते थे.

जज ने कहा कि खान समेत स्टोक के अन्य दोषियों को विदेश में आतंकवादी घटनाओं के बारे में चर्चा करते हुए सुना गया था.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com