भारत (India) को अब रूस (Russia) से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने पर अमेरिकी प्रतिबंधों (US Sanctions) से छूट मिल गई है. अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने ध्वनिमत से CAATSA कानून में बदलाव किया है, जिसके बाद अब भारत पर रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने को लेकर कठोर CAATSA प्रतिबंध नहीं लगेंगे. चीन (China) की आक्रमाकता से निपटने में मदद के लिए इन प्रतिबंधों में भारत को छूट दी गई है. यह संशोधन गुरुवार को पारित किया गया. यह एक "एन ब्लाक" ( सभी साथ में एक जुट होकर ) संशोधन का हिस्सा था जिसमें नेशनल डिफेंस ऑथराइज़ेशन एक्ट (NDAA) पर दोबारा विचार किया गया.
There is no relationship of greater significance to US strategic interests than the US-India partnership.
— Rep. Ro Khanna (@RepRoKhanna) July 14, 2022
My bipartisan NDAA amendment marks the most significant piece of legislation for US-India relations out of Congress since the US-India nuclear deal. pic.twitter.com/uXCt7n66Z7
भारतीय-अमेरिकी सांसद रो खन्ना (Ro Khanna) द्वारा लिखे गए और पेश किए गए संशोधन ने बाइडेन प्रशासन (Biden Administration) के अधिकारियों से अपील की थी कि वो अमेरिका के प्रतिरोधियों से निपटने वाले कानून , (Countering America's Adversaries Through Sanctions Act, CAATSA) से भारत को छूट देकर चीन जैसे आक्रामक देशों को रोकने में मदद करें. CAATSA अमेरिका का सख्त कानून है जो अमेरिकी प्रशासन को यह अधिकार देता है कि वो रूस से बड़ी रक्षा सामग्री खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगा सकें. रूस द्वारा 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया छीन लेने के बाद और 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में कथित रूसी हस्तक्षेप के बाद यह कानून लाया गया था.
कैलिफोर्निया की 17वीं संसदीय डिस्ट्रिक्ट से अमेरिकी प्रतिनिधी रो खन्ना ने कहा, " अमेरिका को चीन की तरफ से बढ़ती आक्रमाकता को देखते हुए भारत के साथ खड़े होना चाहिए. इंडिया कॉकस के उपाध्यक्ष के तौर पर मैं दोनों देशों के बीच सहभागिता को मजबूत करने पर काम करता रहा हूं और यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत चीन के साथ लगती सीमा पर अपनी सुरक्षा कर सके."
साथ ही उन्होंने कहा, " यह संशोधन बहुत महत्वपूर्ण है और मैं अमेरिकी संसद में इसे पार्टीलाइन से उपर उठ कर पास किए जाने पर गर्व महसूस कर रहा हूं. यह कानून 2017 में लाया गया था और इसमें ऐसे किसी भी देश पर प्रतिबंध लगाने के प्रावधान हैं जो रूसी हथियारों और खुफिया सेक्टर में उससे डील करे."
अक्टूबर 2018 में भारत ने रूस के साथ 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की डील की थी. जिसके अंतर्गत भारत को रूस से पांच S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम मिलने थे. तत्तकालीन ट्रंप प्रशासन ने भारत को चेतावनी दी थी कि इस डील में आगे बढ़ने का मतलब अमेरिकी प्रतिबंधों को न्यौता देना होगा. S-400 को रूस का सबसे उन्नत लंबी दूरी का ज़मीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है. अमेरिका ने रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए तुर्की पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिए हैं.
तुर्की पर S-400 मिलाइल सिस्टम खरीदने के कारण लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि अमेरिका भारत पर भी ऐसे ही प्रतिबंध लगा सकता है.
इसी साल अप्रेल में अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा था कि अमेरिका ने अभी तक रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने को लेकर सास्टा नियमों में भारत को ढील देने या संभावित प्रतिबंध लगाने पर कोई फैसला नहीं किया है.
इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के अंतर्गत अपने राष्ट्रीय हितों को देखते हुए अपने रक्षा सौदे कर रहा है. रो खन्ना ने अमेरिकी संसद में का, अमेरिकी रणनीतिक हितों के लिए भारत-अमेरिका से बढ़कर और कोई संबंध नहीं हैं.
सासंदों ने कहा कि अमेरिका-भारत की क्रिटिकल और उभरती हुई तकनीक के क्षेत्र में भागीदारी (ICET) का स्वागत है और यह दोनों सरकारों, शैक्षणिक क्षेत्रों और व्यापारों के बीच करीबी संबंध बनाने के लिए ज़रूरी है. इससे एडवांस्ड आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, बायोटेकनॉलजी, एयरोस्पेस और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में एक साथ आगे बढ़ा जा सकेगा.
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