नई दिल्ली:
लीबिया की स्थिति और बिगड़ने की आशंकाओं के बीच भारत ने वहां मौजूद अपने करीब 18,000 नागरिकों को निकालने की विस्तृत योजना तैयार कर ली है। भारत नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए युद्ध स्तर पर वायु, समुद्र और भूमि मार्गों का इस्तेमाल करेगा। विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा कि शनिवार को 350 यात्रियों की क्षमता वाला बोइंग-747 और करीब 290 यात्रियों की क्षमता वाला एयरबस ए-330 क्रमश: मुम्बई और नई दिल्ली से त्रिपोली के लिए उड़ान भरेंगे। ये दोनों विमान सात मार्च तक त्रिपोली से प्रत्येक दिन उड़ान भरेंगे। लीबिया के अधिकारियों द्वारा भारतीय विमानों को त्रिपोली में उतरने की अनुमति दिए जाने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। नौ सेना के एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए दो युद्धपोत शनिवार को मुम्बई से रवाना हो सकते हैं। दोनों पोत मिस्र के शहर अलेक्जेंड्रिया पहुंचने में करीब 11 दिनों का समय ले सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि 750 यात्रियों की क्षमता वाले एक अन्य पोत की तैनाती बेनघाजी शहर से भारतीयों को निकालकर अलेक्जेंड्रिया लाने के लिए की जाएगी। इनके अलावा 200 भारतीय भूमि मार्ग से मिस्र पहुंचेंगे। यहां से भारतीय हवाई जहाज से स्वदेश लौटेंगे। सरकार एक ओर जहां लीबिया में फंसे नागरिकों को निकालने का प्रयास कर रही है। वहीं इस बात की रिपोर्ट भी आई है कि कुछ 'असमाजिक तत्व' भारतीयों से पैसा ऐंठने की कोशिश कर रहे हैं। असामाजिक तत्वों को आड़े हाथों लेते हुए विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि वह लोगों को निकालने के लिए कोई शुल्क नहीं ले रही है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया, "यह बात सामने आई है कि कुछ असामाजिक तत्व लीबिया स्थित भारतीय दूतावास के माध्यम से भारतीयों की वापसी का प्रबंध करने के लिए भुगतान या सुविधा शुल्क के नाम पर पैसा ऐंठ रहे हैं।" मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि सरकार ने लीबिया से भारतीयों की वापसी के लिए उन पर किसी तरह का शुल्क नहीं लगाया है।
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लीबिया, भारतीय