प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
ईरान के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान में कुछ ऐसे बयान दिए हैं जो भारत के लिए चिंता का सबब हो सकते हैं. ईरान ने न सिर्फ चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर में अपनी भागीदारी की बात की है बल्कि चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए चीन और पाकिस्तान दोनों को निवेश का न्योता दिया है. यह बात पाकिस्तान के तीन दिवसीय दौरे पर आए ईरानी विदेश मंत्री जवद ज़रीफ ने कही है. उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ इस्लामाबाद में भी यह बात कही और पाकिस्तान के निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में भी.
ज्ञात हो कि ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने में भारत अहम भूमिका निभा रहा है. इसे लेकर भारत ईरान और अफगानिस्तान के बीच त्रिपक्षीय समझौता भी है. अफगानिस्तान को आपूर्ति के लिए इस बंदरगाह की भूमिका काफी अहम है. इसे पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के काट के तौर पर भी देखा जाता है जिसके लिए चीन मदद दे रहा है. चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर को भारत अपनी अखंडता के खिलाफ मानता है क्योंकि ये पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर से गुजरता है. साथ ही भारत को इससे सामरिक सुरक्षा संबंधी चिंता भी है. ऐसे में ईरान का सीपेक के लिए हां कहना एक दोस्त के बदलने जैसा है.
हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. माना जा रहा है कि चाबहार में भारत की भूमिका को लेकर पाकिस्तान में हो रही चिंताओं को ईरान के विदेश मंत्री ने अपनी तरह से कम करने की कोशिश की है. लेकिन चीन और पाकिस्तान को चाबहार में निवेश के खुले निमंत्रण की बात गले से उतर नहीं रही.
यह भी पढ़ें : भारत और ईरान ने 9 अहम समझौतों पर किये दस्तखत, पीएम मोदी और रूहानी के बीच फोकस में रहा चाबहार पोर्ट
ज़रीफ़ ने ये भी कहा कि चाबहार और ग्वादर दोनों बंदरगारों को लिंक किया जाए तो दोनों एक-दूसरे के पूरक साबित हो सकते हैं.
इतना ही नहीं. पाकिस्तानी विदेश मंत्री ख्वाज़ा आसिफ़ के साथ द्विपक्षीय बातचीत के बाद पाकिस्तान की तरफ़ से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि दोनों ही देश फिलस्तीन और कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए शांतिपूर्ण संघर्ष को अपना समर्थन देना जारी रखेंगे. जिओ टीवी के साथ बातचीत में जवद ज़रीफ ने तो यहां तक कह दिया कि वह कश्मीर समस्या का समाधान अंतराष्ट्रीय कानूनों के तहत चाहते हैं.
कश्मीर पर भारत के पक्ष को जानते हुए भी ईरान का ऐसा कहना क्या ईरान के रुख में बड़े बदलाव का संकेत है. इस नतीजे पर पहुंचने से पहले देखना होगा कि भारत के पूछे जाने की स्थिति में ईरान का क्या जवाब आता है.
कुलभूषण जाधव के मामले में जिओ टीवी पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में ज़रीफ़ ने कहा कि इस मामले को लेकर ईरान और पाकिस्तान दोनों उच्चतम स्तर पर आपसी संपर्क में हैं. ईरान इस मामले में अब तक जुटाई गई जानकारी से पाकिस्तान को अवगत करा चुका है. जरीफ़ ने अपने जवाब में ये भी जोड़ा कि ईरान इस बात के लिए कृतसंकल्पित है कि वह अपनी ज़मीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के ख़िलाफ़ नहीं होने देगा.
VIDEO : भारत का ईरान से समझौता
गौरतलब है कि इस इंटरव्यू के दौरान जब एंकर ने सवाल पूछते हुए ये कहा कि कुलभूषण जाधव जिसे कि ईरान से पाकिस्तान में घुसने पर गिरफ्तार किया गया... इसे ज़रीफ़ ने अपनी तरफ से काटने की ज़रूरत महसूस नहीं की. हालांकि उनका जवाब गोलमोल ही रहा.
ज्ञात हो कि ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने में भारत अहम भूमिका निभा रहा है. इसे लेकर भारत ईरान और अफगानिस्तान के बीच त्रिपक्षीय समझौता भी है. अफगानिस्तान को आपूर्ति के लिए इस बंदरगाह की भूमिका काफी अहम है. इसे पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के काट के तौर पर भी देखा जाता है जिसके लिए चीन मदद दे रहा है. चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर को भारत अपनी अखंडता के खिलाफ मानता है क्योंकि ये पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर से गुजरता है. साथ ही भारत को इससे सामरिक सुरक्षा संबंधी चिंता भी है. ऐसे में ईरान का सीपेक के लिए हां कहना एक दोस्त के बदलने जैसा है.
हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. माना जा रहा है कि चाबहार में भारत की भूमिका को लेकर पाकिस्तान में हो रही चिंताओं को ईरान के विदेश मंत्री ने अपनी तरह से कम करने की कोशिश की है. लेकिन चीन और पाकिस्तान को चाबहार में निवेश के खुले निमंत्रण की बात गले से उतर नहीं रही.
यह भी पढ़ें : भारत और ईरान ने 9 अहम समझौतों पर किये दस्तखत, पीएम मोदी और रूहानी के बीच फोकस में रहा चाबहार पोर्ट
ज़रीफ़ ने ये भी कहा कि चाबहार और ग्वादर दोनों बंदरगारों को लिंक किया जाए तो दोनों एक-दूसरे के पूरक साबित हो सकते हैं.
इतना ही नहीं. पाकिस्तानी विदेश मंत्री ख्वाज़ा आसिफ़ के साथ द्विपक्षीय बातचीत के बाद पाकिस्तान की तरफ़ से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि दोनों ही देश फिलस्तीन और कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए शांतिपूर्ण संघर्ष को अपना समर्थन देना जारी रखेंगे. जिओ टीवी के साथ बातचीत में जवद ज़रीफ ने तो यहां तक कह दिया कि वह कश्मीर समस्या का समाधान अंतराष्ट्रीय कानूनों के तहत चाहते हैं.
कश्मीर पर भारत के पक्ष को जानते हुए भी ईरान का ऐसा कहना क्या ईरान के रुख में बड़े बदलाव का संकेत है. इस नतीजे पर पहुंचने से पहले देखना होगा कि भारत के पूछे जाने की स्थिति में ईरान का क्या जवाब आता है.
कुलभूषण जाधव के मामले में जिओ टीवी पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में ज़रीफ़ ने कहा कि इस मामले को लेकर ईरान और पाकिस्तान दोनों उच्चतम स्तर पर आपसी संपर्क में हैं. ईरान इस मामले में अब तक जुटाई गई जानकारी से पाकिस्तान को अवगत करा चुका है. जरीफ़ ने अपने जवाब में ये भी जोड़ा कि ईरान इस बात के लिए कृतसंकल्पित है कि वह अपनी ज़मीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के ख़िलाफ़ नहीं होने देगा.
VIDEO : भारत का ईरान से समझौता
गौरतलब है कि इस इंटरव्यू के दौरान जब एंकर ने सवाल पूछते हुए ये कहा कि कुलभूषण जाधव जिसे कि ईरान से पाकिस्तान में घुसने पर गिरफ्तार किया गया... इसे ज़रीफ़ ने अपनी तरफ से काटने की ज़रूरत महसूस नहीं की. हालांकि उनका जवाब गोलमोल ही रहा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं