इस्राइल के राष्ट्रपति र्यूवेन रिवलिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ (फाइल फोटो).
यरूशलम:
इस्राइल और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने के उद्देश्य से नई दिल्ली की छह दिवसीय यात्रा के लिए देश से रवाना होने से पहले इस्राइल के राष्ट्रपति र्यूवेन रिवलिन ने भारत को ‘‘करीबी मित्र’’ बताते हुए कहा कि दोनों देश ‘‘नवोन्मेष और प्रेरणा’’ के स्थल हैं.
कारोबारियों और शिक्षाविदों के बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ रवाना हुए रिवलिन भारत के चंडीगढ़ में एक एग्रो-टेक सम्मेलन के उद्घाटन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ शामिल होंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ मुलाकात करेंगे. इसके अलावा वह दोनों देशों के बीच सहयोग के स्थलों एवं संयुक्त परियोजनाओं का दौरा करेंगे.
मुंबई में वह साल 2008 में आतंकियों का निशाना बने स्थलों पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे और महात्मा गांधी की समाधि तथा विश्वयुद्ध के दौरान इस्राइल एवं पश्चिम एशिया में जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों के लिए बने स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे.
मुंबई आतंकी हमलों के दौरान देश की आर्थिक राजधानी में स्थित चबाड हाउस में छह यहूदी मारे गए थे. मुंबई हमलों में 166 से अधिक लोगों की जान गई थी. भारत यात्रा पर पत्नी के साथ गए रिवलिन वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों और यहूदी समुदाय के नेताओं के साथ भी बैठक करेंगे.
कल नई दिल्ली के लिए रवाना होने से तुरंत पहले रिवलिन ने कहा, ‘‘मैं इस्राइल के अहम सहयोगी और करीबी मित्र भारत की महत्वपूर्ण यात्रा के लिए रवाना हो रहा हूं. भारत और इस्राइल के बीच कई समानताएं हैं.’’
इस्राइल के राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘इस्राइल और भारत दोनों देश नवाचार और प्रेरणा के स्थल हैं. ये ऐसे देश हैं जिनकी परंपराएं प्राचीन हैं लेकिन उन्होंने मजबूत एवं उन्नत उच्च तकनीक की अर्थव्यवस्थाएं निर्मित की हैं और अब राजनयिक संबंधों के 25 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं. यह यात्रा मजबूत संबंधों और दोनों देशों के लोगों के बीच मित्रता का प्रतीक है तथा मुझे उम्मीद है कि हम मित्रता के इन बीजों को और करीब से पनपने के लिए रोपित करेंगे.’’ रिवलिन के साथ आ रहे शिक्षाविदों के प्रतिनिधिमंडल में इस्राइल के 13 अकादमिक संस्थानों के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल हैं जिनके द्वारा इस्राइल एवं भारतीय संस्थानों के बीच 15 अलग-अलग समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है.
इस्राइल की काउंसिल फॉर हायर एजुकेशन की बजट समिति के प्रमुख याफा जिलबरशैत्स ने कहा, ‘‘उच्च शिक्षा में अंतरराष्ट्रीय सहयोग का मुद्दा और इस्राइल एवं दुनिया विशेषकर भारत के बीच अकादमिक संबंधों में विस्तार देश में उच्च शिक्षा के लिए बहुवर्षीय योजना के केंद्रीय लक्ष्यों में से एक है.’’ उन्होंने बताया कि अकादमिक संबंधों के विस्तार में छात्र आदान-प्रदान, संयुक्त शोध परियोजनाएं और इस्राइली एवं भारतीय विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों के बीच अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने के वास्ते अंतर-संस्थानिक मंच की स्थापना शामिल हैं.
इससे पहले रिवलिन इस्राइल में भारतीय छात्रों को बधाई देते हुए कह चुके हैं, ‘‘वे :भारतीय छात्र: कई छात्रों में सर्वश्रेष्ठ हैं.’’
कारोबारी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे, ‘मन्युफैक्चर्स एसोसिएशन ऑफ इस्राइल’ के अध्यक्ष श्रैगा ब्रोश ने कहा, ‘‘इस्राइली उत्पादकों के लिए भारत एक बड़ी चुनौती पेश कर रहा है और इस प्रतिनिधिमंडल को अपने भारतीय समकक्षों के साथ सहयोग एवं सहभागिता को मजबूत करने का अवसर मिलेगा.’’ ब्रोश ने कहा, ‘‘मुझे कोई संदेह नहीं है कि यह एक फलदायी यात्रा होगी और इससे दीर्घकालिक आर्थिक सहभागिता बनेगी जिससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार की मजबूती एवं उसे बढ़ावा देने में सहयोग मिलेगा.’’ यह अटकलें तेज हैं कि रिवलिन की यात्रा से मोदी की यरूशलम यात्रा का मार्ग प्रशस्त होगा और अगर ऐसा होता है तो यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली इस्राइल यात्रा होगी. बहरहाल, अगले साल राजनयिक संबंधों की स्थापना की 25वीं सालगिरह के मौके पर यह यात्रा संभावित है.
कई वर्ष से इस्राइल निरंतर भारत के लिए रक्षा उपकरण का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है और करगिल युद्ध के दौरान भारतीय जरूरतों की आपूर्ति ‘‘नियत समय पर’’ करने से इस्राइल ने एक ‘विश्वस्त’ सहयोगी का दर्जा हासिल किया है.
भारत-इस्राइल द्विपक्षीय कारोबार ने उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. वर्ष 1992 में 20 करोड़ डॉलर से शुरू हुआ यह कारोबार अब पांच अरब डॉलर के एक सम्मानित आंकड़े तक पहुंच गया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कारोबारियों और शिक्षाविदों के बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ रवाना हुए रिवलिन भारत के चंडीगढ़ में एक एग्रो-टेक सम्मेलन के उद्घाटन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ शामिल होंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ मुलाकात करेंगे. इसके अलावा वह दोनों देशों के बीच सहयोग के स्थलों एवं संयुक्त परियोजनाओं का दौरा करेंगे.
मुंबई में वह साल 2008 में आतंकियों का निशाना बने स्थलों पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे और महात्मा गांधी की समाधि तथा विश्वयुद्ध के दौरान इस्राइल एवं पश्चिम एशिया में जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों के लिए बने स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे.
मुंबई आतंकी हमलों के दौरान देश की आर्थिक राजधानी में स्थित चबाड हाउस में छह यहूदी मारे गए थे. मुंबई हमलों में 166 से अधिक लोगों की जान गई थी. भारत यात्रा पर पत्नी के साथ गए रिवलिन वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों और यहूदी समुदाय के नेताओं के साथ भी बैठक करेंगे.
कल नई दिल्ली के लिए रवाना होने से तुरंत पहले रिवलिन ने कहा, ‘‘मैं इस्राइल के अहम सहयोगी और करीबी मित्र भारत की महत्वपूर्ण यात्रा के लिए रवाना हो रहा हूं. भारत और इस्राइल के बीच कई समानताएं हैं.’’
इस्राइल के राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘इस्राइल और भारत दोनों देश नवाचार और प्रेरणा के स्थल हैं. ये ऐसे देश हैं जिनकी परंपराएं प्राचीन हैं लेकिन उन्होंने मजबूत एवं उन्नत उच्च तकनीक की अर्थव्यवस्थाएं निर्मित की हैं और अब राजनयिक संबंधों के 25 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं. यह यात्रा मजबूत संबंधों और दोनों देशों के लोगों के बीच मित्रता का प्रतीक है तथा मुझे उम्मीद है कि हम मित्रता के इन बीजों को और करीब से पनपने के लिए रोपित करेंगे.’’ रिवलिन के साथ आ रहे शिक्षाविदों के प्रतिनिधिमंडल में इस्राइल के 13 अकादमिक संस्थानों के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल हैं जिनके द्वारा इस्राइल एवं भारतीय संस्थानों के बीच 15 अलग-अलग समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है.
इस्राइल की काउंसिल फॉर हायर एजुकेशन की बजट समिति के प्रमुख याफा जिलबरशैत्स ने कहा, ‘‘उच्च शिक्षा में अंतरराष्ट्रीय सहयोग का मुद्दा और इस्राइल एवं दुनिया विशेषकर भारत के बीच अकादमिक संबंधों में विस्तार देश में उच्च शिक्षा के लिए बहुवर्षीय योजना के केंद्रीय लक्ष्यों में से एक है.’’ उन्होंने बताया कि अकादमिक संबंधों के विस्तार में छात्र आदान-प्रदान, संयुक्त शोध परियोजनाएं और इस्राइली एवं भारतीय विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों के बीच अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने के वास्ते अंतर-संस्थानिक मंच की स्थापना शामिल हैं.
इससे पहले रिवलिन इस्राइल में भारतीय छात्रों को बधाई देते हुए कह चुके हैं, ‘‘वे :भारतीय छात्र: कई छात्रों में सर्वश्रेष्ठ हैं.’’
कारोबारी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे, ‘मन्युफैक्चर्स एसोसिएशन ऑफ इस्राइल’ के अध्यक्ष श्रैगा ब्रोश ने कहा, ‘‘इस्राइली उत्पादकों के लिए भारत एक बड़ी चुनौती पेश कर रहा है और इस प्रतिनिधिमंडल को अपने भारतीय समकक्षों के साथ सहयोग एवं सहभागिता को मजबूत करने का अवसर मिलेगा.’’ ब्रोश ने कहा, ‘‘मुझे कोई संदेह नहीं है कि यह एक फलदायी यात्रा होगी और इससे दीर्घकालिक आर्थिक सहभागिता बनेगी जिससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार की मजबूती एवं उसे बढ़ावा देने में सहयोग मिलेगा.’’ यह अटकलें तेज हैं कि रिवलिन की यात्रा से मोदी की यरूशलम यात्रा का मार्ग प्रशस्त होगा और अगर ऐसा होता है तो यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली इस्राइल यात्रा होगी. बहरहाल, अगले साल राजनयिक संबंधों की स्थापना की 25वीं सालगिरह के मौके पर यह यात्रा संभावित है.
कई वर्ष से इस्राइल निरंतर भारत के लिए रक्षा उपकरण का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है और करगिल युद्ध के दौरान भारतीय जरूरतों की आपूर्ति ‘‘नियत समय पर’’ करने से इस्राइल ने एक ‘विश्वस्त’ सहयोगी का दर्जा हासिल किया है.
भारत-इस्राइल द्विपक्षीय कारोबार ने उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. वर्ष 1992 में 20 करोड़ डॉलर से शुरू हुआ यह कारोबार अब पांच अरब डॉलर के एक सम्मानित आंकड़े तक पहुंच गया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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