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क्या लेबनान जाकर फंस गया है इजरायल, कैसा रहा था 2006 का अनुभव

इजरायल ने एक अक्टूबर से लेबनाम में जमीनी सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी है. इसमें उसके आठ सैनिकों के मारे जाने की खबर है. वहीं लेबनान के 12 सौ से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. यह लड़ाई भी 2006 में लेबनान और इजरायल में हुई लड़ाई जैसी ही है.

नई दिल्ली:

इजरायल ने लेबनान में हिज्बुल्लाह के खिलाफ जमीनी कार्रवाई शुरू दी है. इजरायल लेबनान में जमीनी हमला शुरू करने के काफी पहले से ही वहां हवाई हमले कर रहा था. राजधानी बेरूत की एक इमारत पर 27 सितंबर को हुए हवाई हमले में हिज्बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत हो थी.इसके बाद इजरायल ने लेबनान में जमीनी कार्रवाई शुरू कर दी थी. लेबनानी अधिकारियों के मुताबिक इजरायली हमले में अब तक 12 सौ से अधिक लोगों की जान गई है और 12 लाख लोग विस्थापित हुए हैं. वहीं इजरायन अपने आठ सैनिकों की मौत की पुष्टि की है.इस बीच इजरायल के एक पूर्व प्रधानमंत्री एहुद ओलमर्ट ने कहा है कि लेबनान में जमीनी कार्रवाई इजारयल के लिए महंगी पड़ सकती है.उनका कहना है कि लेबनान में यह लड़ाई बिना हार-जीत के खत्म हो सकती है.

इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री की भविष्यवाणी

ओलमर्ट 2006 से 2009 तक इजरायल के प्रधानमंत्री रहे. वो देश के 12वें प्रधानमंत्री थे.ओलमर्ट को इजरायल का एक ऐसा राजनेता माना जाता है, जो फलिस्तीनियों और अरब दुनिया के साथ कई बार शांति समझौते के लिए बातचीत की.ओलमर्ट के शासनकाल में भी इजरायल ने एक बार लेबनान में जमीनी लड़ाई लड़ी थी.यह लड़ाई 34 दिन तक चली थी. इस लड़ाई में लेबनान के 1191 लोग मारे गए थे.मरने वालों में ज्यादातर आम लोग थे.वहीं इसराइल के 121 सैनिक और 44 नागरिक मारे गए थे.इस लड़ाई की समीक्षा के लिए इजरायल सरकार ने एक कमेटी का गठन किया था. इसे विनोग्राद आयोग के नाम से जाना जाता है. आयोग इस नतीजे पर पहुंचा था कि इजराइल ने एक लंबी लड़ाई की शुरुआत की, जो किसी स्पष्ट जीत के बिना खत्म हो गया.

लेबनान में इजरायल का 2006 में हुआ हमला

इजरायल ने 2006 में हिज्बुल्लाह के हमले में अपने आठ सैनिकों के मारे जाने और दो सैनिकों को अगवा किए जाने के बाद जल्दबाजी में ऑपरेशन शुरू किया था. लेकिन अब लेबनान में घुसने से पहले इजरायल ने काफी तैयारी की है.इस लड़ाई के लिए इजरायल ने गजा में लड़ रहे अपने सैनिकों तैनात किया है और रिजर्व सैनिकों को भी तैनात किया है.चिंता वाली बात यही है कि गाजा मोर्चे से लौटे सैनिक थके हुए हैं. वो पिछले करीब एक साल से वहां लड़ाई लड़ रहे थे. लेकिन लेबनान में जमीनी कार्रवाई शुरू करने से पहले इजरायल ने हवाई हमलों में हिज्बुल्लाह के कई हथियार डिपो को तबाह कर दिया है.उसने इन्हीं हवाई हमलों में हसन नसरल्लाह समेत हिज्बुल्लाह के शीर्ष नेतृत्व को एक तरह से तबाह कर दिया है.इन तैयारियों के जरिए इजराइल हिजबुल्लाह को यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह उसे खत्म करने को लेकर काफी गंभीर है.इस बार इजरायल की कोशिश दक्षिण लेबनान के शहरों पर कब्जा करने की लगती है, क्योंकि दक्षिणी लेबनान के शहरों पर हिज्बुल्लाह का लंबे समय से कब्जा है. 

लेबनान में कैसे हैं इजरायल के लिए हालात

इतनी तैयारी के बाद भी लेबनान में इजरायल के लिए स्थितियां ज्यादा चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है.भले ही इजरायल ने हिज्बुल्लाह के हथियारों के भंडारों और नेताओं को खत्म कर दिया है.यहां यह समझने की जरूरत है कि हमास और हिज्बुल्लाह में अंतर है.हथियारों का नुकसान होने के बाद भी अभी भी उसके पास बहुत ज्यादा गोला-बारूद है.उसके अंतरराष्ट्रीय समर्थक भी उसे यह सब मुहैया कराएंगे. हसन नसरल्लाह की मौत के बाद हाशिम सफीद्दीन  के रूप में उसे उसका नया नेता मिल गया है.हाशिम भी काफी अनुभवी हैं. वो हिज्बुल्लाह में कई अहम पदों पर रह चुके हैं. उनका पास लंबा अनुभव भी है. 

हिज्बुल्लाह के पास दक्षिण लेबनान में सुरंगों और दूसरे इन्फ्रास्ट्रक्चर का वैसा ही बड़ा नेटवर्क है, जैसा हमास के पास गाजा में है. इसराइल जब गाजा में घुसा था तो उसने सुरंगों के इस नेटवर्क को ध्वस्त करने की कोशिश की थी, लेकिन एक साल बाद भी वो इसमें सफल नहीं हो पाया है. सुरंगों का यह नेटवर्क हिज्बुल्लाह के लिए राम बाण साबिक हो सकती हैं.इसके अलावा भी हिज्बुल्लाह के पास कुछ ऐसे संसाधन हैं, जिनके बारे में इजरायल को नहीं पता है. यह उसे अपनी पसंद की जगह और दिशा में लड़ने में सक्षम बनाता है. इस लड़ाई का अंजाम तो भविष्य बताएगा. लेकिन एक बात जो साफ है, वह यह कि न तो इजरायल 2006 का इजरायल है और न ही हिज्बुल्लाह 2006 का हिज्बुल्लाह है.

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