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This Article is From Apr 02, 2013

इतालवी राजदूत पर लगी पाबंदी हटी

इतालवी राजदूत पर लगी पाबंदी हटी
नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने इटली के राजदूत डेनियल मेंसिनी के भारत छोड़कर जाने पर पाबंदी लगाने वाले अपने 14 तथा 18 मार्च के आदेश को मंगलवार को वापस ले लिया।

न्यायालय का यह आदेश इटली द्वारा भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी नौसैनिकों को मुकदमे की सुनवाई के लिए भारत भेजने के बाद आया है। इससे पहले इटली ने नौसैनिकों को भारत भेजने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद न्यायालय ने इटली के राजदूत के देश छोड़ने पर पाबंदी लगा दी थी।

इतालवी राजदूत को भारत छोड़ने पर प्रतिबंधित करने वाले अपने 14 तथा 18 मार्च को दिए गए अंतरीम आदेश का संदर्भ देते हुए प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर, न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे तथा न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन ने कहा, "चूंकि दोनों इतालवी नौसैनिक, प्रार्थी संख्या दो और तीन, नियत समय के भीतर लौट आए हैं, इसलिए इतालवी राजदूत डेनियल मेंसिनी द्वारा किया गया वादा संतोषप्रद साबित हुआ।"

इतालवी राजदूत मेंसिनी ने भारतीय विदेश मंत्रालय को 15 मार्च को लिखे अपने पत्र में विएना संधि के अंतर्गत मेजबान देश द्वारा राजनयिकों की रक्षा करने के दायित्व को उद्धृत किया था।

सर्वोच्च न्यायालय ने ही आरोपी नौसैनिकों को इटली के आम चुनाव में मतदान के लिए स्वदेश जाने की अनुमति दी थी। मेंसिनी ने तब न्यायालय से वादा किया था कि नौसैनिक लौट आएंगे, लेकिन बाद में इटली की सरकार इससे मुकर गई थी।

सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने महान्यायवादी जीई वाहनवती से यह भी पूछा कि इस मामले की सुनवाई के लिए विशेष त्वरित अदालत गठित करने के उसके 18 जनवरी के आदेश के संबंध में केंद्र सरकार ने क्या कदम उठाए हैं और मामले में देरी क्यों की जा रही है।

खंडपीठ ने कहा, "हमने अपना आदेश इसलिए जारी किया था ताकि मामले की सुनवाई तेजी से की जा सके।"

वाहनवती द्वारा न्यायालय के 18 मार्च को दिए आदेश के बाद उठाए गए कदमों के बारे में बताए जाने के बाद न्यायमूर्ति कबीर ने कहा, "अब प्रश्न यह उठता है कि क्या हमें अपने पुराने आदेश (मेंसिनी को देश छोड़ने से प्रतिबंधित करने) में संशोधन करते हुए नया आदेश पारित करना होगा।"

न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 अप्रैल की तिथि निर्धारित की है, ताकि सरकार यह बता सके कि त्वरित अदालत गठित करने की दिशा में क्या कदम उठाए गए हैं।

वहीं, इटली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने विभिन्न मीडिया रपटों का जिक्र करते हुए कहा कि मामले की सुनवाई मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) की अदालत और मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपा गया है, जबकि न तो एनआईए और न ही सीजेएम की अदालत को इस मामले को निपटाने का अधिकार है। वाहनवती ने हालांकि न्यायालय से अपील की कि वह मीडिया रपट के आधार पर संज्ञान न ले।

सर्वोच्च न्यायालय ने 18 जनवरी के अपने आदेश में कहा था कि केवल भारत सरकार को ही इन दो इतालवी नौसैनिकों के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई करने का अधिकार है। इसलिए केंद्र सरकार प्रधान न्यायाधीश की सहमति से इस मामले की सुनवाई के लिए विशेष अदालत गठित करे।

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