प्रतीकात्मक फोटो.
मुंबई:
यदि हवाई जहाज में लगे उपकरण समय रहते चेतावनी न देते तो दो प्लेन आपस में टकरा जाते और सैकड़ों लोगों की जान चली जाती. ढाका के हवाई क्षेत्र में एक बड़ी विमान दुर्घटना उस वक्त टल गई जब इंडिगो और एयर डेक्कन के विमान आपस में टकराने से बाल-बाल बचे.
सूत्रों के अनुसार दोनों विमानों के पायलट को एक स्वचालित चेतावनी प्रणाली से इस बारे में सूचना मिली. यह दोनों विमान खतरनाक तौर पर एक-दूसरे के बेहद नजदीक आ गए थे. दोनों विमानों के बीच यह अनिवार्य अंतर बनाए रखने की सीमा का कथित उल्लंघन था.
सूत्रों ने बताया कि घटना दो मई की है, जब बांग्लादेश के हवाई क्षेत्र में इंडिगो का कोलकाता से अगरतला जा रहा विमान 6 ई -892 और एयर डेक्कन का अगरतला से कोलकाता आ रहा विमान डीएन 602 हवा में एक-दूसरे के नजदीक आ गए. इस घटना को गंभीरता से लिया गया क्योंकि इंडिगो के एयरबस ए 320 विमान और डेक्कन का बीचक्राफ्ट 1900 डी विमान एक-दूसरे से मात्र 700 मीटर की दूरी पर रह गए थे. इसकी जांच विमान दुर्घटना अन्वेषण ब्यूरो ने की.
यह भी पढ़ें : हवा में महज 100 फीट की दूरी पर थे एयर इंडिया और विस्तारा के विमान, टक्कर होते-होते बची
सूत्रों के अनुसार, ‘‘डेक्कन का विमान अगरतला की ओर उतर रहा था और 9,000 फुट की ऊंचाई पर था, जबकि इंडिगो का विमान उड़ान भर रहा था और 8,300 फुट की ऊंचाई पर था. तभी विमान में लगे टीसीएएस ने दोनों पायलटों को चेतावनी दी कि वह विमान को सुरक्षित दूरी पर ले जाएं.’’ टीसीएएस विमान में लगा एक उपकरण होता है जो पायलटों को विमान की पहुंच के दायरे में हवाई यातायात की जानकारी देता है. साथ ही उन्हें सूचित करता है ताकि वह सावधानी अपना सकें.
इंडिगो के प्रवक्ता ने घटना की पुष्टि की है. नियामक घटना की जांच कर रहा है. डेक्कन से संपर्क करने पर अधिकारी ने कहा कि यह ‘एयरप्रॉक्स’ की घटना है जिसकी जांच की जा रही है. ‘एयरप्रॉक्स’ से आशय ऐसी स्थिति से होता है जब दो विमान एक मानक दूरी का उल्लंघन करते हुए एक-दूसरे के नजदीक आ जाते हैं.
VIDEO : दिल्ली एयरपोर्ट पर टला हादसा
गौरतलब है कि वर्ष 1996 में चारखी दादरी गांव के पास सऊदी अरब एयरलाइंस और कजाकिस्तान एयरलाइंस के विमान आपस में हवा में टकरा गए थे. इस दुर्घटना में दोनों विमान में सवार 349 यात्रियों की मौत हो गई थी जो दुनिया की सबसे भीषणतम विमान दुर्घटनाओं में से एक थी.
(इनपुट भाषा से)
सूत्रों के अनुसार दोनों विमानों के पायलट को एक स्वचालित चेतावनी प्रणाली से इस बारे में सूचना मिली. यह दोनों विमान खतरनाक तौर पर एक-दूसरे के बेहद नजदीक आ गए थे. दोनों विमानों के बीच यह अनिवार्य अंतर बनाए रखने की सीमा का कथित उल्लंघन था.
सूत्रों ने बताया कि घटना दो मई की है, जब बांग्लादेश के हवाई क्षेत्र में इंडिगो का कोलकाता से अगरतला जा रहा विमान 6 ई -892 और एयर डेक्कन का अगरतला से कोलकाता आ रहा विमान डीएन 602 हवा में एक-दूसरे के नजदीक आ गए. इस घटना को गंभीरता से लिया गया क्योंकि इंडिगो के एयरबस ए 320 विमान और डेक्कन का बीचक्राफ्ट 1900 डी विमान एक-दूसरे से मात्र 700 मीटर की दूरी पर रह गए थे. इसकी जांच विमान दुर्घटना अन्वेषण ब्यूरो ने की.
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सूत्रों के अनुसार, ‘‘डेक्कन का विमान अगरतला की ओर उतर रहा था और 9,000 फुट की ऊंचाई पर था, जबकि इंडिगो का विमान उड़ान भर रहा था और 8,300 फुट की ऊंचाई पर था. तभी विमान में लगे टीसीएएस ने दोनों पायलटों को चेतावनी दी कि वह विमान को सुरक्षित दूरी पर ले जाएं.’’ टीसीएएस विमान में लगा एक उपकरण होता है जो पायलटों को विमान की पहुंच के दायरे में हवाई यातायात की जानकारी देता है. साथ ही उन्हें सूचित करता है ताकि वह सावधानी अपना सकें.
इंडिगो के प्रवक्ता ने घटना की पुष्टि की है. नियामक घटना की जांच कर रहा है. डेक्कन से संपर्क करने पर अधिकारी ने कहा कि यह ‘एयरप्रॉक्स’ की घटना है जिसकी जांच की जा रही है. ‘एयरप्रॉक्स’ से आशय ऐसी स्थिति से होता है जब दो विमान एक मानक दूरी का उल्लंघन करते हुए एक-दूसरे के नजदीक आ जाते हैं.
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गौरतलब है कि वर्ष 1996 में चारखी दादरी गांव के पास सऊदी अरब एयरलाइंस और कजाकिस्तान एयरलाइंस के विमान आपस में हवा में टकरा गए थे. इस दुर्घटना में दोनों विमान में सवार 349 यात्रियों की मौत हो गई थी जो दुनिया की सबसे भीषणतम विमान दुर्घटनाओं में से एक थी.
(इनपुट भाषा से)
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