
13 जून 2025 की रात को इजरायल ने अचानक ईरान पर एयरस्ट्राइक कर एक नई पश्चिमी एशिया में जंग की चिंगारी भड़का दी. इस एक हमले ने परमाणु आशंकाओं से जूझ रहे दो दुश्मनों के बीच के टकराव को चरम पर पहुंचा दिया, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे पर घातक हमले किए, इन हमलों में भारी जान-माल का नुकसान हुआ लेकिन शुरुआती संघर्ष में कोई पीछे हटने को तैयार नहीं हुआ. जंग से शुरू हुई एक ऐसी 12 दिनों की आग, जिसमें रॉकेटों की बारिश, मिसाइलों की तबाही, नागरिकों की चीखें और सैन्य ठिकानों की राख ही रह गई. ईरान ने इजरायल के तेल अवीव जैसे प्रमुख शहरों को निशाना बनाया, जबकि इजरायल ने ईरानी कमांड और परमाणु संरचनाओं को ध्वस्त करने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी. तीन परमाणु फैसिलिटी पर अमेरिका के हमले के बाद ईरान ने कतर में अमेरिकी बेस को अपना निशाना बनाया. इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने दोनों देशों के बीच सीजफायर का ऐलान कर दिया है. अब जब युद्धविराम की खबरें आ रही है तो आइए नजर डालते हैं कि इस पूरे संघर्ष में किस देश को कितना नुकसान हुआ और किसने क्या खोया —
इजरायल vs ईरान: 12 दिन की जंग
ईरान और इजरायल के बीच हाल ही में छिड़ी 12 दिनों की इस जंग ने पश्चिम एशिया की राजनीति और सुरक्षा को हिला कर रख दिया. दोनों देशों के बीच का ये टकराव महज कोई मामूली संघर्ष नहीं था. इस जंग में दोनों देशों ने अपने घातक से घातक हथियारों का जमकर इस्तेमाल किया, जिस वजह से दोनों देशों में भारी तबाही हुई. ये जंग सिर्फ मिसाइल और ड्रोन तक सीमित नहीं रही, बल्कि साइबर अटैक, परमाणु ठिकानों पर हमले और सैन्य बेस तक पहुंच गई. इस जंग में सबसे बड़ा नुकसान ईरान को हुआ है. 13 जून को इजरायल ने ‘राइजिंग लायन' नाम के एक सीक्रेट ऑपरेशन के तहत ईरान के कई अहम सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया. ईरान के कम से कम 200 से ज्यादा सैनिक, तकनीकी विशेषज्ञ और वरिष्ठ रिवोल्यूशनरी गार्ड अधिकारी मारे गए. इसमें कुछ टॉप वैज्ञानिकों के की भी मौत हुई. इसके अलावा कई बेस तबाह कर दिए.
- एक मानवाधिकार समूह ने 23 जून को कहा कि ईरान पर इजरायली हमलों में कम से कम 950 लोग मारे गए हैं और 3,450 अन्य घायल हुए हैं.
- वाशिंगटन स्थित मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के समूह ने पूरे ईरान के आंकड़े पेश किए हैं. उन्होंने बताया कि मृतकों में 380 नागरिक और 253 सुरक्षा बल के जवान शामिल हैं.
- शनिवार (21 जून, 2025) को ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इजरायली हमलों में लगभग 400 ईरानी मारे गए और 3,056 अन्य घायल हुए.
- ईरान संघर्ष के दौरान नियमित रूप से मरने वालों की संख्या नहीं दे रहा है और उसने अतीत में हताहतों की संख्या को कम से कम बताया है.
- इजरायल के हमलों में ईरान के कई प्रमुख सैन्य कमांडर, परमाणु वैज्ञानिक, नागरिक और IRGC प्रमुखों की मौत हो गई.
- तेहरान से 1 लाख+ लोग भागकर उत्तर की ओर चले गए
- युद्ध से पहले (जनवरी 2025 तक) ईरान की अर्थव्यवस्था 3.5% ग्रोथ पर चल रही थी. युद्ध के बाद, IMF और Oxford Economics का अनुमान है कि GDP ग्रोथ घटकर सिर्फ 0.3% रह गई है.
- 2. तेल और गैस उद्योग को नुकसान: ईरान की अर्थव्यवस्था का 60% हिस्सा तेल और गैस निर्यात से आता है.
- 12 दिन के हमलों से 3 बड़े तेल रिफाइनरी और पाइपलाइन क्षतिग्रस्त हुए. उत्पादन में लगभग 35% गिरावट और निर्यात में $10–12 अरब डॉलर का संभावित नुकसान.
इजरायल का नुकसान
ईरान ने इजरायल पर हजारों घातक हमले किए. इनमें से अधिकांश को इजरायल के मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम, 'डैविड्स स्लिंग' और 'एरो सिस्टम' ने हवा में ही नष्ट कर दिया. हालांकि, कुछ मिसाइलें और ड्रोन रेजिडेंशियल इलाकों में गिरे, जिससे इजरायल में भी काफी नुकसान हुआ 25 से अधिक लोगों की मौत और 200 से ज्यादा घायल होने की खबर आई है. मात अविव में 20+, बैट याम में 9–10, तेल अवीव/हैइफा में कुल मिलाकर 24 की पुष्टि हुई है. अस्पताल (सोरोका), आवासीय इमारतें, रक्षामंत्रालय, इन्फ्रास्ट्रक्चर को बड़ा नुकसान हुआ है, जिसमें हजारों लोग अस्थायी रूप से बेघर हुए हो गए. वहीं ईरान के मिसाइल हमले से इजरायल के वीज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस को भारी नुकसान पहुंचा है. वीज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में हुए नुकसान को इजरायल के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. क्योंकि यहां इजरायल की कई प्रमुख लैब थी, जहां महत्वपूर्ण रिसर्चर्स हो रहा था.
- ईरान के मिसाइल हमलों में इजरायल में लगभग 25–30 लोगों की मौत हुई. रमात अविव में 20+, बैट याम में 9–10, तेल अवीव/हैइफा में कुल मिलाकर 24 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है.
- बताया जा रहा है कि ईरानी हमले में इजरायल में 200 से ज्यादा लोग घायल हुए है.
- विशेषज्ञों का अनुमान है कि इजरायल को रोज़ाना $725 मिलियन खर्च कर रहा है — यह अत्यधिक महंगी लड़ाई है.
- यदि यह संघर्ष महीनों तक चलता रहा, तो कुल लागत $12 बिलियन प्रति माह तक पहुंच सकती है.
- आवासीय इमारतें, रक्षामंत्रालय, इन्फ्रास्ट्रक्चर में बड़ा नुकसान; हजारों लोग अस्थायी रूप से बेघर हुए.
- तेल रिफाइनरी, बंदरगाह, एयरपोर्ट और गैस क्षेत्र प्रभावित — उत्पादन, यात्रा व व्यापार रुक गए.
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