
इजरायल और ईरान के बीच लगातार पांचवें दिन मंगलवार, 17 जून को भी जंग जारी है, दोनों एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं. इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के लोगों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे अपने देश की राजधानी तेहरान को खाली कर दें और वहां से कहीं और चले जाएं. उन्होंने कहा कि ईरान ने परमाणु हथियारों के विकास पर रोक लगाने के लिए अमेरिका के साथ एक समझौता करने से अस्वीकार कर दिया है. इसके अलावा व्हाइट हाउस ने कहा कि ट्रंप को मिडिल ईस्ट की तनाव भरी स्थिति को देखते हुए कनाडा में चल रहे ग्रुप ऑफ सेवन (G7) शिखर सम्मेलन को खत्म होने से एक दिन पहले ही रवाना हो गए. फॉक्स न्यूज ने रिपोर्ट छापी है कि ट्रंप अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाएंगे. अमेरिका के गृहमंत्रालय के हेडक्वाटर पेंटागन के प्रमुख ने कहा है कि अमेरिका मिडिल ईस्ट में 'अतिरिक्त क्षमताएं' तैनात कर रहा है. यानी वहां सैनिकों की तैनाती बढ़ा रहा है.
ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा है, "ईरान को उस 'डील' पर हस्ताक्षर करना चाहिए था जिस पर मैंने उन्हें हस्ताक्षर करने के लिए कहा था. यह कितनी शर्म की बात है, और मानव जीवन की बर्बादी है. सीधे शब्दों में कहें तो, ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकता. मैंने इसे बार-बार कहा! सभी को तुरंत तेहरान को खाली कर देना चाहिए!"
एक सवाल उठ रहा है कि क्या अमेरिका इस युद्ध में कूदने वाला है? ट्रंप ने पहले ही एक इंटरव्यू में कहा था कि अमेरिका ने इजरायल के सैन्य हमले में हिस्सा नहीं लिया है लेकिन "यह संभव है कि हम इसमें शामिल हो सकते हैं." उन्होंने चेतावनी दी कि ईरान द्वारा अमेरिकी सेना पर किसी भी हमले का गंभीर जवाब दिया जाएगा. अब ट्रंप के ये 4 कदम बता रहे हैं कि अलगे 48 घंटे अहम हो सकते हैं:
- ईरान के लोगों को तेहरान खाली करने के लिए कहना
- मिडिल ईस्ट तनाव को लेकर G7 शिखर सम्मेलन को पहले छोड़ना
- अमेरिका में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाना
- मिडिल ईस्ट में सैनिकों की तैनाती बढ़ाना
ईरान और इजरायल- ग्राउंड पर क्या हैं हालात?
गौरतलब है कि ईरानी मीडिया ने मंगलवार तड़के सुबह ही तेहरान में विस्फोटों और एयर डिफेंस की भारी गोलाबारी की सूचना दी. असीररन समाचार वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, तेहरान से 200 मील दूर ईरान के प्रमुख परमाणु प्रतिष्ठानों के शहर, नटानज़ में भी हवाई सुरक्षा सक्रिय की गई थी.
वहीं इजराइल में, आधी रात के बाद तेल अवीव में हवाई हमले के सायरन बजने लगे और एक विस्फोट की आवाज सुनी गई. ईरानी मिसाइलों ने देश को फिर से निशाना बनाया. ईरानी अधिकारियों ने पांच दिनों में 224 लोगों की मौत की सूचना दी, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे, जबकि इजरायल ने कहा कि 24 नागरिक मारे गए थे. इजरायल के वित्त मंत्री बेजेलेल स्मोट्रिच ने कहा कि ईरानी हमलों से हुए नुकसान के कारण लगभग 3,000 इजरायलियों को निकाला गया है.
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने एक्स पर कहा, "अगर राष्ट्रपति ट्रंप कूटनीति के बारे में सच्चे हैं और इस युद्ध को रोकने में रुचि रखते हैं, तो अगले कदम परिणामी होंगे."
गौरतलब है कि नेतन्याहू ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि इजरायल ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों से उत्पन्न खतरों को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, "अगर इसे दूसरे तरीके से हासिल किया जा सकता है - तो ठीक है. लेकिन हमने इसे 60 दिन का मौका दिया." इजरायल के हमले के पहले दिन, शुक्रवार को रॉयटर्स से बात करते हुए, ट्रंप ने कहा कि उन्होंने ईरानियों को यूरेनियम संवर्धन रोकने के लिए एक समझौते पर आने के लिए 60 दिन का समय दिया था और यह समय बिना किसी समझौते के समाप्त हो गया है.
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